प्रयागराज में महापौर के लिए त्रिकोणीय लड़ाई:भाजपा, कांग्रेस और सपा प्रत्याशियों की तरफ दिखा ज्यादातर वोटरों का रूझान

KHABREN24 on May 5, 2023

प्रयागराज में नगर निकाय का चुनाव तो गुरुवार को खत्म हो गया। लेकिन राजनीतिक पंडित अब वोटरों के रूझान पर अपना-अपना समीकरण बता रहे हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो त्रिकोणीय लड़ाई है। महापौर कौन बनेगा या किस पार्टी का होगा यह तो 13 मई को ही पता चलेगा। लेकिन महापौर की लड़ाई में भाजपा, कांग्रेस और सपा के प्रत्याशी लड़ाई में हैं। भाजपाई और सपाई अपनी जीत पक़्की मान रहे हैं। बात की जाए कांग्रेस प्रत्याशी प्रभाशंकर मिश्र की तो यहां भले ही कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक न हो, लेकिन वह पेशे से अधिवक्ता होने के कारण वकीलों और उनके परिवार के करीब 2 लाख वोट पाने का दावा भी कर रहे हैं।

अभी तक मुस्लिमों को सपा का वोट बैंक माना जाता था लेकिन इस बार के चुनाव में मुस्लिमों में सपा के प्रति नाराजगी भी दिखी। यही कारण रहा कि मुस्लिमों के वोट में बिखराव हो गया। मुस्लिमों का झुकाव सपा से ज्यादा कांग्रेस की तरफ दिखा। वहीं, कुछ मुस्लिम बसपा के प्रति समर्पित दिखाई दिए। जिसका कारण बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी भी बताया जा रहा है।

मुस्लिम इलाकों में फर्जी आधार कार्ड लेकर मतदान करने पहुंची थी मुस्लिम महिलाएं।

मुस्लिम इलाकों में फर्जी आधार कार्ड लेकर मतदान करने पहुंची थी मुस्लिम महिलाएं।

प्रचार में सबसे आगे रही BJP

नगर निकाय चुनाव में इस प्रचार BJP प्रचार में सबसे आगे रही। वहीं दूसरी ओर भाजपा में अंदुरूनी कलह भी दिखी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो दिन पहले ही प्रयागराज में चुनावी जनसभा करने पहुंचे थे। जबकि उप सीएम केशव प्रसाद मौर्य और प्रभारी मंत्री स्वतंत्र देव सिंह लगातार यहां डेरा डाले रहे। रूठे लोगों को मनाने से लेकर घर-घर जाकर महापौर प्रत्याशी गणेश केसरवानी को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़े।

वहीं सपा, कांग्रेस और बसपा प्रचार के मामले पीछे रही। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को छोड़ दें तो यहां कोई बड़ा चेहरा प्रचार में नहीं आया। बसपा और कांग्रेस में यही हाल रहा। कांग्रेस में बड़े चेहरे की बात करें तो राज्यसभा सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी प्रचार के नाम पर महज एक दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करने यहां आए थे।

भाजपा में आपसी विवाद से हो सकता है नुकसान

सपा नेता रईस चंद्र शुक्ला के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी में अंदुरूनी कलह दिखी। केशव ने रईस चंद्र को पार्टी में शामिल कराया तो उसी दिन नंदी ने अपनी नाराजगी मीडिया के सामने जाहिर कर दी। वहीं दूसरी ओर महापौर और पार्षद का टिकट न मिलने से कई भाजपाई अंदर से नाराज दिखे। इससे कहीं न कहीं भाजपा का नुकसान भी हो सकता है।

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