राज्य बनने के बाद से भिलाई निगम पेयजल पर 468 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि खर्च कर चुका है। बावजूद इसके साफ पानी की आपूर्ति अब तक नहीं हो पाई है। 21 नवंबर 2022 के बाद से निगम के कैम्प क्षेत्र में डायरिया फैला। बैक्टीरिया की वजह से 500 से ज्यादा लोग बीमार हुए।
इसमें 3 की मौत भी हो गई। इतना ही नहीं इससे पहले भी डायरिया से एक की मौत हुई। इस प्रकार इस सीजन में ही पानी में वायरस की वजह से 4 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। इसके बाद भी पेयजल आपूर्ति व्यवस्था को लेकर लापरवाही का क्रम जारी है।
शिवनाथ नदी के रॉ-वॉटर का न प्रॉपर ट्रीटमेंट हो रहा है। न ही ग्राउंड से लिए जाने वाले पानी की नियमित बैक्टीरिया जांच की जा रही है। इतना ही नहीं पिछले दिनों डायरिया फैलने के बाद भिलाई निगम ने एमआईसी और निगम अधिकारियों की 9 सदस्यीय टीम गठित की। जांच टीम ने पब्लिक को ही जिम्मेदार बता दिया है।
पीएचई की एनएबीएल लैब से कराई गई जांच में पानी में बैक्टीरिया मिला है। बावजूद इसके रॉ-वॉटर के ट्रीटमेंट से घरों की टोटियों में पानी पहुंचाने तक का काम कर रहे अधिकारी और कर्मचारी में किसी को जिम्मेदार नहीं बताया गया है।
इतना ही नहीं टंकियों की नियमित सफाई नहीं होने की भी बात सामने आई, इसके बाद भी किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। इस प्रकार निगम द्वारा गठित यह कमेटी महज खानापूर्ति साबित हुई है। रिपोर्ट के आधार पर कर्मियों की क्लीन चिट दी गई है।
महापौर के निर्देश पर गठित टीम में ये थे शामिल :
एमआईसी और सामान्य प्रशासन के प्रभारी संदीप निरंकारी, स्वास्थ्य प्रभारी लक्ष्मीपति राजू, जलकार्य विभाग केशव चौबे, अधीक्षण अभियंता बीके देवांगन, दीपक जोशी, अपर आयुक्त अशोक द्विवेदी, उपायुक्त रमाकांत साहू, ईई संजय शर्मा, स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी धर्मेन्द्र मिश्रा शामिल थे।
पानी नहीं मिलने से पाइप-लाइन में छेद किया
वार्ड 32, जेपी नगर के नागरिकों को पाइप लाइन में छेद करने के लिए डायरिया फैलाने का जिम्मेदार बताया गया। रिपोर्ट में लिखा कि पर्याप्त जल दबाव से पानी न आने के कारण लोगों ने एमसीपीई पाइप लाइन तक गड्ढा खोदकर पाइप लाइन में छेद कर दिया। ऐसी व्यवस्था में पीने का पानी लेते रहने से नालियों का पानी पाइप लाइन में पहुंचा और डायरिया फैल गया।
टंकियों की सफाई 6 महीने से नहीं, बाद में कराई
संक्रमित क्षेत्र की टंकियों की सफाई छह महीने से नहीं होना पाया गया। टंकियों पर पूर्व में की गई उनकी सफाई तारीख और अगली सफाई के लिए नियत तारीख से मिलान करने प इसकी पुष्टि हुई। जांच रिपोर्ट में भी मदर टेरेसा नगर की टंकी को डायरिया फैलने के चार दिन बाद 25 नवंबर को साफ किया जाना बताया गया। फिर भी दोषी जनता को बता दिया गया।
पूरे शहर में नई पाइप लाइन बिछी, कैंप अछूता
जांच रिपोर्ट में बताया गया कि अमृत मिशन योजना फेस-1 में पुरानी पाइप लाईनों को बदलने का प्रस्ताव योजना में सम्मिलित नहीं था। इसीलिए कैंप व खुर्सीपार में वॉटर सप्लाई के लिए नई पाइप लाइनें नहीं बिछाई गई। पाइप लाइन बिछाने व मेनटेन रखने के लिए निगम की सेवा में बने अफसर डायरिया फैलने व मौत से पहले कभी इसकी जानकारी नहीं दिए।
हकीकत : सबके घरों तक शुद्ध पानी की सप्लाई निगम की जिम्मेदारी है। ऐसा नहीं करने की वजह से ऐसे हालात बने।
हकीकत : ओवर-हेड टंकियां हो या फिल्टर प्लांट, सबकी सफाई का एक प्रोटोकाॅल है। पालन नहीं किया गया।
हकीकत : वाटर सप्लाई, पाइप लाइनों की रेगुलर मॉनीटरिंग के लिए हर शहर में प्रक्रिया तय है। पालन नहीं हो रहा।
सीधी बात – नीरज पाल, महापौर, भिलाई
जनता ही दोषी क्योंकि अवैधानिक तरह से पाइप में छेद किया
डायरिया के लिए आपकी जांच टीम ने जनता को दोषी ठहरा दिया, जनता दोषी कैसे है?
निगम की पाइप लाइनों में लोगों ने अवैधानिक तरह से छेद कर दिया। इसकी वजह नालियों का गंदा पानी पाइप लाइन से गुजरा। आगे लोग डायरिया की चपेट में आए। जनता अगर ऐसा नहीं करती तो गंदा पानी लोगों तक नहीं पहुंचता।
आप घर-घर पानी नहीं दे पा रहे, तो जनता क्या करेगी, लगातार जनता शिकायत कर रही है?
बिल्कुल सही है, हम घर-घर तक पानी नहीं दे पा रहे हैं। यह भी जनता की वजह ही हो रहा है। क्योंकि लोगों ने पाइप लाइन में अनगिनत छेद कर दिया है। इससे हर घर प्रेशर नहीं पहुंचता है।
राॅ-वाटर का ट्रीटमेंट, आपूर्ति, जांच सब में खामी मिली, कोई अधिकारी दोषी नहीं मिला, क्यों?
निगम के जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने संयुक्त तौर पर जांच की है। उनकी रिपोर्ट ऐसी ही आई है तो उसमें मै क्या कर सकता हूं। जांच टीम ने किसी अधिकारी या कर्मचारी को दोषी नहीं पाया है।
ऐसा तो नहीं घरों तक पानी नहीं पहुंचने, गंदा पानी पहुंचने के जो जिम्मेदार, उन्हीं की टीम बनी?
निगम क्षेत्र में जांच करनी थी। हमारा उद्देश्य कारण को जानना था। किसी को दोषी ठहराना नहीं। दूसरे विभाग के अधिकारी हम कहां से लाते।