Kharmas 2025 Katha in Hindi : खरमास में सूर्य की गति क्यों पड़ जाती है मंद, जानें खरमास की पौराणिक कथा

KHABREN24 on January 3, 2025
Kharmas 2025 Katha in Hindi : खरमास में सूर्य की गति क्यों पड़ जाती है मंद, जानें खरमास की पौराणिक कथा

सूर्यदेव पृथ्वी पर जीवन के दाता माने जाते हैं। सूर्य के ताप के बिना जीवन संभव नहीं है। सूर्य से प्रकृति जुड़ी हुई हैं। इस कारण से खरमास में जब सूर्य का तेज कम होता है, तो में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, शिशु संस्कार आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी सूर्य को ग्रहों का राजा और पिता का प्रतीक माना जाता है। खरमास में सूर्य की शक्ति कम हो जाती है। यह परिवार के मुखिया की कमजोर स्थिति जैसा होता है। ऐसे में मान्यता है कि पिता के तेज की अनुपस्थिति में मंगल कार्य संपन्न नहीं कराए जा सकते। खरमास से एक पौराणिक कहानी जुड़ी है। आइए, विस्तार से जानते हैं खरमास की पौराणिक कथा।

खरमास की पौराणिक कथा

खरमास की पौराणिक कथा के अनुसार सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर ब्रह्मांड का चक्कर लगाते हैं। जिससे कि समय की गति आगे बढ़ती जाती है। एक बार सूर्यदेव इसी तरह ब्रह्मांड का चक्कर लगा रहे थे। इस क्रम में लगातार कई सदियों से चलते हुए सूर्यदेव के घोड़ों की स्थिति दयनीय हो चुकी थी लेकिन फिर भी सूर्यदेव के घोड़े बिना किसी शिकायत के चलते ही जा रहे थे। जब सूर्यदेव की नजर अपने घोड़ों पर जाती है, तो सूर्यदेव को उनकी दशा पर दया आ जाती है। ऐसे में वे घोड़ों को तालाब किनारे ले जाते हैं। लेकिन रथ रोकना संभव नहीं होता क्योंकि रथ रोकने पर जनजीवन ठहर जाता। ऐसे में तालाब के पास सूर्यदेव को दो खर यानी गधे दिखाई दिए। सूर्यदेव अपने घोड़ों को वहां विश्राम करने की अनुमति देते हैं और समय के रथ को खींचने के लिए आगे खर को बांध देते हैं। गधों के कारण रथ धीमा चलता है। यह समय एक महीने तक चलता है। इसे ही खरमास कहते हैं। जब तक घोड़े आराम कर लेते हैं। फिर सूर्य उत्तरायण यानी मकर संक्रांति को घोड़े फिर से सूर्यदेव के रथ को खींचकर समय को गति देने में जुट जाते हैं। तब सूर्यदेव की गति और तेज फिर से लौट आता है और मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।

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