उत्तरकाशी की सिल्क्यारा बरकोट टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर आने के लिए अब 6-7 दिन का इंतजार करना पड़ सकता है। मजदूरों और रेस्क्यू टीम के बीच 60 मीटर की दूरी है। 21 नवंबर को अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू की गई, लेकिन 25 नवंबर की सुबह करीब 47 मीटर पर मशीन जवाब दे गई।
लोहे के पाइप से मशीन के टकराने के बाद ड्रिलिंग को रोक दिया गया। बची हुई 12-13 मीटर की खुदाई अब हाथ से करने का प्लान है। हाथ से कितना टाइम लगेगा, कोई नहीं जानता।
दूसरे ऑप्शन के तहत अब पहाड़ के ऊपर से ड्रिलिंग की जाएगी। ऊपर की तरफ से ड्रिलिंग करने पर करीब 90 मीटर तक खोदना होगा। ये पहले से जारी हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग से न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि धीमी भी है।
47 मीटर खोदने में करीब 3 दिन लगे थे। ऐसे में एक्सपर्ट के मुताबिक ऊपर से ड्रिलिंग कर नीचे पहुंचने में और 6-7 दिन लग सकते हैं। वो भी तब जब ड्रिलिंग रुके नहीं और मलबे में कोई ऐसी चीज न आए, जिससे मशीन को नुकसान हो। ऐसे में इन मजदूरों का फिलहाल बाहर आना संभव नजर नहीं आ रहा।
टूट रहा फंसे हुए मजदूरों का सब्र, रेस्क्यू टीम निराश
रेस्क्यू के 14वें दिन (शनिवार 25 नवंबर) को टनल साइट पर हर किसी के चेहरे पर निराशा दिखी। किसी भी अधिकारी ने मीडिया से ऑन रिकॉर्ड कोई नई जानकारी शेयर नहीं की। उधर अंदर फंसे मजदूरों का सब्र टूट रहा है। उनके परिवार वालों ने बताया कि टनल में फंसे हुए मजदूर 15 दिन से बाहर निकाले जाने का इंतजार कर रहे हैं।