उमेश पाल अपहरण कांड का दोषी अतीक अहमद अब जेल में रहेगा। प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट ने अतीक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस सजा के बाद अब पुलिस की नजर है अतीक के सबसे खास और भरोसेमंद शूटर अब्दुल कवि पर। अब्दुल कवि वही शख्स है जो 20 साल की उम्र में अतीक के करीब आया और फिर 2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड तक माफिया का सबसे खास बन गया।
अब्दुल कवि रहने वाला तो कौशांबी के भकंदा गांव का था लेकिन अतीक के करीब रहने के लिए उसने प्रयागराज को अपना ठिकाना बना लिया। राजू पाल हत्याकांड के बाद से वह अतीक के साइलेंट शूटर के रूप में काम कर रहा है। उमेश पाल हत्याकांड के बाद उसका नाम फिर सुर्खियों में आया है। पुलिस उसकी तलाश में लगी है।
ये शूटर अब्दुल कवि है। उमेश पाल हत्याकांड के बाद से पुलिस इसकी तलाश कर रही है।
अब्दुल ने बना ली 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति
पुलिस अब्दुल के प्रयागराज स्थित ठिकाने से लेकर कौशांबी तक का चप्पा छान रही है। उसके गांव में पिछले 4 दिन से लगातार रेड पड़ रही है। पुलिस की जांच में सामने आया है कि उसने अतीक की तरह 40 गुर्गों का गैंग खड़ा कर लिया है। कौशांबी में ही उसने 100 करोड़ से ज्यादा की अवैध संपत्ति बना ली। 4 गांवों में छानबीन के बाद पुलिस ने 50 से ज्यादा हथियार बरामद कर लिए हैं। प्रशासन की अब्दुल के अवैध रूप से महलनुमा बनाए गए 6 घरों पर बुल्डोजर चलाने की तैयारी है।
ये राजू पाल और उनकी पत्नी पूजा पाल की फोटो है। राजू पाल की हत्या के बाद पूजा पाल को बसपा ने विधायकी का टिकट दिया था।
अब पढ़िए अब्दुल कवि के अतीक के शूटर बनने की कहानी…
ग्रामीणों के मुताबिक, जब अब्दुल कवि अतीक के करीब आया तो वह करीब 20 साल का रहा होगा। खुद की पहचान और रुतबा बनाने का जुनून उसको अतीक गैंग के करीब लाया। खुद को साबित करने के लिए वो कोई भी क्राइम करने से पीछे नहीं हटता था।
लेकिन उसको तलाश थी कुछ ऐसा करने की जो उसको अतीक की नजरों में ले आए। उससे पहले वो धमकाने, लूट, खनन जैसे कामों में लगा रहता था। उसके ऊपर प्रयागराज और कौशांबी में कुछ मुकदमे भी दर्ज हुए लेकिन गवाहों के न पहुंचने से उन मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लग गई।
अतीक के गैंग में अपना वर्चस्व बनाने का मौका अब्दुल कवि को मिला साल 2005 में…
गणतंत्र दिवस से ठीक 1 दिन पहले यानी 25 जनवरी को प्रयागराज में बसपा के विधायक राजू पाल को सड़क पर दौड़ाकर गोली मारी गई थी। इस हत्या का मेन कारण था राजनीति में मिलने वाली अतीक को हार…उस समय बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को चुनाव में हरा दिया था। जो अतीक को बर्दाशत नहीं हुआ।
इसी के बदले में राजू की हत्या की गई थी। पुलिस के अनुसार इस हत्याकांड में माफिया अतीक अहमद, भाई अशरफ सहित कौशांबी के मूल निवासी शूटर अब्दुल कवि और अन्य शूटरों के नाम सामने आए।