उत्तराखंड के जोशी मठ में जमीन धंस रही है। 561 घरों में दरारें आ गई हैं। इससे लोग दहशत में हैं। 50 हजार की आबादी वाले शहर का दिन तो कट जाता है, लेकिन रात ठहर जाती है। लगातार भूजल रिसाव हो रहा है। हालात बदतर होते जा रहे हैं। लोग कड़ाके की ठंड में घर के बाहर रहने को मजबूर हैं। उन्हें डर लगा रहता है कि घर कभी भी ढह सकता है।
यहां के हालात का जायजा लेने के लिए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी शनिवार को जोशीमठ जाएंगे। सबसे ज्यादा असर जोशीमठ के रविग्राम, गांधीनगर और सुनील वार्डों में है। यह शहर 4,677 वर्ग किमी में फैला है। हैरान करने वाली बात है कि पिछले 13 साल से ऐसा हो रहा है।
6 महीने तक घरों का किराया देगी राज्य सरकार
इससे पहले सीएम धामी ने शुक्रवार को हाई लेवल मीटिंग की। इसमें डेंजर जोन को तत्काल खाली कराने और प्रभावित परिवारों के लिए सुरक्षित जगह पर एक बड़ा पुनर्वास केंद्र बनाने का आदेश दिया गया। साथ ही खतरनाक मकान में रह रहे 600 परिवारों को तत्काल शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए। जिन लोगों के घर रहने लायक नहीं हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उन परिवारों को किराए के मकान में रहने के लिए कहा गया है, इसके लिए उन्हें हर महीने 4 हजार रुपए दिए जाएंगे। ये राशि 6 महीने तक CM रिलीफ फंड से मुहैया कराई जाएगी।
अब तक के बड़े अपडेट्स
जोशीमठ में ऐसा क्यों हो रहा है, 2 बड़ी वजहें
पहला: NTPC की हाइडल प्रोजेक्ट की सुरंग और चारधाम ऑल-वेदर रोड निर्माण को इन हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। सुरंग में मलबा घुस गया था। अब सुरंग बंद है। प्रोजेक्ट की 16 किमी लंबी सुरंग जोशीमठ के नीचे से गुजर रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि संभवत: सुरंग में गैस बन रही है, जो ऊपर की तरफ दबाव बना रही है। इसी कारण जमीन धंस रही है।
दूसरा: जोशीमठ का मोरेन पर बसा होना।
जमीन धंसने से क्या हो रहा है?
जोशीमठ अलकनंदा नदी की ओर खिसक रहा है।
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500 से ज्यादा घरों में दरारें, एशिया का सबसे लंबा रोपवे बंद
सरकार की कार्यशैली से नाराज लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर प्रोटेस्ट किया।
जोशीमठ में बने 500 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं। अब तक 66 परिवार पलायन कर चुके हैं। सुरक्षा के मद्देनजर 38 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। जमीन धंसने के बाद जोशीमठ में एशिया का सबसे लंबा रोपवे बंद करने का फैसला लिया गया है।
बद्रीनाथ के प्रवेश द्वार पर डूबने का खतरा
चार धाम के प्रमुख धाम बद्रीनाथ के प्रवेश द्वार कहलाने वाले उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशी मठ के शहर पर डूबने का खतरा है। पांच सदस्यीय दल ने इसकी जांच की है। इसमें जोशी मठ के नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार, SDM कुमकुम जोशी, भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ दीपक हटवाल, कार्यपालक इंजीनियर (सिंचाई) अनूप कुमार डिमरी और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी शामिल थे।