शाइस्ता की मददगार मुंडी पासी आई सामने:बोली-अतीक ने मेरे भाई की हत्या कराई, उसकी लाश भी नहीं मिली; शाइस्ता से मेरा लेना-देना नहीं

KHABREN24 on May 1, 2023

उमेश पाल मर्डर केस में फरार चल रही अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन की मददगार के रूप में नाम आने के बाद मुंडी पासी खुद सामने आ गई। उसने बयान दिया, ”यह सब झूठ है। मेरे ऊपर गलत आरोप लग रहे हैं।”

उसने कहा, ”मैं बेकसूर हूं। मुझे फंसाया जा रहा है। मेरी खुद अतीक अहमद और शाइस्ता से दुश्मनी है। अतीक ने मेरे भाई को मरवाया था। मेरे 4-4 भाई मर गए। उनकी लाश भी नहीं मिली थी। शाइस्ता से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।”

मुंडी पासी से जब पूछा गया कि फरवरी में उसकी शाइस्ता से मुलाकात हुई थी, तो उसने कहा कि यहां नहीं हुई थी, चौराहे पर हुई थी। मुझे बहाने से बुलाया गया था और जब मैं वहां पहुंची, तो देखा कि कैंप लगा हुआ है तो मैं भाग आई थी।

इसके पहले सोमवार सुबह मुंडी पासी की पहली बार फोटो भी सामने आई थी। दरअसल, धूमनगंज थाने की हिस्ट्रीशीटर मुंडी पासी की अभी तक कोई फोटो पुलिस के पास नहीं थी। फोटो सामने आने के बाद 50 हजार की इनामी मुंडी पासी को पुलिस गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है।

यूपी STF के मुताबिक, बसपा से महापौर पद की उम्मीदवार घोषित होने के बाद शाइस्ता परवीन के साथ यह महिला कई बार देखी जा चुकी है। मुंडी पासी के खिलाफ कई थानों में दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं। माना जा रहा है कि शाइस्ता के फरार होने के बाद मुंडी उसको लगातार मदद पहुंचा रही है।

अब आपको पढ़वाते हैं कि गुड्‌डू मुस्लिम की बहन क्या-कुछ कहती है…

गुड्‌डू मुस्लिम की बहन नसबीन बानो के मुताबिक वो कभी गुड्डू से नहीं मिलीं।

बहन ने कहा- गुड्‌डू 13 साल पर घर छोड़ गया
गुड्‌डू मुस्लिम की बहन नसबीन बानो ने बताया कि 13 साल की उम्र में गुड्‌डू मुस्लिम घर छोड़कर भाग गया था। फिर कभी वापस नहीं आया। बस हमें इतना ही पता है कि गुड्‌डू मुस्लिम बदमाशी करता था। वो कहां रहा और क्या करता रहा हमें इसके बारे में ज्यादा नहीं पता। मेरे मां-बाप ने उसे कबका घर और जायदाद से बेदखल कर दिया है।

अवतार सिंह से मंगाए थे 10 विदेशी असलहे, गुड्‌डू के घर पर नोटिस चस्पा
उमेश पाल की हत्या के लिए बमबाज गुड्डू मुस्लिम ने दिल्ली से हथियार मंगाए थे। दिल्ली पुलिस ने एक हथियार तस्कर की गिरफ्तारी के बाद इसका खुलासा किया है। इसको लेकर गुड्डू के शिवकुटी स्थित घर पर नोटिस चस्पा किया है। अब दिल्ली पुलिस को भी गुड्डू की तलाश है।

दरअसल, दिल्ली पुलिस ने 28 मार्च 2023 को अवतार सिंह नाम के असलहा तस्कर को गिरफ्तार किया। अवतार सिंह असलहा की सप्लाई इंटर स्टेट लेवल पर करता है। उसने पूछताछ में बताया कि उसने उमेश की हत्या से कुछ दिन पहले खालिद-जीशान नाम के जरिए गुड्‌डू मुस्लिम को 10 विदेशी असलहों की सप्लाई की थी। खालिद और जीशान असलहा तस्कर के संपर्क में पहले से थे।

ये तस्वीर गुड्डू मुस्लिम के फरार होने के बाद मेरठ में अतीक के बहनोई के घर से मिली थीं।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जीशान और खालिद को 28 मार्च को शेख सराय, दिल्ली इलाके से गिरफ्तार किया था। इसके बाद दोनों के पास से दो पिस्टल और मैगजीन बरामद की गई थी। दोनों की निशानदेही पर 31 मार्च को दिल्ली से ही जावेद नाम के एक अपराधी को गिरफ्तार किया गया था।

असद-गुलाम उमेश हत्याकांड के बाद दिल्ली में छिपे थे
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने तीनों से पूछताछ करना शुरू किया, तो खुलासा हुआ कि हत्याकांड के बाद अतीक अहमद का बेटा असद और शूटर गुलाम दिल्ली पहुंचे थे। उनकी मदद से ही काफी दिनों तक दिल्ली में छिपे रहे। दिल्ली पुलिस ने 9 अप्रैल को चारों को तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

गुड्‌डू मुस्लिम के गांव से भास्कर ने ग्राउंड रिपोर्ट की थी, चलिए आपको पढ़वाते हैं …

उमेश पाल हत्याकांड के बाद सुलतानपुर जिले में पड़ने वाला गुड्‌डू मुस्लिम का गांव इटकौली भी सुर्खियों में आ गया है। बताया जा रहा है कि 40 साल पहले गुड्डू मुस्लिम के पिता को कुष्ठ रोग हो गया था। इस वजह से परिवार का सामाजिक बहिष्कार हो गया। परिवार का हुक्का-पानी बंद हो गया। इसके बाद परिवार प्रयागराज शिफ्ट हो गया। इटकौली गांव सुलतानपुर शहर से 8 किलोमीटर दूर है। गांव के पीछे गोमती नदी है।

गांव के लोग गुड्डू मुस्लिम को जानते हैं
करीब ढाई हजार की आबादी वाले गांव में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। गांव के लोग गुड्डू मुस्लिम को जानते तो हैं, लेकिन उसके बारे में कोई ज्यादा बात करने के लिए तैयार नहीं होता है। हमें कुछ उसके करीबी मिले जिन लोगों ने हमें गुड्डू के बारे में बताया।

हालांकि, ग्रामीणों ने कैमरे के सामने बात नहीं की। कहने लगे, ”कैमरे के सामने बोलेंगे तो पुलिस पकड़ लेगी”। ज्यादातर ग्रामीण गुड्डू मुस्लिम को माफिया के तौर पर जानते हैं। कहते हैं, “गांव के बच्चे बहुत अच्छी-अच्छी जगह नौकरी कर रहे हैं। लेकिन, इसी गांव में पैदा होने वाला गुड्डू मुस्लिम माफिया बन गया। ये हमारे लिए शर्म की बात है।”

ये गांव के कुछ लोग हैं, जिन्होंने बताया कि उन लोगों ने कभी गुड्डू को सामने से नहीं देखा। लेकिन उसके चर्चे सुने हैं।

ये गांव के कुछ लोग हैं, जिन्होंने बताया कि उन लोगों ने कभी गुड्डू को सामने से नहीं देखा। लेकिन उसके चर्चे सुने हैं।

4 भाइयों में सबसे बड़ा था गुड्डू मुस्लिम
गुड्डू 4 भाइयों में सबसे बड़ा था। उसके एक भाई की मौत प्रयागराज में हुई है। वहीं एक भाई की मौत सऊदी अरब में हो गई। दोनों भाइयों की मौत बीमारी के कारण ही हुई थी। वहीं उसका एक भाई कहां है? इसकी किसी को जानकारी नहीं है।

अब पढ़िए उन करीबियों की बात जिन्होंने हमें गुड्डू के कारनामों के बारे में बताया…

गुड्डू का गांव 40 साल पहले इस गांव से जा चुके हैं। गांव में गुड्डू के बारे में ऑन कैमरा बात करने को कोई तैयार नहीं हुआ।

ग्रामीणों ने बताया कि गुड्डू के पिता शफीक करीब 40 साल पहले इस गांव से जा चुके हैं। उस समय गुड्डू 11 साल का रहा होगा। गुड्डू के पिता को कुष्ठ रोग था। शुरू में तो शरीर के कुछ ही हिस्सों में वो रोग फैला हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे वो पूरे शरीर में फैलता चला गया था।

“गुड्डू के घर का छुआ कोई नहीं खाता”
गुड्डू के पिता का एक तरह से सामाजिक बहिष्कार सा हो गया था। घर या गांव में कोई भी फंक्शन हो कोई भी उसको बुलाता नहीं था। यहां तक की परिवार के लोगों को भी कोई नहीं बुलाता था। पंचायती लिहाज से उसका हुक्का पानी बंद कर दिया गया। उनके यहां का छुआ कोई नहीं खाता था। कुष्ठ रोग के कारण एक तरह से गुड्‌डू का परिवार अलग-थलग पड़ गया था। उस दौर में कुष्ठ रोग को छुआछूत की बीमारी माना जाता था।

ये घर गुड्डू मुस्लिम का पैतृक घर बताया जा रहा है। गांव से जाने से पहले वो अपने परिवार के साथ यहीं रहता था।

ये घर गुड्डू मुस्लिम का पैतृक घर बताया जा रहा है। गांव से जाने से पहले वो अपने परिवार के साथ यहीं रहता था।

“गुड्डू ने उस दुकान वाले को खूब पीटा था”
उस समय गुड्डू कुछ 11 साल का रहा होगा। ये सब देखकर उसको बहुत गुस्सा आता था। कई बार वो गांव के लोगों से इस बात को लेकर अकेले भिड़ जाता था। एक बार वो अपनी अम्मी के साथ बाजार कुछ सामान लेने गया था।

बाजार में दुकानदार ने उसकी अम्मी से बदतमीजी की और दोनों को दुकान से भगा दिया। इस पर काफी मारपीट भी हुई थी। इसी घटना के बाद पूरा गांव उन लोगों के विरोध में आ गया था। इसके बाद ही गुड्डू का पूरा परिवार गांव छोड़कर इलाहाबाद यानी प्रयागराज चला गया था।

इसी गली में जाकर गुड्डू का पैतृक घर पड़ता है। जो लगभग खंडहर हो चुका है।

इसी गली में जाकर गुड्डू का पैतृक घर पड़ता है। जो लगभग खंडहर हो चुका है।

“गुड्डू ने अपने परिवार से नाता तोड़ लिया था”
करीबी बताते हैं कि पैतृक गांव में गुड्डू के चाचा भी रहते हैं। लेकिन उसके परिवार ने सबसे नाता तोड़ लिया था। कुछ लोग ऐसे थे जो गुड्डू के परिवार के करीबी थे। वो लोग अक्सर उन लोगों से मिलने प्रयागराज (तब इलाहाबाद) जाया करते थे। लेकिन गुड्डू अपने गांव में किसी को पसंद नहीं करता था। वो हमेशा अपने परिवार के लोगों से बोलता था, जब गांव वाले हम लोगों का बहिष्कार कर रहे थे। तब नहीं आए तो फिर अभी क्यों आ रहे हैं।

“गांव में कोई मुझसे ऊंची आवाज में बात न करे”
गुड्डू के करीबियों ने बताया, “वह कहता था कि अब जब भी गांव आऊंगा तो ऐसे आऊंगा कि सब सम्मान करें। कोई ऊंची आवाज में बात न कर पाए।” ग्रामीण बताते हैं कि गुड्डू कई बार गांव आया था और रुका भी। उमेश की हत्या के बाद यूपी पुलिस और एसटीएफ भी गांव आई थी। कुछ पूछताछ के बाद वो लौट गई थी। इसी चीज से हमें लगा था कि गुड्डू के कुछ तार अभी भी इस गांव से जुड़े हुए हैं।”

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