नेपाल से अयोध्या आएंगे 21 हजार पंडित:सरयू की रेती पर 12 दिन चलेगा राम नाम महायज्ञ; 1008 नर्मदेश्वर शिवलिंग की होगी स्थापना

KHABREN24 on January 9, 2024
नेपाल से अयोध्या आएंगे 21 हजार पंडित:सरयू की रेती पर 12 दिन चलेगा राम नाम महायज्ञ; 1008 नर्मदेश्वर शिवलिंग की होगी स्थापना

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इससे पहले राम मंदिर से 2 किमी दूर सरयू नदी के बालू घाट पर 100 एकड़ में टेंट सिटी बसाई गई है। यहां 14 से 25 जनवरी तक राम नाम महायज्ञ चल चलेगा। इसके लिए 1008 नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की जाएगी। 1008 शिवलिंग के लिए 1008 कुटी भी बनाई गई है। इतना ही नहीं, 11 मंजिल का यज्ञ मंडप बनाया गया है। इसमें 100 कुंड हैं।

यज्ञ में नेपाल के 21000 पंडित शामिल होंगे। 14 जनवरी को यजमानों के मुंडन से समारोह शुरू होगा। 17 से रामायण के 24 हजार श्लोकों से हवन शुरू होगा, जो 25 जनवरी तक चलेगा। हर दिन पंचामृत से 1008 शिवलिंग का अभिषेक किया जाएगा।100 कुंडों में 1100 दंपती राम मंत्र से हवन करेंगे।

कार्यक्रम संत आत्मानंद दास महात्यागी (नेपाली बाबा) की अगुआई में होगा। नेपाली बाबा ने बताया कि हर दिन 50 हजार श्रद्धालुओं के रुकने का इंतजाम किया जा रहा है। इसके साथ ही हर दिन करीब 1 लाख श्रद्धालु यहां भोजन करेंगे। महायज्ञ समाप्त होने के बाद 1008 शिवलिंग को सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया जाएगा।”

पहले यज्ञ की तैयारियां देखिए…

महायज्ञ के लिए 100 एकड़ में तंबुओं का शहर बसाया जा रहा है।

11 मंजिल का यज्ञ मंडप बनकर तैयार हो गया है, जिसमें 100 कुंड बनाए गए हैं।

1008 कुश की कुटियां बनाई गई है। हर कुटी के नीचे एक शिवलिंग की स्थापना की जाएगी।

1008 कुश की कुटियां बनाई गई है। हर कुटी के नीचे एक शिवलिंग की स्थापना की जाएगी।

कार्यक्रम में 50 हजार श्रद्धालुओं के रुकने का इंतजाम किया जा रहा है। इसके साथ ही हर दिन करीब 1 लाख श्रद्धालु यहां भोजन करेंगे।

कार्यक्रम में 50 हजार श्रद्धालुओं के रुकने का इंतजाम किया जा रहा है। इसके साथ ही हर दिन करीब 1 लाख श्रद्धालु यहां भोजन करेंगे।

शिवलिंग के लिए मध्य प्रदेश से पत्थर मंगाए गए
नेपाली बाबा ने बताया, ”शिवलिंग के लिए मध्य प्रदेश की नर्मदा नदी के पत्थर मंगाए गए हैं। कारीगर पत्थरों को तराश कर शिवलिंग बना रहे हैं। 14 जनवरी से पहले यह काम पूरा कर लिया जाएगा। महायज्ञ में उज्जैन के महाकालेश्वर से 100 बटुक ब्राह्मण आ रहे हैं। नेपाल से 21000 मंत्र जापक ब्राह्मण शामिल होंगे। सभी पैदल ही अयोध्या आ रहे हैं। इन लोगों के साथ हजारों राम भक्त आ रहे हैं, जो 1 से 2 दिन में यहां पहुंच जाएंगे।”

महायज्ञ स्थल पर 24 द्वार इसी तरह से बनाए जा रहे हैं।

महायज्ञ स्थल पर 24 द्वार इसी तरह से बनाए जा रहे हैं।

यज्ञ परिसर में लगेंगे 24 द्वार
नेपाली बाबा ने बताया कि महायज्ञ में 24 द्वार लगाए जाएंगे। इनके नाम अवधपुरी, जनकपुर, श्रीराम द्वार, लक्ष्मण द्वार, मां सीता द्वार, हनुमान द्वार समेत 24 रामायण कालीन पात्रों के नाम से यह द्वार स्थापित किया जाएगा।”

अतिथियों के ठहरने के लिए अलग से टेंट लगाए जा रहे हैं।

अतिथियों के ठहरने के लिए अलग से टेंट लगाए जा रहे हैं।

900 टेंटों का शहर बनकर हुआ तैयार
नेपाली बाबा ने बताया, ”सरयू तट पर महायज्ञ में ठहरने वाले ब्राह्मणों और श्रद्धालुओं के लिए टेंट सिटी बसाई गई है। इसमें 900 टेंट लगाए गए हैं। मुख्य अतिथियों के लिए कुश की कुटी बनाई गई है। इनके रात्रि विश्राम के लिए अलग व्यवस्था की गई है। इनमें सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। पानी के लिए नल लगाए जा रहे हैं। अस्थाई शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है।”

यज्ञ परिसर में 900 टेंट स्थापित किए जा रहे है। इसमें यजमान रुक सकेंगे।

यज्ञ परिसर में 900 टेंट स्थापित किए जा रहे है। इसमें यजमान रुक सकेंगे।

नेपाली बाबा बोले-2015 के राम नाम महायज्ञ में लिया था संकल्प
नेपाली बाबा ने कहा, ”साल 2015 में सरयू तट पर 1 लाख लोगों ने मेरे संकल्प पर राम नाम जप महायज्ञ किया था। तभी संकल्प लिया था कि राम मंदिर बनने पर एक महायज्ञ करेंगे। अब मंदिर बनने के बाद महायज्ञ करने जा रहा हूं। विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल से मैंने कहा था कि 12 साल के अंदर राम मंदिर बनकर रहेगा। सब कुछ राम की कृपा से ही हो रहा है।”

यह संत आत्मानंद दास महात्यागी (नेपाली बाबा) हैं। इन्हीं की अगुआई में महायज्ञ होने जा रहा है।

यह संत आत्मानंद दास महात्यागी (नेपाली बाबा) हैं। इन्हीं की अगुआई में महायज्ञ होने जा रहा है।

कौन हैं नेपाली बाबा
नेपाली बाबा ने कहा, ”हम नेपाल के नहीं हैं। हम अयोध्या वासी हैं। मेरे शरीर का जन्म फटिक शिला पर हुआ है। मैं धर्म सम्राट तपस्वी नारायण दास का शिष्य हूं। नेपाल के राजा ने वहां यज्ञ करने के कारण मेरा नाम नेपाली बाबा रख दिया। यज्ञ के बाद वहां जमीन दिया, जिसके चलते मंदिर का निर्माण हो गया है। पूरे नेपाल में 10 हजार शाखाएं हैं, जिससे करीब 10 लाख लोग जुड़े हैं।”

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