ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भजन कीर्तन के साथ उन्हें पालकी में बैठाकर समाधि स्थल तक लाया गया। जहां मौजूद साधु-संतों ने वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक रीति-रिवाज के बीच शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को समाधि दी गई। इस दौरान हजारों की संख्या में मौजूद उनके शिष्य, अनुयायी और श्रद्धालु मौजूद रहे।
जगतगुरु के उत्तराधिकारियों का ऐलान…..
वहीं जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के देवलोक गमन के बाद उनके उत्तराधिकारियों के नाम का ऐलान हो गया है। उनके शिष्य दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज को ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ और दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज को द्वारका शारदा पीठ का प्रमुख घोषित किया गया है।
इससे पहले ज्योतिष पीठ का प्रभार अविमुक्तेश्वरानंद महाराज जबकि द्वारका पीठ का प्रभार दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती जी ही संभाल रहे थे। वे स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के प्रतिनिधि के रूप में पीठ का कार्यभार संभाल रहे थे। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती हिन्दू धर्म के सबसे बडे धर्म गुरु रहे हैं। वे ऐसे एकलौते संत थे जिन्हें दो मठों का शंकराचार्य बनाया गया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके पहले पूर्व सीएम कमलनाथ, विधायक जयवर्धन सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी भी आश्रम जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
बता दें कि भू समाधि के लिए 108 कलश जल से स्वामी स्वरूपानंद जी को स्नान कराया गया। इस दौरान काशी से आए ब्राह्मण वैदिक रीति-रिवाज और मंत्रोच्चार किया गया। स्नान कराने के बाद उनका दुग्ध अभिषेक किया गया। साथ ही मस्तक पर शालिग्राम जी को स्थापित किया गया। बाद मां भगवती मंदिर से आश्रम तक परिक्रमा हुई। इस परिक्रमा में स्वामी स्वरूपानंद जी को पालकी पर बिठाकर परिक्रमा कराई गई। परिक्रमा पूरी होने के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी को समाधि स्थल पर ले जाया गया। जानकारी मिली है कि समाधि स्थल पर कुछ दिनों बाद एक मंदिर बनाया जाएगा और उसमें शिवलिंग की स्थापना की जाएगी।