शिवभक्तों को आज शाम 4 बजकर 45 मिनट का इंतजार है…इस समय बाबा विश्वनाथ गौरा की विदाई कराकर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में विराजेंगे। पूरे विश्वनाथ गली में महंत आवास से लेकर मंदिर परिसर तक 15 मिनट की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। रंगभरी एकादशी पर आज महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ और मां गौरा की चल प्रतिमाओं के राजसी स्वरूप का भक्त दर्शन कर रहे हैं। गाना बजाना कर कलाकार जश्न मना रहे हैं।
काशी की गलियों में मथुरा से लाए सब्जी वाले रंगों, अबीर और गुलाल की होली खेली जाएंगी। देवों के देव दंपत्ति शिव-पार्वती अपने भक्तों को राजसी स्वरूप में दर्शन देंगे। हर-हर महादेव के जयघोष से गलियां गूंज उठेंगी। बराती नाच-गाना और तांडव करेंगे।
गौना की रस्म के दौरान शास्त्रीय नृत्य करते कलाकार।
हालांकि, शोभायात्रा के समय पालकी को छूने पर रोक है। वहीं, शोभायात्रा के दौरान श्रद्धालुओं से संयम बरतने की अपील की गई है। दूसरी ओर, आज हरिश्चंद्र घाट, तो कल मणिकर्णिका घाट पर विश्व प्रसिद्ध और अद्भुत चिता-भस्म की होली खेली जाएगी। जलते हुए राख शरीर पर लपेटे जाएंगे। नरमुंड पहन कर घाटों पर तांडव देखने को मिलेगा।
भूतभावन भगवान गंगाधर के जटा जूट से गंगा निकल रहीं हैं।
अब देखते हैं बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती का गौना कार्यक्रम…
आज रंगभरी एकादशी है। बाबा विश्वनाथ और मां गौरा के गौने का दिन है। गौना का कार्यक्रम 28 फरवरी की रात से ही चल रहा है। आज उनका राजसी श्रृंगार किया जा रहा है। भूतभावन भगवान शंकर दूल्हा बनकर अपने बारातियों के साथ बुधवार देर शाम से अपने ससुराल (टेढ़ीनाम स्थित महंत आवास) में डेरा डाले हैं। यहां पर उनकी और बारातियों की खातिरदारी में कोई कमी कसर नहीं छोड़ी जा रही है। फल, मेवा और मिश्रांबू की खास ठंडई से स्वागत किया गया। समय-समय पर पकवान परोसे जा रहे हैं।
बाबा विश्वनाथ को चंदन लगातीं महिलाएं।
राजशाही पगड़ी और मुकुट से राजसी श्रृंगार
गौना कार्यक्रम की शुरुआत आज बाबा के स्नान और पूजा के साथ भोर में साढ़े 3 बजे से शुरू हुई। बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती की रजत चल प्रतिमा पर पंचगव्य और पंचामृत स्नान कराकर रुद्राभिषेक किया गया। सुबह साढ़े 8 बजे से बाबा का राजसी श्रृंगार किया जा रहा है। बाबा की राजशाही पगड़ी और महारानी पार्वती मुकुट धारण करेंगी।
गौरा के लिए बरसाने का लहंगा और बाबा के लिए सूरत से खद्दर आया
गौरा को मथुरा के बरसाने से आए लहंगे में सजाया जाएगा। भगवान शंभू सूरत से आए खादी परिधान में सजेंगे। इसके बाद भोग आरती और शिवगण व आम लोगों को पालकी दर्शन कराया जाएगा। इस दौरान शिवांजलि संगीत महोत्सव होगा। पंडित अमित त्रिवेदी के रुद्रनाथ बैंड की प्रस्तुतियां होंगी। वहीं पौने 4 बजे बाबा मां गौरा को पालकी में बिठाकर काशी विश्वनाथ मंदिर रवाना हो जाएंगे। वहां पर भोग आरती के बाद शिव विवाह का कार्यक्रम संपन्न हो जाएगा।
आज बाबा विश्वनाथ के ज्योर्तिलिंग की सप्तऋषि और भोग आरती होगी।
विश्वनाथ मंदिर में होगी सप्तऋषि और भोग आरती
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में आज दोपहर 3 बजे से सप्तऋषि आरती होगी। वहीं, शाम 5 बजे बाबा विश्वनाथ मां गौरा के साथ मंदिर में विराजेंगे। इस बीच रात 9 बजे होने वाली आरती शाम 5 बजे की जाएगी।
यहां देखिए कब और क्या-क्या/गौना उत्सव का शेड्यूल