समय पर वेतन भुगतान न किए जाने को लेकर भिलाई नगर निगम के कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर निगम की माली हालत इतनी खराब कैसे हो गई यह सोचने का विषय है। कर्मचारियों ने महापौर नीरज पाल से मिलकर अपनी बात रखी।
छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर नगर निगम भिलाई की माली हालत खराब हो चुकी है। निगम ने टैक्स वसूली के लिए जिस कंपनी को जिम्मेदारी दी है वह केवल निगम कार्यालय तक ही सीमित रह गई है। जो लोग रेगुलर अपना टैक्स अदा कर रहे हैं उनके टैक्स एजेंसी अपना कमीशन भी निकाल ले रही है।
इससे निगम की टैक्स वसूली इतनी नहीं हो पा रही है कि वह अपने कर्मचारियों का वेतन और मूलभूत सुविधाओं का खर्च निकाल सके। जैसे-तैसे करके निगम ने दीपावली में तो कर्मचारियों को वेतन दे दिया, लेकिन अब उसके पास इतना बजट नहीं है कि वेतन दी जा सके। इधर कर्माचारी संघ विरोध में उतर आया है। निगम आयुक्त रोहित व्यास का कहना है कि वो टैक्स वसूली को बढ़ाएंगे। बड़े बकाएदारों का कुड़की वारंट जारी किया जाएगा। इससे टैक्स वसूली बढ़ेगी और कर्मचारियों का वेतन दिया जा सकेगा।
पिछली बार संचित निधि से दी गई थी वेतन
निगम की माली हालत पिछले तो तीन महीने से खराब है। हालत यह हो गई थी कि दीपावली में कर्मचारियों को वेतने देने के लिए बजट नहीं था। इससे महापौर नीरज पाल ने महापौर परिषद की बैठक बुलाई और निगम के संचित निधि से 9 करोड़ 84 लाख 18 हजार का फंड निकाल कर कर्मचारियों को दिया था।
टैक्स वसूली के लिए तय एजेंसी को हटाने की मांग
निगम के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान टैक्स वसूली के लिए निर्धारित की गई स्पेरो कंपनी को हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कंपनी का काम है कि जो लोग टैक्स जमा नहीं कर रहे उनसे वसूली करके लाना, लेकिन यहां उल्टा हो रहा है। कंपनी के कर्मचारी निगम और जोन परिसर में कार्यालय खोलकर बैठ गए हैं। वहां जो भी टैक्स जमा करने आता है उसका टैक्स लेकर अपना कमीशन कमा रहा है। इस तरह बैठकर टैक्स वसूली तो निगम के कर्मचारी भी कर सकते हैं।