माघ मेले के पहले स्नान पर्व में सिर्फ 1 दिन बचा है। गुरुवार को श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। प्रयागराज में गंगा के घाट भी भक्त के सैलाब के लिए तैयार है। दुनिया का सबसे बड़ा मेला 6 जनवरी से पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरू हो रहा है। 700 हेक्टेयर और 6 सेक्टर में ये मेला 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ खत्म होगा। इस दौरान देश-दुनिया से आने वाले लाखों श्रद्धालु गंगा की रेती पर 40 दिन जप-तप, धर्म और अध्यात्म में लीन रहेंगे।
अब पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
मेले में देश-दुनिया से आएंगे 6 करोड़ श्रद्धालु
700 हेक्टेयर में लगने वाले मेले में ये तंबू लगा दिए गए हैं। से इनकी निगरानी की जा रही है।
प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती के तट पर हर साल माघ मेला और स्नान का आयोजन किया जाता है। पुराणों में भी इस स्नान का वर्णन मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, तीर्थों का राजा प्रयागराज है। यहां पर स्नान, दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और हर कष्ट से निजात मिल जाती है। देश-दुनिया से लाखों श्रद्धालु आध्यात्मिक विकास और मानसिक शांति के लिए भी यहां कल्पवास करने आते हैं।
ऐसा माना जाता है कि कल्पवास करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। योगी आदित्यनाथ की सरकार इसे 2025 में लगने वाले महाकुंभ के रिहर्सल के तौर पर देख रही है। यही कारण है कि माघ मेले का सरकार ने खूब प्रमोशन किया है। मेलाधिकारी अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि 6 जनवरी से 18 फरवरी को अंतिम स्नान पर्व तक 6 करोड़ श्रद्धालुओं के आने और स्नान करने की उम्मीद है। इसको देखते हुए मेले में इस बार विशेष तैयारियां की गई हैं।
मेले में पहली बार 500 बेड की हाईटेक डॉरमेट्री
महाकुंभ की तर्ज पर अरैल की ओर टेंट सिटी बसाई गई है। यहां श्रद्धालुओं को रुकने के लिए पैसे पेड करने होंगे।
माघ मेलाधिकारी अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि माघ मेला में पहली बार सरकार की पहल पर यात्रियों की सुविधा के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 500 बेड की डॉरमेट्री तैयार की गई है। सामान्यत: डॉरमेट्री महाकुंभ या कुंभ मेले में तैयार कराई जाती है। इसमें कोई भी सामान्य श्रद्धालु नि:शुल्क रुक सकता है। इसे फाइव स्टार सुविधाओं से लैस किया गया है। इस बार माघ मेले में देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए महाकुंभ की तर्ज पर अरैल की ओर टेंट सिटी बसाई गई है। यहां श्रद्धालुओं को रुकने के लिए पैसे पेड करने होंगे।
पौष पूर्णिमा के दिन 14 घाटों पर होगा स्नान
माघ मेले में शहर की ओर से झूंसी साइड जाने और आने के लिए कुल पांच पीपा पुल तैयार किए गए हैं।
6 जनवरी को पौष पूर्णिमा के प्रथम स्थान पर्व पर 14 पक्के घाट तैयार किए गए हैं। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने बताया कि पौष पूर्णिमा के प्रथम स्थान पर्व पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पहले स्नान पर्व पर 14 स्थाई घाट तैयार किए गए हैं। इन स्नान घाटों पर महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम तैयार किया गए हैं। घाटों पर साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था है।
मेले की खासियत
मेले की सुरक्षा एक नजर में
प्लास्टिक मुक्त माघ मेले के लिए गांधीगिरी का फार्मूला
माघ मेले में नावों को मल्टी कलर से कलर किया गया है। संगम नोट पर करीब 250 नावें रहेंगी।
माघ मेला प्रभारी अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि माघ मेले में इस बार 6 करोड़ से अधिक लोगों के पहुंचने की संभावना है। संगम में पहुचने वाले इन श्रद्धालुओं को प्लास्टिक के उपयोग को रोकने के लिए इस बार कई नए प्रयोग किये जा रहे हैं। माघ मेले में प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह वर्जित होगा। पहली बार माघ मेले में प्लास्टिक मुक्त रखने के लिए शासन की तरफ से गांधीगिरी की जाएगी। माघ मेले के स्वच्छता प्रभारी डॉ. आनंद सिंह ने बताया कि अगर कोई श्रद्धालु मेला क्षेत्र में प्लास्टिक के बैग इस्तेमाल करते दिखाई पड़ा तो उसे मेले में ही प्लास्टिक बैग की जगह कपड़े का बैग उसे निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा । मेला क्षेत्र में लगाए जा रहे एलसीडी स्क्रीन पर स्वच्छ भारत मिशन कैंपेन और प्लास्टिक मुक्त माघ मेले से संबंधित मैसेजेस भी चलाये जायेंगे।
स्वच्छता में महाकुंभ की रेप्लिका बनने को तैयार है माघ मेला
संगम की तरफ आने वाली सभी सड़कों को धोया आ जा रहा है। सफाई की खास व्यवस्थाएं की गई हैं।
प्रयागराज के संगम किनारे लगने जा रहे माघ मेले को इस बार आगामी महाकुंभ के विज़न को ध्यान में रखकर बसाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इसके लिए माघ मेले में 2019 कुंभ मेले में अमल में लाई गई स्वच्छता व्यवस्था को नए रूप में उतारने जा रही है।
खुले में शौच मुक्त है माघ मेला
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से 2019 कुंभ मेले में अमल में लाई गई स्वच्छता व्यवस्था से सीख लेते हुए इस बार पूरे मेला क्षेत्र को स्वच्छ रखने के लिए वृहद् योजना बनाई गई है। माघ मेला अधिकारी अरविन्द सिंह चौहान के मुताबिक़ माघ मेला को खुले में शौच मुक्त और प्लास्टिक मुक्त रखने के लिए शासन संकल्पित है। स्वच्छता को देखते ही टॉयलेट्स की व्यवस्था और सफाई कर्मियों की तैनाती पर शासन का जोर होगा । माघ मेले के स्वच्छता प्रभारी डॉ. आनंद सिंह ने बताया कि माघ मेले को खुले में शौच मुक्त रखने के लिए मेला क्षेत्र मेला क्षेत्र में 17,400 शौचालय लगाए जा रहे हैं। इन टॉयलेट्स में 1400 एफआरपी (फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक) टॉयलेट्स लगाए गए हैं। इसके अलावा कपडे से बने 10 हजार कनात टॉयलेट्स और पार्किंग एरिया में 3 हजार कनात टॉयलेट्स लगे हैं। मेले की सफाई व्यवस्था 2160 स्वच्छता कर्मियों के हाथ है।
पौष पूर्णिमा | 6 जनवरी |
मकर संक्रांति | 14 जनवरी |
मौनी अमावस्या | 21 जनवरी |
बसंत पंचमी | 26 जनवरी |
माघी पूर्णिमा | 5 फरवरी |
महाशिवरात्रि | 18 फरवरी |
रूट डायवर्जन के हिसाब से ही मेले में आए
पार्किंग में ही गाड़ियां लगाए
मेला क्षेत्र में पैदल जाने के रास्ते समझे