मनमानी कार्यशैली व खराब व्यवहार के कारण पुलिस अक्सर विवादों में रहती है, लेकिन कई बार इसका मानवीय चेहरा भी सामने आता है। ऐसा ही मानवीय चेहरा चितईपुर थाने की सुंदरपुर पुलिस का सामने आया है। बुधवार की देर रात सड़क किनारे प्रसव पीड़ा के दर्द से गर्भवती को तड़पते देख हेड कांस्टेबल अनिल सिंह और अमित मिश्रा ने तत्काल चौकी प्रभृ सुंदरपुर को सूचना देते हुए चादर लेकर सामने आ गए। चितईपुर की रहने वाली नेहा खान को उसके पति शमशेर खान ऑटो रिक्शा में लेकर अस्पताल जा रहे थे। तभी सुन्दरपयर चौकी पहुचते ही प्रसूता को बर्दाश्त से ज्यादा प्रसव पीड़ा होनी लगी।
मनमानी कार्यशैली व खराब व्यवहार के कारण पुलिस अक्सर विवादों में रहती है, लेकिन कई बार इसका मानवीय चेहरा भी सामने आता है। ऐसा ही मानवीय चेहरा चितईपुर थाने की सुंदरपुर पुलिस का सामने आया है। बुधवार की देर रात सड़क किनारे प्रसव पीड़ा के दर्द से गर्भवती को तड़पते देख हेड कांस्टेबल अनिल सिंह और अमित मिश्रा ने तत्काल चौकी प्रभृ सुंदरपुर को सूचना देते हुए चादर लेकर सामने आ गए। चितईपुर की रहने वाली नेहा खान को उसके पति शमशेर खान ऑटो रिक्शा में लेकर अस्पताल जा रहे थे। तभी सुन्दरपयर चौकी पहुचते ही प्रसूता को बर्दाश्त से ज्यादा प्रसव पीड़ा होनी लगी।
जिसके चलते प्रसूता ऑटो को रुकवा कर सड़क के किनारे लेटकर तड़पने लगी। चौकी पर मौजूद सिपाहियों की नज़र पड़ी तो मामला समझते ही चादर लेकर दौड़ पड़े। इधर रास्ते से गुजर रही एपेक्स हॉस्पिटल की नर्स सविता बिंद से मदद मांगी। तब तक चौकी प्रभारी ईश्वर दयाल दुबे भी पहुंच गए और पास के नर्सिंग होम से एक नर्स को बुलाया। सिपाहियों ने चारों तरफ से चादर लगाई और महिला नर्स के प्रयास से कुछ ही समय में बच्चे की किलकारी निकली जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली।
महिला की हालत देख चालक ऑटो सहित फरार हो गया लेकिन इसी बीच चौकी प्रभारी ने 108 नंबर पर फोन करके एंबुलेंस बुला लिया। प्रसव के तत्काल बाद एंबुलेंस से महिला को काशी विद्यापीठ ब्लॉक के स्वास्थ्य केंद्र पर भेजा जहां उनका समुचित इलाज हुआ। फिलहाल मां और बच्चा स्वस्थ हैं। पुलिसकर्मियों के सूझ-बूझ और दरियादिली की क्षेत्र में काफी चर्चा रही।