भाई के साथ मैं और मां नाना के बरसी में शामिल होने लहरतारा, नई बस्ती जा रहे थे। कैंट स्टेशन के सामने मां के हाथ में चाइनीज मांझा उलझ गया, जिसे हटाते हुए भाई से गाड़ी रोकने को कहा। बाइक रुकी तो मां के हाथ से मांझा हटाने लगी। उधर भाई बाइक पर औंधे मुंह गिर गया। उसे देखते ही चीख निकल पड़ी। उसके गले से खून की धारा निकल रही थी। गला काफी गहरा कट गया था।
यह कहना है कोनिया के रहने वाले विवेक शर्मा (25) की बहन सोनम शर्मा का। विवेक की 31 दिसंबर की शाम चाइनीज मांझे से गला कटने से मौत हो गई हादसे के समय बहन सोनम भी साथ ही थी। सोनम ने सिसकते हुए बताया-भाई को तो बोलने तक का मौका नहीं मिला और मांझे ने उसकी जिंदगी की डोर काट दी।
वाराणसी में 31 दिसंबर को चाइनीज मांझे की चपेट में आकर विवेक शर्मा की मौत हो गई।
बहन सोनम शर्मा की आंखों देखी… वाराणसी के आदमपुर थानाक्षेत्र के कोनिया नई बस्ती में स्थित राजेश शर्मा के दो मंजिला मकान पर दैनिक भास्कर की टीम पहुंची। उनके भाई और रिश्तेदार घर पर मौजूद थे। राजेश शर्मा बाहर गए थे।
हमने उन्हें बताया की परिजनों से बात करनी है, तो विवेक की बहन सोनम और मां श्यामलता आईं। मां हमें देखते ही फूट-फूटकर रोने लगीं। हमने फिर बहन सोनम से बात की। सोनम 12वीं में पढ़ती हैं।
बहन सोनम के साथ भाई विवेक शर्मा।
नाना की बरसी के लिए घर जल्दी आया था भाई सोनम ने कहा- 31 दिसंबर हमारे लिए मनहूस दिन बन गया। इसी दिन नाना जी गए और अब भाई भी हमसे दूर हो गया। मंगलवार को हमें नाना की बरसी में लहरतारा, नई बस्ती जाना था। इसलिए भाई घर जल्दी आ गया। हमने भाई को खाना दिया। इसके बाद भाई के साथ मैं और मां बाइक से नाना के घर के लिए निकले।
लहरतारा फ्लाईओवर पर गला कट गया सोनम ने बताया- शाम के 5 बज रहे थे। बाइक पर मैं बीच में और मां पीछे बैठी थी। अचानक देखा मां के हाथ से मांझा उलझा है और खून निकल रहा है। उसको छुड़ाते हुए भाई को बाइक रोकने को कहा। बाइक रुकते ही हम दोनों नीचे उतरे। तभी देखा तो भाई बाइक पर औंधे मुंह गिर गया। उसे उठाया तो उसके गले से खून का फव्वारा निकल रहा था और गला कट चुका था।
कैंसर अस्पताल ने कहा- ले जाओ ट्रॉमा सेंटर सोनम ने कहा- भाई को देखकर मां अपना दर्द भूल गई। हम दोनों चिल्लाने लगे। मैंने फौरन भाई को उठाकर सड़क पर लिटाया और ई-रिक्शा वाले को अस्पताल ले चलने को कहा।
ई-रिक्शा वाला नजदीक के होमी भाभा कैंसर अस्पताल की इमरजेंसी लेकर पहुंचा तो वहां के डॉक्टर्स ने इलाज करने से मना कर दिया। कॉटन उसके गले पर रख दी और एम्बुलेंस से हमें ट्रॉमा सेंटर भेज दिया। भाई के गले से लगातार खून बह रहा था और वह एकदम शांत हो चुका था।
ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टर्स ने मृत बता दिया सोनम ने रोते हुए बताया- मैंने पापा को फोन कर कहा- ट्रॉमा सेंटर आ जाइए। वहां पहुंचने पर डॉक्टर्स ने भी पहले कॉटन हटाई और दोबारा नई कॉटन उसके गले पर रख दी और उसे स्ट्रैचर पर रख कर अंदर ले गए, हमें बाहर ही रोक दिया।
बार-बार यही पूछते रहे कि बड़े लोग घर से कब आएंगे, मैंने कहा आ रहे हैं। फिर पापा पहुंचे तो उन्हें भी भाई को नहीं दिखा रहे थे। थोड़ी देर बाद पता चला की भाई की मौत हो गई है।
साड़ी का डिब्बा बनाने का करते थे काम सोनम ने बताया- पिता जी छोटा सा सैलून चलाते हैं। बड़े भैया अभिषेक वर्मा की दिमागी स्थिति सही नहीं है। विवेक भैया ही पूरे घर का खर्च चला रहे थे। वो मदनपुरा इलाके में एक साड़ी की फर्म में डिब्बा बनाने का काम करते थे। अब हम लोग क्या करेंगे कैसे चलेगा परिवार।
मां ने बस इतना कहा- मेरा बच्चा कहां चला गया मां श्यामलता की आंखों के सामने उनका बेटा हमेशा के लिए खामोश हो गया। इस सदमे से वो उबर नहीं पा रही हैं। हमने उनसे बात करनी चाही तो वो कुछ बोलने से पहले कांपने लगीं और रोते हुए बस इतना ही कहा- कहां गया मेरा बच्चा।
अब आपको 2020 की घटना के बारे में बताते हैं…पिता ने 7 साल की मासूम बच्ची को खो दिया
अगर कृतिका की तस्वीर न होती तो हम लोग जिंदा न होते वाराणसी के नदेसर इलाके के घौसाबाद में रहने वाले संदीप गुप्ता की जिंदगी में 29 अगस्त 2020 को दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। संदीप से दैनिक भास्कर से उस घटना के बारे में बात की थी; संदीप ने बताया- वह बात आज भी दिल के कोने में घाव की तरह है। जिससे निकलने के लिए रोजाना अपनी बेटी की तस्वीर देखते हैं। वरना हम पति-पत्नी जिंदा नहीं रह पाते।
यह तस्वीर कृतिका की है। जिसकी 2020 में चाइनीज मांझे की चपेट में आने से मौत हो गई थी।
डॉक्टर को दिखाने ले गए थे पांडेयपुर संदीप 29 अगस्त 2020 की घटना को याद करते हुए बताते हैं- उस दिन शहर में कोई वीआईपी आया हुआ था और कोविड के खत्म होने के बाद का समय था। हम लोगों को शाम 5 बजे तक बाहर जाने की छूट होती थी। बेटी कृतिका (7) की तबीयत खराब थी और उसे फीवर था और खांसी आ रही थी।
ऐसे में मैं उसे अपने मित्र डॉक्टर के यहां पांडेयपुर लेकर गया था। कचहरी होते हुए गया था तो उस समय एक हेलिकॉप्टर पुलिस लाइन के मैदान में उतर रहा था जिसे कृतिका नहीं देख पाई थी।
अपने माता-पिता के साथ कृतिका।
आवाज आई पापा मांझा और काट गई जिंदगी की डोर संदीप रुंधे गले से बताते हैं- जैसे ही ऊपर की तरफ चढ़ना शुरू किया आगे स्कूटी पर खड़ी कृतिका चिल्लाई पापा मांझा। मैंने गाड़ी रोकी तो उसके गले से खून का फव्वारा निकल रहा था। उसे लेकर अस्पताल भागा पर तब तक देर हो चुकी थी। उसकी सांस की नाली में ब्लड जा चुका था और उसकी सांसें थम चुकी थीं। बस उस दिन से फोटो और कृतिका का छोटा भाई हमारा सहारा है।
अपनों को खोने वालों ने कहा- हर हाल में बंद हो चाइनीज मांझे की बिक्री सोनम ने अपने भाई को अपनी आंखों के सामने खोया है। सोनम ने कहा- पुलिस को और सरकार को चाहिए इसे बंद करे। इसे बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई करे। तभी मेरे भाई को सच्चा न्याय मिलेगा। इसके अलावा सोनम ने परिवार को चलाने के लिए सरकारी नौकरी और मुआवजे की मांग भी की।
पुलिस हर हाल में लगाए अंकुश ताकि न मरे कोई और कृतिका अपनी बेटी को खोने वाले संदीप कहते हैं- सख्त नियम के बावजूद औरंगाबाद, आदमपुर, बजरडीहा, आदि इलाकों में धड़ल्ले से इसकी बिक्री और सप्लाई हो रही है। पुलिस इन पर कार्रवाई करे। रोजाना सैकड़ों किलो यहां से अन्य जगह जा रहा है। इनपर रोक लगे।