गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- नए कानून व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार के तीन सिद्धांतों के आधार पर बनाए जा रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार अपराध न्याय प्रणाली से जुड़े तीनों कानूनों का मानवीकरण होगा।
आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन नए बिल लोकसभा में पास हो गए। इनमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल शामिल हैं। ये बिल 1860 के इंडियन पीनल कोड (IPC), 1973 के कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC) और 1872 के एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे। इनके तहत मॉब लिंचिंग और नाबालिग से रेप पर मौत की सजा का प्रावधान है। विधेयक पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों के समय का राजद्रोह कानून खत्म किया गया है।
ये खबर अहम क्यों है: तीनों बिल आज राज्यसभा में पेश किए जा सकते हैं। यहां से पास होने के बाद इन्हें मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। नए कानून में पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी। अब कोई गिरफ्तार होगा तो पुलिस उसके परिवार को जानकारी देगी। पहले यह जरूरी नहीं था।
कई धाराएं और प्रावधान बदल जाएंगे। पूछताछ से ट्रायल तक वीडियो कॉन्फ्रेंस से करने का प्रावधान होगा। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम 3 साल में देना होगा। देश में 5 करोड़ केस पेंडिंग हैं। इनमें से 4.44 करोड़ केस ट्रायल कोर्ट में हैं।