उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने आज 22 बड़े प्रस्तावों पर मुहर लगाई। इनमें लॉ एंड ऑर्डर और पुलिसिंग के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण यह रहा कि अब लखनऊ, वाराणसी और कानपुर में ग्रामीण पुलिस की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। तीनों जिलों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम का दायरा बढ़ा दिया गया है।
इस निर्णय का प्रदेश के पुलिस अफसरों ने स्वागत किया है। प्रदेश के गृह विभाग से जुड़े इस अहम मसले पर ‘khabren24’ ने पुलिस महकमे के वरिष्ठ अफसरों से बात की तो 5 बातें निकल कर सामने आईं। पुलिस अफसरों के अनुसार, इन्हीं प्वाइंट्स के आधार पर सरकार को वन रेवेन्यू डिस्ट्रिक्ट और वन पुलिस डिस्ट्रिक्ट का फॉर्मूला अपनाना पड़ा।
आइए, आपको बताते हैं कि कमिश्नरेट सिस्टम का दायरा क्यों बढ़ा….
1. अफसर बदलने से पब्लिक को होती दिक्कत
यूपी कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के अनुसार, एक रेवेन्यू डिस्ट्रिक्ट को दो पुलिस डिस्ट्रिक्ट में बदलने से पब्लिक को तमाम तरीके की दिक्कतें आती हैं। जेल और न्यायालय की व्यवस्था एक ही है। प्रशासन, रेवेन्यू सहित कई अन्य विभागों के अफसर भी एक ही हैं। सिर्फ पुलिस के अफसर अलग-अलग हैं। इस वजह से पब्लिक को दिक्कत होती है। ग्रामीण इलाके का एक सामान्य सा आदमी तो लंबे समय तक यह समझ ही नहीं पाता है कि वह किस अफसर के सामने जाकर अपनी समस्या सुनाए। इसलिए एक रेवेन्यू डिस्ट्रिक्ट में पुलिस का एक तरह का ही सिस्टम ही सही है।
2. को-ऑर्डिनेशन नहीं हो पाता था
जिले में वीआईपी ड्यूटी और तीज-त्योहारों के दौरान लॉ एंड ऑर्डर के मद्देनजर को-ऑर्डिनेशन में तमाम तरह की दिक्कतें आती हैं। लखनऊ, वाराणसी और कानपुर तीनों ही प्रदेश के अति महत्वपूर्ण शहर हैं। यहां रोजाना वीआईपी ड्यूटी का प्रेशर भी रहता है। ऐसे में बेहतर यही है कि एक जिले में पुलिसिंग का एक सिस्टम ही प्रभावी रहे।
3. नए इंफ्रास्ट्रक्चर पर तगड़ी रकम खर्च होनी थी
लखनऊ, वाराणसी और कानपुर में ग्रामीण पुलिस के लिए अभी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाना है। इस पर तगड़ी रकम खर्च होनी थी। कमिश्नरेट सिस्टम का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का काम भी चल ही रहा है। इसके साथ ही कमिश्नरेट सिस्टम में अधिकारियों की संख्या भी पर्याप्त है। इसलिए एक जिले में पुलिसिंग का एक सिस्टम ही बेहतर है।
4. अपराध पर अंकुश लगाने में मिलेगी मदद
अपराध पर अंकुश लगाने के लिहाज से भी एक जिले में पुलिसिंग का एक सिस्टम ही अच्छा है। अकसर शहरी क्षेत्र में अपराध करने के बाद बदमाश उससे सटे ग्रामीण इलाकों की ओर रुख करते हुए भागते हैं। कमिश्नरेट और ग्रामीण इलाके की पुलिस के बीच तत्काल अच्छा को-ऑर्डिनेशन न हो पाने से बदमाशों की धरपकड़ में दिक्कत आती है। एक सिस्टम लागू होने से जिले और शहर के एंट्री प्वाइंट्स की पुलिस प्रभावी तरीके से निगरानी कर सकेगी।
5. यातायात व्यवस्था में एकरूपता आएगी
जिले में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के प्रमुख कस्बों तक की यातायात व्यवस्था में एकरूपता आएगी। इसके साथ ही यातायात संबंधी नियम-कायदों का प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन भी संभव हो सकेगा।
अब कमिश्नरेट सिस्टम कहां और कब लागू हुआ, ये भी जनिए…
उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में 4 ऐसे जिले हैं जहां पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू है। यह जिले नोएडा, लखनऊ, वाराणसी और कानपुर हैं। लखनऊ और नोएडा में जनवरी 2020 में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ था। वहीं, वाराणसी और कानपुर में मार्च 2021 में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ था।
नोएडा को छोड़कर शेष तीनों अन्य जिलों के ग्रामीण इलाके की पुलिसिंग के लिए ग्रामीण पुलिस की एक अलग यूनिट बनाई गई थी। शहरी क्षेत्र की पुलिसिंग व्यवस्था का मुखिया एडीजी स्तर के पुलिस अफसर को बनाया गया था। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र की पुलिसिंग व्यवस्था का मुखिया पुलिस अधीक्षक स्तर के अफसर को बनाया गया था।