16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर रहा है। इस तारीख के संबंध में पंचांग भेद भी हैं। कुछ पंचांग में सूर्य के राशि परिवर्तन की तारीख 15 दिसंबर बताई गई है। धनु संक्रांति के बाद मकर संक्रांति (14 जनवरी 2023) तक मांगलिक कर्म नहीं किए जाते हैं। इस समय को खरमास कहा जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक धनु राशि के स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं, बृहस्पति सूर्य के गुरु हैं। उनकी राशि में सूर्यदेव प्रवेश करेंगे यानी सूर्य अब अपने गुरु बृहस्पति के घर में रहेंगे, उनकी सेवा में रहेंगे।
खरमास में नहीं रहते हैं मांगलिक कर्मों के लिए शुभ मुहूर्त
खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि मांगलिक कर्मों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। इन दिनों में मंत्र जप, दान, नदी स्नान और तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है। इस परंपरा की वजह से खरमास के दिनों में सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी अधिक लोग पहुंचते हैं। साथ ही पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में भक्तों की संख्या बढ़ जाती है।
खरमास में क्यों नहीं रहते हैं शुभ मुहूर्त
सूर्य एक मात्र प्रत्यक्ष देवता और पंचदेवों में से एक है। किसी भी शुभ काम की शुरुआत में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। जब सूर्य अपने गुरु की सेवा में रहते हैं तो इस ग्रह की शक्ति कम हो जाती है। साथ ही सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कम होता है। इन दोनों ग्रहों की कमजोर स्थिति की वजह से मांगलिक कर्म न करने की सलाह दी जाती है। विवाह के समय सूर्य और गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में होते हैं तो विवाह सफल होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं।
साल में दो बार आता है खरमास
एक साल में सूर्य एक-एक बार गुरु ग्रह की धनु और मीन राशि में जाता है। इस तरह साल में दो बार खरमास रहता है।
रोज करें सूर्य पूजा
खरमास में सूर्य ग्रह की पूजा रोज करनी चाहिए। सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं। जल में कुमकुम, फूल और चावल भी डाल लेना चाहिए। सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें।