24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काशी दौरे के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग जुट गया है। प्रधानमंत्री वाराणसी के सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित टीबी कांफ्रेंस को संबोधित करेंगे। इसकाे लेकर वाराणसी स्वास्थ्य विभाग ने आज कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने लाए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, वाराणसी में कुछ ऐसे कई मरीज आए हैं, जिन्हें 2-3 साल से पीठ और कमर दर्द की शिकायत थी। अस्पताल में आए तो पता चला कि उन्हें रीढ़ की हड्डी में ट्यूबरकुलोसिस (TB) है। वाराणसी के शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल में पिछले साल जनवरी से दिसंबर तक जिले में 142 लोगों के रीढ़ की हड्डी में टीबी के मामले सामने आए हैं। इनमें से 100 लोगों का इलाज किया जा चुका है।
मंडलीय अस्पताल स्थित जिला क्षय रोग केंद्र के मेडिकल ऑफिसर डॉ. अन्वित श्रीवास्तव के अनुसार, हमें आभास ही नहीं होता कि रीढ़ की हड्डी में टीबी भी हो सकती है।
मालिश और पेन किलर से भी नहीं मिला आराम
लल्लापुरा निवासी 48 वर्षीय शकील के पीठ और कमर में दो साल पहले से लगातार दर्द उठता रहा। शकील को लगा कि कोई वजनी वस्तु उठाने से हुए खिंचाव की वजह से दर्द है। मालिश और दर्द निवारक गोलियों का सहारा लिया। कोई आराम नहीं मिला। दर्द बढ़ता जा रहा था। घर के अंदर चार कदम चलना तो दूर, पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो गया था। डॉक्टरों ने टेस्ट किया तो TB निकला। अब डेढ़ साल तक चले इलाज के बाद अब स्वस्थ महसूस कर रहे हैं।
डॉक्टर बोले- हम लोग करते हैं इग्नोर
मंडलीय अस्पताल स्थित जिला क्षय रोग केंद्र के मेडिकल ऑफिसर डॉ. अन्वित श्रीवास्तव का कहना है कि आम तौर पर लोग पीठ, कमर के दर्द को तब तक नजरअंदाज करते हैं, जब तक चलना-फिरना मुश्किल नहीं हो जाता था। दर्द असहनीय हो जाता है, तो डॉक्टर के पास जाते हैं। यह आभास भी नहीं होता कि रीढ़ की हड्डी में टीबी भी हो सकती है।
रीढ़ की हड्डी में टीबी तब होती है जब टीबी का संक्रमण फेफड़ों के बाहर फैलकर रीढ़ तक पहुंच जाता है।
कैसे होती है रीढ़ की हड्डी में टीबी
डॉ.अन्वित का कहना है कि वैसे तो टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है। लेकिन, कुछ मामलों में नाखून और बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। रीढ़ की हड्डी में टीबी तब होती है जब टीबी का संक्रमण फेफड़ों के बाहर फैलकर रीढ़ तक पहुंच जाता है। लोगों को आभास ही नहीं होता है कि उन्हें टीबी हुई है।
क्या है वजह
टीबी रोगी के संपर्क में आने से भी रीढ़ की हड्डी में टीबी हो सकती है। टीबी रोगी के संपर्क में आने के बाद यह फेफड़ों या लिम्फ नोड्स से खून के द्वारा से रीढ़ तक भी पहुंच सकता है।
रीढ़ में टीबी के लक्षण
पीठ में लगातार दर्द, कमजोरी महसूस करना, भूख न लगना, वजन कम होना, रात के समय बुखार आना, दिन में बुखार उतर जाना भी रीढ़ की हड्डी में टीबी का लक्षण हो सकता है।
रीढ़ टीबी का इलाज
डॉ.अन्वित का कहना है कि रीढ़ की हड्डी में टीबी का इलाज संभव है। सरकारी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था है, जहां टीबी रोगियों को दवाएं भी दी जाती हैं। सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये की धनराशि प्रति महीने मरीज के खाते में सीधे भेजी जाती है। वह बताते हैं कि दवाओं, परहेज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लेने से रीढ़ की हड्डी में हुआ टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है ।