शहर का चकिया इलाका, जहां माफिया अतीक का घर हुआ करता था। इसकी इलाके की पहचान माफिया डॉन अतीक अहमद से होती है। यहीं पर अतीक का दरबार लगता था। सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह से लेकर तमाम बड़े बड़े नेता यहां अतीक के घर आया करते थे। घर के बाहर लग्जरी गाड़ियों का काफिला होता था और अंदर नेता, अफसर और बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ हुआ करती थी।
अतीक का नाम आते ही पूरा इलाका सहम जाया करता था लेकिन आज परिस्थितियां बदली और अतीक का दरबार खंडहर के रूप में तब्दील हो गया। पूरा घर जमींदोज कराया जा चुका है। यहां आज अतीक का आतंक पूरी तरह से खत्म हो चुका है।
अतीक के घर के बाहर उसके तीन कुत्ते हैं, जिसकी देखभाल के लिए हीरा नाम का नौकर वहां मौजूद था। इलाके के लोग अतीक के खिलाफ हो रही कार्रवाई से खुश हैं।
मुलायम सिंह यादव अतीक अहमद के चकिया स्थित आवास पर भी आते थे।
लोगों ने कोर्ट के फैसले को ठहराया सही
अतीक अहमद के मोहल्ले में रहने वाले बुजुर्ग मो. आलम ने बताया, “एक समय था अतीक के सामने लोग कांपते थे। आज उसके खौफ का अंत हो चुका है। कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह उचित होगा।”
कार्तिकेय ने बताया, “योगी सरकार ने इस माफिया को मिट्टी में मिला दिया है। उसका आतंक आज खत्म हो गया है। पूरा इलाका शांतिपूर्ण ढंग से जिंदगी जी रहा है। इतनी बार विधायक और सांसद रहने के बावजूद इस क्षेत्र का विकास नहीं हो सका।”
हीरा ही अब अतीक के घर बाहर बैठा रहता है और की देखभाल करता है।
2 महीने से नहीं मिली तनख्वाह
हीरा अतीक अहमद का नौकर है। वह कई सालों से अतीक अहमद के घर का कामकाज करता था।
हीरा ने दैनिक भास्कर को बताया कि अतीक ने 5 हजार रुपए प्रतिमाह तनख्वाह पर उसे रखा था। 2 माह से उसे तनख्वाह नहीं मिल रहा है। उमेश पाल की हत्या के बाद हीरा भी वहां से चला गया। लेकिन अतीक के पांच कुत्तों में दो की मौत हो गई तो प्रशासन ने हीरा को फिर बुलाया ताकि बचे तीनों कुत्तों की देखभाल हो सके।
हीरा ने बताया कि हम लोग अतीक अहमद के पास बहुत कम जाते थे। जब वह परिसर में घूमने निकलते तो जितना पूछते उतना ही जवाब देकर हम लोग हट जाते थे। अतीक पर कार्रवाई के सवाल पर सिर्फ इतना ही बोला कि.. जैसी करनी वैसे भरनी, जो हो रहा है वह अच्छा ही है।
उमेश पाल हत्याकांड के बाद से अतीक का पूरा परिवार अपराधी बन चुका है।
अब अतीक का पूरा परिवार अपराधी
माफिया अतीक अहमद के खिलाफ खुद 100 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं लेकिन आज तक उसे किसी केस में सजा नहीं हुई, क्योंकि उसका खौफ इतना था कि गवाह भी डरते थे। आज 28 मार्च को उमेश पाल अपहरण केस मामले में उसे फैसला आएगा। इसके लिए कल सोमवार को उसे साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया। उसका भाई अशरफ बरेली जेल में बंद था उसे भी पुलिस प्रयागराज ला चुकी है। 24 फरवरी को राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह रहे उमेश पाल व दो गनर संदीप निषाद और राघवेंद्र की हत्या के बाद अतीक और उसके परिवार वालों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
अतीक के दो बेटे उमर और अली पहले से ही जेल में बंद हैं। उमेश पाल की हत्या के बाद से उसके दो नाबालिग बेटों को पुलिस बाल संरक्षण गृह में रखी है। हत्याकांड में शामिल तीसरे नंबर का बेटा असद फरार चल रहा है। जिसके खिलाफ 5 लाख रुपए का इनाम भी है। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन का नाम भी इस हत्या में आने के बाद से उनके खिलाफ भी 50 हजार का इनाम है, यह भी फरार चल रही है। अतीक का पूरा परिवार अपराधी घोषित हो चुका है।