महाकुंभ का आज (29 जनवरी) 17वां दिन है। मौनी अमावस्या पर सबसे पहले तीन शंकराचार्यों ने अमृत स्नान किया। अब साधु-संत छोटे-छोटे ग्रुप में अपने इष्टदेव के साथ सांकेतिक रूप से संगम स्नान कर रहे हैं।
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज रथ पर निकले। नागा साधुओं ने तलवार लहराईं। जयकारे लगाते हुए संगम घाट पहुंचे। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि महाराज ने संगम में डुबकी लगाई। हेलिकॉप्टर से संतों और श्रद्धालुओं पर फूलों की बारिश की गई।
इससे पहले तड़के अखाड़ों के साधु-संत अमृत स्नान के लिए निकले थे। इस बीच, भगदड़ के बाद संगम पर हालात बेकाबू हो गए। प्रशासन ने तुरंत अखाड़ों से अपील की- स्नान के लिए न जाएं। साधु-संतों ने बैठक की। पहले तय हुआ कि अखाड़ों के साधु-संत मौनी अमावस्या पर स्नान नहीं करेंगे।
हालात पर 3 घंटे में काबू पा लिया गया। सीएम ने अखाड़ों से बात की। संत अमृत स्नान के लिए राजी हो गए। दैनिक भास्कर से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया, ‘हम अपने देवता के साथ सांकेतिक अमृत स्नान करेंगे। कोई बड़ा जुलूस नहीं निकालेंगे।’
अब तक 5.71 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई है। वहीं, 28 जनवरी तक 20 करोड़ लोग महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं। प्रशासन की कोशिश है कि आसपास के घाटों पर स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं को वापस किया जाए।
महंत रवींद्र पुरी बोले- हजारों संत मेरे साथ, जल्द घाट खाली कर देंगे
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, हम अमृत स्नान के लिए जा रहे हैं। हजारों संत और नागा संन्यासी मेरे साथ हैं। हम जल्द ही घाटों से हट जाएंगे। ताकि श्रद्धालु पवित्र स्नान कर सकें।