युवाओं को सनातन से जोड़ने के लिए बन गईं साध्वी:इलाहाबाद विश्वविद्यालय से MSc राधिका सनातन को आगे बढ़ा रहीं हैं; चित्रकूट की हैं कथावाचक

KHABREN24 on February 2, 2023

यहां बात हो रही है चित्रकूट की रहने वाली कथावाचिका राधिका वैष्णव की। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमएससी (मैथ) की पढ़ाई करने वालीं राधिका अब पूरी तरह से साध्वी के रूप में नजर आती हैं। वो कथावाचिका हैं और देश भर में भ्रमण करके श्रीरामकथा सुना रही हैं। उद्देश्य यह है कि पूरे देश में जाकर लोगों को सनातन के बारे में बताएं और विशेष रूप से युवाओं को सनातन से जोड़ा जा सके। इन दिनों वो संगम के किनारे माघ मेले में श्रीरामकथा सुना रही हैं। वो सिर्फ 25 साल की हैं।

बातचीत के दौरान राधिका कहती हैं कि आज के समय में युवा पीढ़ी सनातन और संस्कृति से दूर होती जा रही है। हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी सनातन को न भूले। इसके लिए हम देश भर में जाकर-जाकर सनातन का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

राधिका वैष्णव को खरगोश पसंद है। करीब एक दर्जन खरगोश उनके आसपास रहते हैं।

संभाल रहीं पिताजी की विरासत
राधिका बताती हैं उनके पिता महामंडलेश्वर कपिलदेव दास नागा जी महाराज का कुछ माह पहले निधन हो गया। बचपन से ही उनके साथ ही रही। उन्हें देखते देखते वह धर्म और अध्यात्म की तरफ बढ़ने लगी। पिता जी चाहते थे कि बेटी अफसर बने तभी तो उन्होंने चित्रकूट जनपद से पढ़ाई करने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय भेजा था।

लेकिन राधिका के मन में बैठ गया था कि अपने सनातन धर्म के लिए काम करेंगी और इसे आगे बढ़ाएंगी। बताती हैं कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी और एमएससी किया। डिप्लोमा इन योगाचार्य, डीएलएड की पढ़ाई की। लेकिन पिता के स्वर्गवासी होने के बाद वह आगे पूरी तरह से उनकी आध्यात्मिक विरासत संभाल लीं।

विदेशी संस्कृति को अपना रही युवा पीढ़ी : राधिका

राधिका वैष्णव।

राधिका वैष्णव।

कथावाचिका राधिका वैष्णव कहती हैं कि आज की युवा पीढ़ी यह नहीं जाती कि भगवान श्रीराम कौन हैं? श्रीकृष्ण कौन हैं? वह विदेशी संस्कृति अपना रही है। हम सनातन की रक्षा युवाओं के जरिए कराना चाहते हैं। तभी हम विशेष रूप से युवाओं पर फोकस करते हुए अलग अलग स्थानों पर रामकथा करती हूं। वह कहती हैं कि आज महिलाएं हर काम में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं, बस इसीलिए वह आगे बढ़ीं और नकारात्मक बोलने वाले लोगों को नजरअंदाज करते हुए कथावाचिका बन गईं।

credit by DB

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