तारीख- 30 मार्च, दिन- गुरुवार। देश रामनवमी मना रहा था, उसी दिन पश्चिम बंगाल के हावड़ा के शिबपुर में उपद्रव शुरू हो गया। हिंदू-मुस्लिम एक-दूसरे पर हमलावर थे। चार दिन बाद 2 अप्रैल को फिर बंगाल सुलगा। जगह थी हुगली जिले का रिषड़ा शहर।
इन घटनाओं पर बंगाल की CM ममता बनर्जी बोलीं- ‘बंगाल के लोग कभी हिंसा नहीं करते। दंगा करने के लिए BJP बाहर से लोगों को ला रही है। क्रिमिनल्स को लाकर हिंसा करवाई जा रही है। टीवी पर भी हमने देखा है। बंदूक लेकर मीटिंग कर रहे हैं, जुलूस में डांस कर रहे हैं।’
पुलिस ने जिन 116 लोगों को अरेस्ट किया, वो सभी लोकल
CM ममता के इस बयान की छानबीन करने के लिए भास्कर की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची। पड़ताल में सामने आया कि हावड़ा के शिबपुर में पुलिस ने जिन 42 लोगों को अरेस्ट किया है, वो सभी लोकल हैं। 19 साल के जिस सुमित साव का हथियार लहराते हुए वीडियो वायरल हुआ, जिसे बिहार के मुंगेर का बताया जा रहा है, वो भी हावड़ा के गोलाबाड़ी थाने इलाके में हलदर रोड पर रहता है।
उसके दो दोस्तों अविनाश यादव और आर्यन गुप्ता को भी अरेस्ट किया गया है, वो भी हावड़ा के फकरीबागान और नंदीबागान के रहने वाले हैं।
इसी तरह हुगली के रिषड़ा में कुल 74 लोगों को अरेस्ट किया गया है, ये भी सभी रिषड़ा और श्रीरामपुर के ही रहने वाले हैं। अरेस्ट हुए आरोपियों में से 7 लोगों की बेल के लिए अर्जी लगाने वाले एडवोकेट मृण्मय मजूमदार का कहना है कि, ‘पुलिस ने जिन लोगों को अरेस्ट किया है, वे सभी स्थानीय हैं। कुछ तो ऐसे हैं, जो हिंसा वाली जगह पर थे ही नहीं, तब भी उन्हें पकड़ लिया गया।’
पुलिस ने जिन 116 लोगों को अरेस्ट किया है, उनमें 83 हिंदू हैं, बाकी मुस्लिम। पुलिस अधिकारियों ने इस पर कोई भी ऑफिशियल बयान देने से इनकार कर दिया। कहा कि अब जांच CID कर रही है। जांच पूरी होने के बाद ही जानकारी मीडिया के साथ शेयर की जाएगी।
इस बीच, सोमवार, 10 मार्च को शिबपुर थाने के इंस्पेक्टर इंचार्ज अरूप कुमार राय और हावड़ा के इंस्पेक्टर इंचार्ज दीपांकर दास का ट्रांसफर कर दिया गया।
रिषड़ा पुलिस स्टेशन से मेडिकल चेकअप के लिए भेजी गई 16 आरोपियों की लिस्ट, जिसमें सभी का पता रिषड़ा का ही लिखा है।
10 दिन से स्कूल बंद, लोग घरों से नहीं निकल रहे
हिंसा के बाद कैसा माहौल है, ये जानने हम रिषड़ा पहुंचे। हमने देखा कि हफ्तेभर बाद भी लोग घरों से निकलने से बच रहे हैं। एरिया में सिर्फ जोमैटो, अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के डिलीवरी बॉय नजर आते हैं। कुछ टोटो-ऑटो सड़कों पर आते-जाते दिखते हैं, जिनमें इक्का-दुक्का सवारियां हैं। आम दिनों में यहां पब्लिक व्हीकल में जगह नहीं मिलती। पिछले 10 दिन से स्कूल बंद हैं। पेरेंट्स बच्चों को बाहर भेजने से डर रहे हैं।
राम नवमी जुलूस के दौरान, जहां हिंसा हुई थी, वहां पुलिस तैनात है। जवान सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। रात में ज्यादा चौकसी बरती जा रही है।
BJP नेता समर्थकों के साथ रिषड़ा आए थे…
आखिर हिंसा की शुरुआत हुई कैसे थी। यह जानने के लिए हमने 30 से लोगों से बात की, लेकिन किसी ने भी कैमरे पर या ऑन रिकॉर्ड कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हर किसी को यह डर है कि स्टेटमेंट के बाद उन्हें पुलिस पकड़ लेगी या कोई दुश्मनी पाल सकता है। काफी घूमने के बाद मुझे ऑटो में एक व्यक्ति मिले, जो पेशे से डॉक्टर हैं और फुटबॉल में स्टेट लेवल के प्लेयर रहे हैं।
उन्होंने नाम न देने की शर्त पर बताया कि, ‘मैं पिछले 5 दिन से अपना क्लिनिक नहीं खोल पाया। 60 साल की उम्र पूरी कर चुका हूं और मेरा परिवार पिछली तीन पीढ़ियों से यहां रह रहा है, हमने ऐसा आतंक पहले कभी नहीं देखा।’
‘अगर आप एक जर्नलिस्ट के तौर पर पूछेंगे, तो मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा, लेकिन एक भाई की तरह पूछ रहे हैं तो बताता हूं। नेता भड़काने वाले भाषण नहीं देते तो हिंसा नहीं होती। BJP के दिलीप घोष समर्थकों के साथ रिषड़ा में नहीं आते तो हिंसा नहीं होती। लोकल गार्जियन भी अपने बच्चों को घरों में रोक नहीं पाए। पुलिस लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन नहीं कर पाई। इसलिए ये सब हुआ।’
शिबपुर के मार्केट में 10 दिन से दुकानें बंद हैं। फोटो में दिख रही दुकान के सामने ही एक मंदिर है। यहां अब भी ईंट-पत्थर पड़े हुए हैं।
दहशत सिर्फ रिषड़ा में ही नहीं बल्कि शेराफुली, श्रीरामपुर, कोननगर, बाली में भी है। ये सभी एरिया रिषड़ा से 5 से 6 किमी के रेडियस में हैं। कोननगर में भी कोई कैमरे पर आने को तैयार नहीं हुआ। हालांकि, एक बात कई लोगों ने कही कि यहां की डेमोग्राफी बदल रही है। हिंदू और मुस्लिम दोनों ही कम्युनिटी के बाहरी लोग अब यहां आकर बस रहे हैं। उनकी आबादी तेजी से बढ़ रही है। ये सब नॉन बंगाली हैं।
हम रिषड़ा में जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद जाकिर हुसैन से मिले। उन्होंने कहा कि, ‘हिंसा वाले दिन के बारे में मैं कुछ भी नहीं कहना चाहता। जब हिंसा हो रही थी, तब हम नमाज अदा कर रहे थे।’
वहीं, पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रशांत भट्टाचार्य कहते हैं कि ‘रामनवमी से लेकर हनुमान जयंती तक, हम इन्हें त्योहार की तरह मनाने का ट्रेंड देख रहे हैं। इसकी वजह बंगाल में बाहर से आए BJP नेता हैं। तृणमूल ने भी उनके रास्ते पर चलना शुरू कर दिया है।’
‘BJP बंगाल की नब्ज नहीं समझ पाई। तृणमूल कांग्रेस के नेता हिंदुत्व की भावना को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि BJP उन पर माइनॉरिटी को सपोर्ट करने का आरोप लगाती है। पर यह बंगाल की हिंसा की सफाई नहीं हो सकती।’
‘रिषड़ा, श्रीरामपुर और कोननगर महेश रथयात्रा के जरिए पिछले 650 साल से सांप्रदायिक सद्भाव के गवाह रहे हैं। इस रथयात्रा में हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल होते हैं। रिषड़ा की जामा मस्जिद भी करीब 150 साल पुरानी है।’
‘पुलिस और खुफिया तंत्र की नाकामी हिंसा की सबसे बड़ी वजह है। BJP ने राजनीतिक फायदा लेने की योजना बनाई, लेकिन उन्हें इसका उल्टा नतीजा देखने को मिलेगा। स्थानीय लोग किसी भी ऐसी चीज का समर्थन करने को तैयार नहीं हैं, जो यहां की सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ सके।’
इस पूरे मामले में DB DIGITEL ने BJP नेता और बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी से बात की, पढ़िए उनका इंटरव्यू
सवाल : CM कह रही हैं BJP ने हिंसा करवाई?
जवाब : बंगाल में तुष्टिकरण की राजनीति ममता बनर्जी ने शुरू की। ये हिंसा उसी का नतीजा है। कुछ दिन पहले सागरदिघी उपचुनाव में TMC की हार हुई थी। इससे उन्हें पता चला कि माइनॉरिटी वोट उनके पास से खिसक रहा है। माइनॉरिटी वोट वापस लेने के लिए ही शिबपुर और रिषड़ा में हिंसा करवाई गई है।
सवाल : हिंसा के पीछे कौन है, क्या आप किसी का नाम बता सकते हैं?
जवाब : शिबपुर में TMC के नेता हैं शमीम अहमद। रिषड़ा में जायद हसन खान हैं, जो नगर निगम के वाइस चेयरमैन भी हैं। ये दोनों नेता नगर निगम से जुड़े हैं। इन्हीं ने पत्थरबाजी करवाई। आग लगवाई और राम भक्तों पर हमला करवाया। CM ने पहले ही दंगा-फसाद होने की बात कही थी। वे पहले से कैसे कह सकती हैं कि दंगा हो सकता है।
सवाल : हिंसा करवाने से तो ममता बनर्जी को नुकसान होगा, वो ऐसा क्यों करेंगी?
जवाब : बंगाल में करप्शन अभी बड़ा मुद्दा है। कई नेता-मंत्री जेल में हैं। अगले कुछ महीनों में पंचायत चुनाव होना हैं, करप्शन के मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए ही फसाद करवाया गया। हिंसा होने के बाद भी ममता बनर्जी ने सेंट्रल फोर्स तैनात नहीं की। मैंने प्रदर्शन किया और घटनास्थल पर जाने की कोशिश की, तब जाकर धारा-144 लगाई गई। ममता जी अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए ये कर रही हैं।
सवाल : CM कह रही हैं BJP बाहरी लोगों को लाई थी, जो बाद में भाग गए?
जवाब : बंगाल में इस बार रामनवमी ऐतिहासिक थी। एक हजार से ज्यादा जुलूस निकले। 50 से 60 लाख भक्त जय श्रीराम का नारा लगाते हुए सड़कों पर उतरे। ये सब विश्व हिंदू परिषद (VHP) और सनातनी सामाजिक संगठनों ने किया था। दोनों जगहों के CCTV देखकर पता चला गया है कि इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार है। शिबपुर में एक हाईराइज बिल्डिंग के ऊपर से पत्थरबाजी हुई। वो माइनॉरिटी इलाका है।
जिस सुमित साव को बिहार का बताया जा रहा है, वो नॉर्थ बंगाल का ही है। हम कह रहे हैं कि पूरी जांच NIA को दीजिए और मॉनिटरिंग कोर्ट करे। मैंने कोर्ट से सेंट्रल फोर्स की तैनाती की मांग की थी, इसलिए हनुमान जयंती पर कहीं हिंसा नहीं हुई।
सवाल: आपके हिसाब से ममता बनर्जी मुस्लिमों के वोट पाना चाहती हैं, लेकिन इससे हिंदू वोट भी तो उनसे दूर जाएंगे?
जवाब : हिंदू कम्युनिटी को ममता बनर्जी इग्नोर करती हें। पिछले विधानसभा चुनाव में 100 में से 54 हिंदुओं ने BJP को वोट दिया था। 100 में से 91 मुस्लिमों ने ममता बनर्जी को वोट दिया। उन्हें 47.47% और हमें 38.14%वोट मिले थे। पूरे सनातनी वोट हमें मिले। हम अगले चुनावों में TMC को उखाड़ फेकेंगे।
सवाल : CM कह रही हैं वाम और राम का गठजोड़ हो गया है?
जवाब : वाम और राम के गठजोड़ की बात गलत है। वामपंथी भी TMC की तरह तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं। पिछले साल लक्ष्मी पूजन पर इतनी बड़ी हिंसा हुई, लेकिन वामपंथियों ने कोई प्रदर्शन नहीं किया। अभी शिबपुर और रिषड़ा की घटना के बाद भी वो लोग सड़कों पर नहीं उतरे।
हमारे अलायंस का सवाल ही नहीं उठता। हमारी कम्युनिस्ट के खिलाफ आइडियोलॉजिकल लड़ाई है। पिछले दो चुनावों के नतीजों से पता चलता है कि बंगाल में वामपंथ का वजूद नहीं रह गया है।
इस मामले में हमने TMC के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार से भी बात की, पढ़िए उनका क्या कहना है…
सवाल : BJP कह रही है मुस्लिमों को जोड़े रखने के लिए TMC ने हिंसा करवाई?
जवाब : ये सब 2016 से शुरू हुआ। दुर्गा पूजा कई साल से चली आ रही है, लेकिन कभी कोई कम्युनल और रिलिजियस प्रॉब्लम नहीं हुई। मैं खुद BJP में रहा हूं। आपको अपना अनुभव बताता हूं। BJP ऑफिस में RSS और उनके दूसरे संगठन से जुड़े लोग योजना तैयार करते हैं।
धार्मिक रैली के पहले देखा जाता है कि कहां हमारी क्या स्ट्रेंथ है। ये तय किया जाता है कि रैली कैसे निकालना है। यह भी देखते हैं कि कहां मस्जिद और दूसरे सेंसेटिव एरिया आ रहे हैं, जहां माइनॉरिटी पॉपुलेशन ज्यादा है।
फिर ये बताया जाता है कि उस इलाके में कैसे नारे लगाना है। हाथ में तलवार होती है, इससे दूसरा पक्ष भी जवाब देता है। कोशिश ये होती है कि जहां पुलिस फोर्स तैनात है, वहां के अलावा और किसी रूट से रैली निकाली जाए।
फिर जब दूसरा पक्ष रिटेलिएट करता है तो दंगा-फसाद होता है। फिर पुलिस को कठघरे में खड़ा किया जाता है। पिछले साल हावड़ा में जो हुआ, वही इस बार भी हुआ। जो बयान पिछले साल BJP के नेताओं ने दिए थे, वही इस साल भी दे रहे हैं।
सवाल : लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने की जिम्मेदारी तो सरकार की होती है, आपकी पुलिस फेल कैसे हो गई?
जवाब : पूरे देश में 7 जगहों पर रामनवमी के दिन हिंसा हुई, लेकिन बंगाल में यह दो-तीन दिन तक चली। ये भी इनका एक तरीका है। पुलिस पर सवाल खड़े कर रहे हैं, तो ये बताइए कि जब दिल्ली में किसान आंदोलन चल रहा था, तो क्या पुलिस तैनात नहीं थी या इंटेलिजेंस रिपोर्ट नहीं थी, फिर हिंसा कैसे हो गई। दिल्ली में दंगे हो गए, तब पुलिस को क्यों नहीं पता चला।
सिचुएशन ऐसी बन जाती है कि कई बार पुलिस कुछ नहीं कर पाती। BJP के लिए सबसे बड़ा सेटबैक ये रहा है कि बंगाल में हुई हिंसा में किसी की मौत नहीं हुई, जबकि बिहार में दो लोग मर गए। बंगाल में मौतें हो जाती, तो BJP इसे पूरे देश में बड़ा मुद्दा बना पाती।
जिस सुमित साव की बात की जा रही है वो हावड़ा के साल्किया में ही रहता है, लेकिन उसका परिवार बिहार के मुंगेर का है। वो बिहार ही भागा था, वहीं से अरेस्ट हुआ है। हम ये कह रहे हैं कि बजरंग दल और VHP के जो एक्टिविस्ट हैं, वो राज्य में आते हैं और दंगा करवाते हैं।
ये VHP के टेस्टेड लोग होते हैं। भीड़ में सौ लोग लोकल के होते हैं तो 10 से 15 ये एक्टिविस्ट होते हैं। इन्हीं की लीडरिशप में दंगा-फसाद होता है। फिर ये वापस अपनी जगह पहुंच जाते हैं। बंगाल में भी हिंसा के बाद ये लोग लौट गए।
सवाल : आप सब जानते हैं, फिर भी आपकी पुलिस किसी को अरेस्ट नहीं कर पाई?
जवाब : CM ने खुद कहा है कि बंगाल पुलिस के कुछ अफसर सिचुएशन को भांपने में फेल रहे। जब रूट चेंज हुआ था, तो उसे उसी वक्त रोका जाना था। ऐसा नहीं किया गया। जांच के बाद ऐसे अफसरों पर भी एक्शन लिया जाएगा। VHP का कहना है कि हमने चिट्ठी दी थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, ये गलत बात है।
माइनॉरिटी एरिया में रिटेलिएशन हुआ। रमजान चल रहा है, कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई। इन्हीं दो-तीन दिन में प्रॉब्लम क्यों हुई। उनके मोहल्ले में जाकर ललकार लगाएंगे, तो उसका कुछ इफेक्ट तो होगा, रिटेलिएशन तो होगा।
सवाल : BJP कह रही है सागरदिघी की हार की वजह से हिंसा करवाई गई?
जवाब : ये तो BJP की पॉलिटिकल बेवकूफी है। उन्हें लगता है कि सागरदिघी में मुस्लिम वोट TMC से खिसक गया, फिर भी वो मस्जिदों के सामने जाकर तलवारें लहरा रहे हैं। नारे लगा रहे हैं। ऐसे में तो माइनॉरिटी के लोग और ज्यादा TMC से जुड़ेंगे। हिंदू वोट तो एकजुट होते नहीं। TMC का फॉर्मूला क्या है। 30%मुस्लिम वोट और 70%में से 15% हिंदू वोट मिल गए, तो काम हो गया। ये तो BJP जानती है। NIA जांच की मांग भी इनकी पॉलिटिकल डिमांड है।
हावड़ा में रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा कैसे शुरू हुई, इस पर दोनों पक्षों ने अलग दावे किए, पढ़िए ये ग्राउंड रिपोर्ट…
मुस्लिम बोले- जुलूस में हथियार लहराए, हमारे इलाके में घुसे; हिंदुओं ने कहा- हम पर छतों से पत्थर बरसाए गए
पश्चिम बंगाल के हावड़ा में 30 मार्च को रामनवमी पर हिंसा हुई थी। स्थानीय लोगों से बात की, तो दोनों पक्षों ने अलग दावे किए। हिंदू कहते हैं कि जिन घरों में मुस्लिम रहते हैं, वहां से पत्थरबाजी शुरू हुई। वहीं मुस्लिमों को कहना है, जुलूस में हजारों की भीड़ हमारे एरिया में घुसी। वो लोग हाथों में हथियार लहरा रहे थे। हमारी कम्युनिटी के खिलाफ नारे लगा रहे थे। डीजे पर भी ऐसे ही गाने बज रहे थे, इसलिए माहौल खराब हो गया और हिंसा शुरू हो गई।