आइए देखते हैं उन तस्वीरों को जिसने हिंदू पक्ष के दावे को मजबूत किया। इन तस्वीरों को लेकर मुस्लिम पक्ष क्या दावा कर रहा है?

KHABREN24 on September 13, 2022
आइए देखते हैं उन तस्वीरों को जिसने हिंदू पक्ष के दावे को मजबूत किया। इन तस्वीरों को लेकर मुस्लिम पक्ष क्या दावा कर रहा है?

काशी के ज्ञानवापी मामले को लेकर आज वाराणसी की जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ज्ञानवापी का मसला सुनने लायक है। इस मामले में पूजा स्थल कानून 1991 लागू नहीं होता है। इसलिए इसकी सुनवाई जारी रहेगी। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। 

मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि इस मामले की सुनवाई ही नहीं होनी चाहिए। इसके लिए पूजा स्थल कानून 1991 का हवाला भी दिया था। कोर्ट के सामने हिंदू पक्ष ने उस सर्वे की रिपोर्ट का हवाला भी दिया, जिसे खुद जिला अदालत के आदेश पर विशेषज्ञों की टीम ने किया था। अब आगे इस बात पर फैसला होगा कि ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी में नियमित पूजा की जा सकती है या नहीं? ज्ञानवापी असल में मस्जिद है या मंदिर?

हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग है।

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शिवलिंग या फव्वारा? 
जिला अदालत पर मई में पूरे ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ। इसमें एक कुएं में शिवलिंग की आकृति मिलने का हिंदू पक्ष ने दावा किया। इसकी तस्वीर भी सामने आई। इसे हिंदू पक्ष ने सबसे बड़ा सबूत बताया। मुस्लिम पक्ष ने दस दावे को खारिज कर दिया। कहा कि ये फव्वारा है। इसके लिए कई तरह के तर्क भी दिए गए।

ज्ञानवापी

 

संस्कृत के मंत्र दिखने का दावा
हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी के दीवारों पर संस्कृत में श्लोक और मंत्र लिखे गए हैं। इसकी फोटो भी खूब वायरल हुई। मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को भी खारिज कर दिया। 

ज्ञानवापी परिसर और काशी विश्वनाथ मंदिर

मस्जिद के नीचे मंदिर होने के का दावा
दूसरी तस्वीर मस्जिद की इमारत को लेकर आई। इसमें मस्जिद का ऊपरी हिस्सा तो अलग नजर आया, लेकिन नीचे के हिस्से में हिंदू देवी देवताओं की मूर्ति, त्रिशूल, फूल, घंटी आदि दिखे। आकृति देखकर हिंदू पक्ष ने दावा किया कि पहले ये हिंदू मंदिर ही था, जिसके ऊपर मस्जिद का आकार दे दिया गया है। मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को भी खारिज कर दिया। 

काशी के ज्ञानवापी मामले को लेकर आज वाराणसी की जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ज्ञानवापी का मसला सुनने लायक है। इस मामले में पूजा स्थल कानून 1991 लागू नहीं होता है। इसलिए इसकी सुनवाई जारी रहेगी। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। 

मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि इस मामले की सुनवाई ही नहीं होनी चाहिए। इसके लिए पूजा स्थल कानून 1991 का हवाला भी दिया था। कोर्ट के सामने हिंदू पक्ष ने उस सर्वे की रिपोर्ट का हवाला भी दिया, जिसे खुद जिला अदालत के आदेश पर विशेषज्ञों की टीम ने किया था। अब आगे इस बात पर फैसला होगा कि ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी में नियमित पूजा की जा सकती है या नहीं? ज्ञानवापी असल में मस्जिद है या मंदिर

संस्कृत के मंत्र दिखने का दावा
हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी के दीवारों पर संस्कृत में श्लोक और मंत्र लिखे गए हैं। इसकी फोटो भी खूब वायरल हुई। मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को भी खारिज कर दिया। 
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गुंबद के नीचे गुंबद होने का दावा।

गुंबद के नीचे गुंबद होने का दावा
सर्वे के दौरान टीम ने मस्जिद के ऊपर बने गुंबद का भी मुआयना किया। दावा किया जा रहा है कि  गुंबद के नीचे भी एक गुंबद था। इसको लेकर भी दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावे किए।

ज्ञानवापी के तहखाने का भी सर्वे हो चुका है।

तहखाने में स्वास्तिक के निशान मिलने का दावा
सर्वे के दौरान टीम मस्जिद के अंदर बने तहखाने में भी गई। हिन्दू पक्ष का दावा है कि इस तहखाने के कई हिस्सों में स्वास्तिक के निशान बने थे। वहीं मुस्लिम पक्ष इस दावे से इंकार करता रहा।

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