पूरे देश में भगवान राम के स्वागत की तैयारी चल रही है। सभी को इंतजार है तो 22 जनवरी का, जब सभी मिलकर अयोध्या के राम मंदिर में प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। ऐसे में सोशल मीडिया पर भी राम मंदिर से जुड़ी वीडियो और फोटोज जमकर वायरल हो रही है।
ऐसा ही एक वीडियो काशी ऐसे ही कलाकार की वायरल हो रही जो बड़े ही खूबसूरती से बांसुरी को बनाते हैं और उससे कई ज्यादा खूबसूरत उसके सुर में आवाज भरते हैं। अस्सी घाट पर मुश्ताक करीब 30 वर्षों से बांसुरी बनाने और बेचने के साथ ही साथ मुफ्त में सिखाने का भी काम करते हैं। इन दिनों उसके पास जो भी आ रहा प्रभु राम के गीतों की धुन सुनने और सीखने का डिमांड कर रहा।
राम गीत के धुन को बजाने की डिमांड सबसे अधिक
दैनिक भास्कर की टीम जब मुस्ताक के पास पहुंची तो वह एक युवक को बांसुरी बजाना सिखा रहे थे। उन्होंने कहा कि इस समय हर कोई राम भजन ही सुनना चाह रहा है क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर बन रहा हैं। उन्होंने कहा कि राम गीत की धुन को बजाते बजाते मेरे भी अन्दर भाव उत्पन्न हो रहा है। मन में खुशी हैं कि मंदिर बन रहा हैं क्योंकि लोगों की आस्था वहां से जुड़ी है, उन्होंने कहा कि रोजाना घाट पर हजारों लोग जाते हैं, जो हमारे इस धुन को सुनते हैं, उसमें से 50 लोग ऐसे हैं जो इस धुन को सिखाते हैं और बांसुरी को खरीदने हैं।
मुस्ताक के ने बजाया रामधुन
मुस्कान से सबसे पहले पहले “राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी” और फिर “हे राम हे राम” सहित अन्य गीतों के धुंन को बजाया। जिसको सुनने के लिए घाट जाने वाला घर एक व्यक्ति ठहर गया और मुस्कान भाई को धुंन को सुनने लगा और उनके धुंन को अपने मोबाइल में रिकार्ड करने लगा।
आइये जानते है मुश्ताक के बारे में…
मुश्ताक अस्सी घाट पर बांसुरी की दुकान लगाते हैं यह वाराणसी के मुडाइला ( मंडुआडीह ) के रहने वाले हैं। मुश्ताक बताते हैं कि हमारे परिवार के लोग संगीत से जुड़े हुए थे और उसी परंपरा का निर्वहन हम भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब शादी हो गई तो उसके बाद पैसे की आवश्यकता होने लगी फिर हम घाट पर दुकान लगाने लगे। उन्होंने बताया कि हमने बांसुरी बनाने और बेचने का काम शुरू कर दिया।
जब मैं शुरू शुरू में बनारस के घाटों पर बांसुरी की दुकान लगाया करता था, तो लोग पसंद नहीं करते थे और जब हम यहां इसे बेचने के साथ-साथ बजाया करते थे तो लोग काफी नाराज भी हुआ करते थे। लेकिन समय बदलने के साथ-साथ आज मुश्ताक के पास जो भी पर्यटक आते हैं वह मुश्ताक के इस बांसुरी की आवाज को सुनाने के लिए एक बार जरूर ठहर जाता हैं और मुश्ताक भाई के इस बांसुरी को सीखने के साथ-साथ खरीदना भी पसंद करते हैं। मुश्ताक भाई उन्हें पहले बांसुरी बजाने का तरीका सिखाते हैं और बड़े ही अदब लिहाज से उन्हें यह बांसुरी देते हैं।
विदेशी पर्यटक भी रहते हैं मुश्ताक भाई से खुश
मुस्ताक से काफी विदेशी पर्यटक भी सीखने आते हैं। ऐसे ही एक पर्यटक ने बताया कि मुस्ताक भाई का सिखाने का अंदाज बड़ा ही सरल है। मुश्ताक बताते हैं कि ऐसे भी विदेशी पर्यटक हमारे सामने आए जो यहां से सीखकर विदेशों में अपना एक क्लास भी चला रहे हैं और लोगों को बांसुरी बजाना भी सिखा रहे हैं। निस्वार्थ भाव से बांसुरी बेचने के साथ से निःशुल्क सिखाना मेरे मन को एक शांति प्रदान करता है। जिसका मैं कोई चार्ज नहीं लेता हूं लोग खुश होकर मुझे कुछ दे देते हैं और मैं उसे तोहफा समझ कर रख लेता हूं।