इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिलाओं के अवकाश को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि बच्चे के जन्म के बाद भी मातृत्व अवकाश देने से इनकार नहीं किया जा सकता। कानून के तहत महिला को बच्चे के जन्म के बाद भी मातृत्व अवकाश पाने का अधिकार है। यह फैसला जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव ने सरोज कुमारी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बहस की।
मातृत्व और चाइल्ड वेलफेयर दोनों अलग-अलग अवकाश
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह साफ किया है कि मातृत्व अवकाश व चाइल्ड केयर अवकाश दोनों अलग-अलग अवकाश हैं। दोनों एक साथ भी लिए जा सकते हैं। बच्चे का जन्म हो चुका है। इस आधार पर मातृत्व अवकाश देने से इनकार करना गलत है। मामला एटा जनपद का है। कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एटा के बच्चे का जन्म होने के बाद मातृत्व अवकाश देने से इनकार करने के आदेश को अवैध करार दिया। साथ ही साथ उसे रद्द कर दिया।
याची प्राइमरी स्कूल हीरापुर की प्रधानाध्यापिका है। कोर्ट ने याची का बकाया सहित नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने बीएसए को दो हफ्ते में आदेश का अनुपालन करने का निर्देश दिया है।
बीएसए के आदेश को प्रधानाध्यापिका ने दी थी चुनौती
बीएसए एटा ने टीचर के आवेदन को यह कहकर अस्वीकार कर दिया था कि बच्चे के जन्म के बाद मातृत्व अवकाश नहीं मिलेगा। याची चाइल्ड केयर अवकाश ले सकती है। जब कि याची ने 180 दिन का मातृत्व अवकाश मांगा था। इस मांग को खारिज करने की वैधता को याचिका में चुनौती दी गई थी। याची का कहना था कि मैटर्निटी बैनिफिट एक्ट के तहत महिला को बच्चे के जन्म से पहले व बाद में मातृत्व अवकाश लेने का अधिकार है। यह संसद द्वारा पारित कानून है। बीएसए ने कानून को समझने में गलती की है और वेतन रोकने का आदेश भी अवैध है। याची को मातृत्व अवकाश पाने का अधिकार है।