प्रयागराज में पिछले 44 दिनों से चल रहा माघ मेला महाशिवरात्रि के महास्नान के साथ समाप्त हो गया है। इन 44 दिनों में रिकॉर्ड 9 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने पहुंचे। यह किसी भी माघ मेले में सबसे बड़ी संख्या बताई जा रही है। इसके साथ ही साथ माघ मेले में 156 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ।
महाकुंभ-2025 के रिहर्सल के रूप में आयोजित हुआ माघ मेला
पूरे माघ मेले में 9 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम स्नान करने पहुंचे।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस साल संगम किनारे आयोजित किये गए आस्था के सबसे बड़ा सालाना धार्मिक और सांस्कृतिक समागम माघ मेले को 2025 में लगने वाले महाकुंभ के रिहर्सल के तौर पर कराने का निर्णय लिया था। इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए सरकार ने पहली बार अरैल में टेंट सिटी बसाई।
सामान्यतया यह टेंट सिटी महाकुंभ में बसती है। इसके अलावा 500 बेड की निश्शुल्क डाॅरमेट्री बनाई गई थी, जिसमें सभी अत्याधुनिक सुविधाएं श्रद्धालुओं को दी गई थीं। अब तक का माघ मेले का सबसे बड़ा बजट 79 करोड़ रुपए भी आबंटित किया गया था। सीएम योगी आदित्यनाथ खुद इस आयोजन की मॉनिटरिंग करते रहे। सरकार का यह प्रयास सफल भी रहा है।
माघ मेला अधिकारी अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि माघ मेले को पहली बार पॉलीथिन फ्री बनाया गया था। माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को कंट्रोल करने के लिए क्राउड मैनेजमेंट पर अधिक काम किया गया था।
संगम में नावों से भी पर्यटकों ने विहार किया और आनंद लिया। नावों को एक कलर में रंगा गया था।
9 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने किया स्नान
SSP माघ मेला डॉ. राजीव नारायण मिश्रा के मुताबिक इस बार के माघ मेले में 9 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई है । माघ मेले में अब तक दर्ज की गई श्रद्धालु की यह सबसे बड़ी संख्या है जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। इसके पहले माघ मेला 2021- 22 में 4 करोड़ 30 लाख श्रद्धालु पूरे माघ मेले में पहुंचे थे । प्रदेश सरकार द्वारा पहली बार माघ मेला के आयोजन में किए गए कई प्रयोग ,सुरक्षा और स्वच्छता की व्यवस्था इसकी वजह बताई जा रही है।
2 लाख लोगों को मिला रोजगार
माघ मेला में 17 स्नान घाट बनाए गए थे। सभी घाटों पर कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम भी बनाए गए थे।
संगम किनारे 1 महीने 14 दिन तक चले इस आयोजन में करोड़ों की संख्या में आए श्रद्धालुओं की वजह से माघ मेले में इस साल बड़ा कारोबार हुआ है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट ) के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल ने बताया कि इस बार के माघ मेले में लगभग 156 करोड़ का व्यापार हुआ है । इसके अलावा प्रयागराज के माघ मेले की वजह से वाराणसी, अयोध्या और विंध्याचल जैसे तीर्थों में भी बेहतर कारोबार हुआ है। पर्यटन को बढ़ावा मिला है।
माघ मेला के इस 44 दिवसीय आयोजन में 2 लाख से अधिक लोगों को अस्थाई रोजगार मिला है, जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।
स्वच्छता में महाकुंभ की रेप्लिका रहा माघ मेला
प्रयागराज के संगम किनारे लगे माघ मेले को इस बार आगामी महाकुंभ 2025 के विजन को ध्यान में रखकर बसाया गया था। क्राउड कंट्रोल, साफ-सफाई भी उसी स्तर की की गई थी। इस बार के माघ मेले में 2019 कुंभ मेले में अमल में लाई गई स्वच्छता व्यवस्था को नए रूप में उतारा गया था।
माघ मेला अधिकारी अरविन्द सिंह चौहान ने बताया कि माघ मेला को खुले में शौच मुक्त और प्लास्टिक मुक्त बनाया गया था। स्वच्छता को देखते ही टॉयलेट्स की व्यवस्था और सफाई कर्मियों की तैनाती की गई थी। मेला क्षेत्र में 17,400 शौचालय लगाए गए थे। इन टॉयलेट्स में 1400 एफआरपी ( Fibre -Reiforced Plastic ) टॉयलेट्स लगाए गए थे। इसके अलावा कपड़े से बने 10 हजार कनात टॉयलेट्स और पार्किंग एरिया में 3 हजार कनात टॉयलेट्स, कार्यदायी संस्थाओं के शिविर में 1600 टॉयलेट्स लगाए गए थे। माघ मेले के अन्दर ही एक एसटीपी का भी निर्माण कराया गया था। मेले की सफाई व्यवस्था 2160 स्वच्छता कर्मियों के हवाले थे।
संगम में फ्लोटिंग बॉक्सेज से कवर किया गया था ताकि कोई श्रद्धालु गहरे पानी में न चला जाए।
माघ मेले में सभी प्रमुख स्नान पर्वों पर योगी सरकार ने हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा भी कराई।
संगम में स्नान के लिए देश-दुनिया से श्रद्धालु आए।
माघ मेले में पहली बार 500 बेड की डॉरमेट्री तैयार की गई थी।
क्या बच्चे क्या बूढ़े, कई पीढ़ियां इस संगम क्षेत्र में कल्पवास कर रही थीं।
संगम क्षेत्र में फोटो खिंचवाने का भी खूब क्रेज रहा।
देश के कोने कोने से आए साधु कौतूहल के केंद्र रहे।
यह तस्वीर मौनी अमावस्या के स्नान के दिन की ड्रोन से ली गई है।
संगम क्षेत्र में प्रमुख स्नान वर्वों पर खचाखच भीड़ देखने को मिली।
तुबुओं की नगरी 44 दिन रहने के बाद अब उजड़ गई है।
संगम में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की आस्था देखते बन रही थी।
रात को संगम क्षेत्र न्यूयार्क सिटी की तरह लगती थी।
माघ मेले में इसी तरह से पांच पीपा पुल बनाए गए थे। 3 वापस लौटने के और दो पुल झूंसी साइड जाने के लिए बनाए गए थे।
रात में संगम क्षेत्र का नजारा देखते ही बनता था।
संगम क्षेत्र में रात का अद्भुत नजारा।