ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस की सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। वाराणसी के जिला जज डॉ. एके विश्वेश ने अपने आदेश में कहा है कि ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी का केस सुनने के योग्य है।
इस मामले में अब आगे क्या होगा? इसे लेकर भास्कर ने वाराणसी सिविल कोर्ट के दो सीनियर एडवोकेट सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन विवेक शंकर तिवारी और बनारस बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री नित्यानंद राय से बात की। उन्होंने बताया कि मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन का अधिकार मिल जाता है, तो भी ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने पर कोई असर नहीं होगा।
10 सवालों के जरिए इस पूरे विवाद को समझिए और जानिए आगे क्या हो सकता है…
1. याचिका एक्सेप्ट कर ली गई है, अब आगे क्या होगा?
जवाब: याचिका तो कोर्ट में पहले से ही एक्सेप्टेड है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्ति थी कि सिविल प्रक्रिया संहिता के ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत केस सुनवाई के योग्य नहीं है, क्योंकि ज्ञानवापी क्षेत्र पूजा स्थल एक्ट, वक्फ एक्ट और काशी विश्वनाथ एक्ट के प्रावधानों के तहत आता है। उनकी आपत्ति को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब 22 सितंबर को सुनवाई होगी।
अब आगे लिखित बयान दाखिल किए जाएंगे और मुद्दे तय किए जाएंगे। मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी प्रकरण में जिन अन्य लोगों ने पार्टी बनने के लिए एप्लिकेशन दी हैं, उनका निपटारा कोर्ट करेगा। कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी मिलने के बाद अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी उसके खिलाफ हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल कर सकती है।
2. कोर्ट में आगे किन चीजों पर सुनवाई होगी? पूजा की अनुमति मिल गई तो क्या होगा?
जवाब: कोर्ट में मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देव विग्रहों की सुरक्षा के संबंध में दाखिल सिविल मुकदमे की नियमित सुनवाई शुरू होगी। शिवलिंग मिलने का जो स्थान बताकर मस्जिद के वजूखाने को सीज किया गया था, सुनवाई में वह मसला भी शामिल होगा।
हिंदू पक्ष एडवोकेट कमिश्नर की ज्ञानवापी कमीशन की रिपोर्ट को सुनवाई का एक अहम बिंदु बनाने की मांग कर सकता है। हिंदू पक्ष ज्ञानवापी के धार्मिक स्वरूप के निर्धारण के लिए ASI से रडार तकनीक से पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग भी कोर्ट से कर सकता है। पूजा की अनुमति का फिलहाल कोई सवाल नहीं है, यह तो मुकदमे के फैसले के बाद होगा।
3. इस फैसले से क्या ज्ञानवापी मस्जिद पर कोई असर पड़ेगा?
जवाब: फिलहाल ऐसा तो कहीं से नहीं है। इस मुकदमे में ज्ञानवापी की जमीन पर कब्जे के लिए दावे से संबंधित यानी स्वामित्व का निर्धारण नहीं होना है। 5 महिलाओं ने जो याचिकाएं दायर की हैं, वो मां श्रृंगार गौरी समेत अन्य मंदिरों में पूजा की अनुमति से संबंधित हैं।
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के कैंपस में ही है, मस्जिद की एक दीवार किसी मंदिर के अवशेष की तरह नजर आती है।
4. मुस्लिम पक्ष के पास क्या विकल्प हैं?
जवाब: उनके पास जिला कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का रास्ता खुला हुआ है।
5. यदि आगे हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिल जाएगा, तो इसका क्या असर पड़ेगा?
जवाब: 1993 के पहले भी मां श्रृंगार गौरी का नियमित दर्शन-पूजन होता था। फिलहाल साल में एक दिन ही होता है। उनके नियमित दर्शन-पूजन का अधिकार मिल जाने से ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने पर कोई असर नहीं होगा।
6. काशी विश्वनाथ एक्ट-1983 से आगे की सुनवाई पर क्या असर होगा, ये एक्ट क्या है?
जवाब: श्रीकाशी विश्वनाथ एक्ट एक तरह से मंदिर के प्रबंधन से संबंधित है। उसमें न्यास परिषद, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, अर्चक आदि के बारे में बताया गया है। बाबा विश्वनाथ के मंदिर का प्रबंधन सुचारु रूप से चलता रहे, एक्ट उसी के लिए बनाया गया है।
इस एक्ट के अनुसार ही मंदिर के न्यास की बैठकें होती हैं। इस एक्ट के अनुसार ही मंदिर को मिलने वाले चढ़ावे के खर्च के संबंध में निर्णय लिया जाता है। मंदिर की संपत्तियों की देख-रेख भी एक्ट के तहत ही की जाती है। उससे मां श्रृंगार गौरी के प्रकरण की सुनवाई पर कोई असर नहीं होगा।
यह काशी विश्वनाथ मंदिर और उस कैंपस में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद का एरियल व्यू है।
7. विशेष पूजा स्थल एक्ट-1991 से इस मामले पर क्या असर हो सकता है?
जवाब: विशेष पूजा स्थल एक्ट को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अक्टूबर में उस पर सुनवाई होनी है और सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हलफनामा भी दाखिल करने को कहा है। बाकी एक्ट तो यह कहता ही है कि देश की आजादी के दिन जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी वही आगे भी रहेगी, मगर अहम बात यह भी है कि पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विशेष पूजा स्थल एक्ट की सुनवाई जारी रहने के बीच काशी और मथुरा के केस की सुनवाई रोकी नहीं जाएगी।
8. क्या ज्ञानवापी मामला भी अयोध्या जैसा होता जा रहा है?
जवाब: अयोध्या में अच्छे तथ्य के साथ मजबूत साक्ष्य भी थे। यहां भी बहुत सारे ठोस साक्ष्य हैं। हिंदू पक्ष का मानना है कि काशी में भी यदि रडार तकनीक से पुरातात्विक सर्वेक्षण हो जाए तो साक्ष्य वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित हो जाएंगे। अदालत का निर्णय ठोस साक्ष्य पर ही आधारित होता है।
9. किसका पक्ष कितना मजबूत है?
जवाब: ज्ञानवापी का मसला हिंदू पक्ष के लिहाज से ज्यादा मजबूत दिखाई देता है। यह बात एडवोकेट कमिश्नर के कमीशन की कार्रवाई में भी सामने आ चुकी है। पुरातात्विक सर्वेक्षण हो जाए, तो बहुत कुछ पारदर्शी तरीके से स्पष्ट हो जाएगा।
10. ज्ञानवापी से जुड़ी कितनी याचिकाएं कोर्ट में पेंडिंग हैं?
जवाब: जिला अदालत में एक दर्जन से ज्यादा याचिकाएं पेंडिंग हैं। कुछ मामले हाईकोर्ट में भी लंबित है। सुप्रीम कोर्ट भी मां श्रृंगार गौरी प्रकरण की मॉनिटरिंग कर रहा है।
ज्ञानवापी में श्रृंगार गौरी पूजा पर सुनवाई जारी रहेगी, 22 सितंबर को अगली सुनवाई
वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी विवाद में आगे सुनवाई जारी रहेगी। वाराणसी जिला कोर्ट ने कहा कि यह केस सुनने लायक है। कोर्ट ने इस केस को न सुनने के लिए मुस्लिम पक्ष की तरफ से दर्ज आपत्तियों को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने माना कि यह केस 1991 के वर्शिप एक्ट के तहत नहीं आता। अब वाराणसी जिला कोर्ट 22 सितंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगी।
ज्ञानवापी मस्जिद की पहली लड़ाई में हिंदू पक्ष जीता:काशी विश्वनाथ को चार बार तोड़ा गया; जानिए पूरा विवाद
वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर मां श्रृंगार गौरी की पूजा की याचिका की सुनवाई को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने इस याचिका को चुनौती देने वाली अंजुमन इस्लामिया मस्जिद कमेटी की चुनौती को खारिज कर दिया। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का ये विवाद सदियों पुराना है। 213 साल पहले इस विवाद को लेकर पहली बार दंगे हुए थे। भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़ें इस पूरे विवाद की कहानी।