राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है। वैसे-वैसे अयोध्या की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है। अयोध्या के मंदिर से लेकर यहां के प्रसाद की चर्चा हर तरफ अक्सर सुनने को मिलती है। इसी कड़ी में एक और उपलब्धि अयोध्या के नाम से जुड़ने जा रही है। दरअसल अयोध्या के हनुमानगढ़ी में बनने वाले लड्डू का GI रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया गया था। जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
अयोध्या जिले का पहला GI टैग (जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन) लड्डू को मिलेगा। इसे GI नंबर 1168 मिला है। GI टैग मिलने के बाद लड्डुओं को दुनिया भर में पहचान मिलेगी। उसे GI टैग के साथ कही पर भी बेचा जा सकेगा।
पूरी दुनिया में GI टैग के साथ अयोध्या के लड्डुओं का व्यापार किया जा सकेगा।
अब तक यूपी के 60 प्रोडक्ट्स को दिला चुके हैं टैग
लड्डू को GI टैग दिलाने का काम वाराणसी के डॉ. रजनीकांत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अयोध्या के हलवाई कल्याण समिति की ओर से चेन्नई के रजिस्ट्री संस्थान में लड्डू के GI टैग के लिए आवेदन दिया गया था। आज के दिन इसे स्वीकार कर लिया गया है। वहां से इस बारे में अधिकृत जानकारी भी हमें दी गई है। तिरूपति लड्डू की तर्ज पर इसे भी GI टैग दिया जाएगा। इस फैसले से मिठाई का कारोबार करने वाले लोगों को फायदा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि अयोध्या के हलवाई कल्याण समिति की ओर से चेन्नई के रजिस्ट्री संस्थान में लड्डू के GI टैग के लिए आवेदन दिया गया था।
सीएम योगी ने GI टैग के लिए की थी पहल
डॉ. रजनीकांत ने बताया, इससे पहले अयोध्या या फैजाबाद जिले में भी कभी किसी प्रोडक्ट के लिए GI टैग एप्लिकेशन तक नहीं दिया गया था। बनारस के 23 उत्पादों को GI टैग दिलाने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुझसे कहा कि अयोध्या के बारे में कुछ नहीं सोच रहे हैं। इसके बाद से अयोध्या में लड्डू को GI टैग दिलाने की तैयारियां की गईं। इसी साल अप्रैल महीने में बनारस के लंगड़ा आम और बनारस के पान को GI टैग दिया गया है। इसके अलावा, बनारस का आदम-चीनी चावल और रामनगर का भंटा भी GI टैग में शामिल हुआ है।
ये तस्वीर पद्मश्री से सम्मानित डॉ. रजनीकांत की है।
दार्जिंलिंग की चाय को भारत का पहला GI टैग
भारत का पहला GI टैग प्रोडक्ट दार्जिंलिंग की चाय थी। साल 2004 में भारतीय पेटेंट कार्यालय के माध्यम से यह टैग मिला। GI यानी जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन। GI टैग वर्ल्ड इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी का एक लेबल है। इससे किसी भी इलाके के पुराने लोकप्रिय लोकल प्रोडक्ट को एक खास भौगौलिक पहचान मिलती है। इससे उस राज्य या जिले में संबंधित चीज का एक वैधानिक अधिकार हो जाता है। कोई भी दूसरा व्यक्ति दूसरे जिले या राज्य का बताकर बिक्री नहीं कर सकता। 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत इस GI टैग गुड्स की शुरुआत हुई थी।
दार्जिंलिंग की चाय को 2004 में भारतीय पेटेंट कार्यालय के माध्यम से GI टैग मिला था।
GI टैग मिलने के बाद सरकार इंटरनेशनल लेवल पर प्रमोट करेगी
डॉ. रजनीकांत अब तक बनारस के 23 और यूपी के 60 से ज्यादा उत्पादों को GI टैग दिलाया है। उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि GI टैग मिलने के बाद सरकार इस लड्डू की क्वालिटी टेस्टिंग, प्रचार, पैकेजिंग करके इसे इंटरनेशनल लेवल पर प्रमोट करेगी।
SIDBI-लखनऊ और ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन ने की मदद
डॉ. रजनीकांत ने बताया कि SIDBI-लखनऊ के फाइनेंशियल मदद और ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन की पूरी टीम ने इस लड्डू के डॉक्यूमेंट्स को तैयार कराया है। 33 साल की समाज सेवा की तपस्या और 2005 से GI के क्षेत्र में किए गए कामों में सबसे बड़ा काम था। मेरा भाग्य और पूर्वजों का फल है कि अयोध्या हनुमानगढ़ी लड्डू के GI रजिस्ट्रेशन कराने का मौका इस ऐतिहासिक महीने में मिला।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या के लड्डू की बढ़ गई है डिमांड
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले देश भर से अयोध्या में बने बेसन के लड्डू की जबरदस्त मांग आ रही है। 22 जनवरी को गांव-गांव में बांटने के लिए क्विंटल में ऑर्डर आ रहे हैं। इसीलिए लड्डू बनाने वाले कारीगर दिन-रात काम कर रहे हैं।
दुकानदारों का कहना है कि उनके पास दूर-दराज के गांवों से लोगों के फोन आ रहे हैं। वे लोग अपने इलाके में अयोध्या का ही प्रसाद बांटना चाहते हैं।
दो महीने तक खराब नहीं होता बेसन का लड्डू
ये बेसन का लड्डू दो महीने से ज्यादा तक खराब नहीं होता है। दरअसल, बेसन के लड्डू में पानी का इस्तेमाल नहीं होता है। जिसकी वजह से वह कई महीनों तक एक ही स्वाद में रहता है।
हालांकि अयोध्या का खुरचन पेड़ा भी मशहूर है, लेकिन इसके खराब होने या फिर टूट जाने से वो ठीक नहीं रहता। वहीं अगर लड्डू फूट भी गया, तो दोबारा बन जाता है।