ज्ञानवापी पर मुस्लिम पक्ष की अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट से खारिज:श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के अधिकार वाले केस को चुनौती दी थी

KHABREN24 on May 31, 2023

ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा का केस वाराणसी कोर्ट में चलता रहेगा। इस केस के खिलाफ मस्जिद कमेटी की पुनर्विचार याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया। वाराणसी की जिला अदालत भी पहले मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर चुकी है।

श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग 5 हिंदू महिलाओं ने की थी और वाराणसी कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। इस पर जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने 23 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “बहुत ही ऐसिहासिक फैसला है, क्योंकि मुस्लिम पक्ष हमेशा दावा करता रहता था कि यह केस प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट फैक्ट से बाधित है। वाराणसी की सिविल कोर्ट ने 12 सितंबर को हमारे पक्ष में फैसला दिया था। वही बात आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी जस्टिस जेजे मुनीर ने कही है। जिसमें उन्होंने होल्ड किया कि रिवीजन पिटीशन मेंटेनेबल नहीं है और अंजुमन इंतजामिया की पिटीशन डिसमिस कर दी।

मुस्लिम पक्ष याचिका पर कोर्ट ने क्या कहा
हिंदू पक्ष, विवादित संपत्ति पर मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश और भगवान हनुमान की पूजा करने के अधिकार की मांग कर रहा है। इसलिए, सिविल कोर्ट के पास इस मामले का फैसला करने का अधिकार क्षेत्र है। आगे, वादी की दलीलों के अनुसार, वे 1993 तक लंबे समय से विवादित स्थान पर मां श्रृंगार गौरी, भगवान हनुमान, भगवान गणेश की पूजा कर रहे थे।

1993 के बाद, उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य के नियामक के तहत साल में केवल एक बार पूजा करने की अनुमति दी गई थी। 15 अगस्त, 1947 के बाद भी नियमित रूप से यहां पूजा की जाती रही है। इसलिए, पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत पूजा पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।

सितंबर 2022 में हुई थी सुनवाई
श्रृंगार गौरी में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर पिछले साल सितंबर में वाराणसी की जिला अदालत के फैसले की चुनौती याचिका पर सुनवाई की गई थी। जिला जज एके विश्वेश की अदालत में राखी सिंह और 4 महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर के बाहरी हिस्से में स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना किए जाने की मांग की थी। 12 सितंबर को जिला कोर्ट ने अपने 26 पेज के फैसले में माना था कि याचिकाकर्ता महिलाओं का दावा उपासना स्थल कानून 1991 के दायरे से बाहर है।

साल में एक बार ही होती है श्रृंगार गौरी की पूजा
वाराणसी में श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा के अधिकार की मांग जारी है। अभी श्रृंगार गौरी की पूजा पूरे साल में केवल एक दिन होती है। चैत्र के महीने में पड़ने वाली नवरात्रि के चौथे दिन श्रृंगार गौरी की पूजा होती है। इस साल भी ये पूजा हुई थी इससे पहले माता श्रृंगार गौरी की पूजा से पहले चबूतरे की साफ-सफाई की जा रही है और इसके बाद एक दिवसीय पूजा-पाठ शुरू होता है।

श्रृंगार गौरी की पूजा करने वाले व्यास परिवार के जितेंद्र नाथ व्यास ने बताया कि माता श्रृंगार गौरी के मंडप को सिंदूर से रंगा जाता है, इसके बाद मां श्रृंगार गौरी का एक मुखौटा लगाया जाता है। ये मुखौटा जहां लगाया जाता है, पत्थरों के बीच की वो जगह पर श्रृंगार गौरी स्थापित हैं।

महिला वादिनी ने कहा था- नमाज की तरह हमें मिले पूजा का अधिकार
इससे पहले महिला वादियों ने कहा था- माता हम लोगों को शक्ति दें कि मूल स्थान के दर्शन कर सकें। मां श्रृंगार गौरी से कामना की। बाबा मिल गए हैं। जैसे ज्ञानवापी में नमाज होती है, वैसे ही हमें भी दर्शन पूजन का अधिकार मिले। हमारे केस में कमीशन की कार्रवाई में काफी साक्ष्य मिले हैं। हम निराश नहीं हैं। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का केस जीत चुके हैं।

ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी से जुड़ा केस क्या है?
पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांगी थी। इन महिलाओं ने खासतौर पर श्रृंगार गौरी की हर दिन पूजा करने की इजाजत चाही थी। कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में सर्वे भी किया गया था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के तहखाने में शिवलिंग मौजूद है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था।

18 अगस्त 2021 को 5 महिलाएं ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, गणेश जी, हनुमान जी समेत परिसर में मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा की इजाजत मांगते हुए कोर्ट पहुंची थीं। अभी यहां साल में एक बार ही पूजा होती है। इन पांच याचिकाकर्ताओं का नेतृत्व दिल्ली की राखी सिंह कर रही हैं, बाकी चार महिलाएं सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक बनारस की हैं।

26 अप्रैल 2022 को वाराणसी सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के सत्यापन के लिए वीडियोग्राफी और सर्वे का आदेश दिया था।

Shree Shyam Fancy
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