देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में आज हॉट एयर बैलून एंड बोट फेस्टिवल का समापन हो रहा है। आज सुबह घने कोहरे में भी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 23 डेलीगेट्स और अन्य विदेशी मेहमानों ने काशी में स्काई टूरिज्म का लुत्फ उठाया। BHU के एंफिथियेटर ग्राउंड से सुबह 8 बजे अंतिम बार उड़े 10 बैलून ने काफी रोमांच पैदा किया। पिछले 4 दिन में बैलून फेस्ट और नाइट ग्लो के साथ डेलीगेशन ने बोट फेस्टिवल और रंगारंग कार्यक्रमों से काशी को महसूस किया गया। बाहर से आए सैलानियों ने भी इसे काफी उत्साहपूर्वक देखा।
BHU के एंफीथिएटर ग्राउंड से उड़े सभी बैलूंस में 30 लोग सवार थे।
एरियल व्यू में दिखी गंगा, बाबा विश्वनाथ और टेंट सिटी
BHU के एंफीथिएटर ग्राउंड से सभी 10 हाट एयर बैलूनों में डेलीगेट्स समेत 30 लोग सवार थे। इस यात्रा में सभी ने एरियल व्यू में शहर की घनी आबादी, गंगा घाटों, टेंट सिटी, मां गंगा की लहरों, बाबा विश्वनाथ मंदिर को देखा। SCO डेलीगेट्स आज भगवान भास्कर की उदय के साथ काशी की अनुपम छटा को देख आश्चर्य में थे। इस यात्रा में बाबा विश्वनाथ मंदिर का दिव्य दर्शन और मां गंगा की आरती को निहारा। पर्यटकों ने कहा कि या हमारे लिए काफी अद्भुत क्षण हैं। जो हम 2000 फीट की ऊंचाई से काशी की सुबह के साथ गंगा घाट और बाबा का दर्शन कर पा रहें। यह सिर्फ बदलते काशी में ही देखने को मिल सकता हैं।
BHU के एंफीथिएटर ग्राउंड से उड़ान भरता हॉट एयर बैलून।
बोट फेस्ट का फाइनल मुकाबला आज
उप निदेशक पर्यटन अधिकारी प्रीति श्रीवास्तव ने बताया कि आज सभी 10 बैलून हवा में उड़ान भरे हैं। धुंध की वजह से आज उड़ान में देरी हुई है। उन्होंने बताया कि आज बोट फेस्ट के समापन पर भारतीय क्रिकेटर प्रवीन कुमार मुख्य अतिथि हैं। आज बोट फेस्टिवल का भी फाइनल मुकाबला है। बनारस की 12 टीमें आज गंगा में अंतिम रेस लगाएंगी। मुकाबला दशाश्वमेध घाट से राजघाट तक होगा। जीतने वाली टीम को आज ट्राफी दी जाएगी और नमो घाट पर जीत का जश्न मनाया जाएगा।
वाराणसी में हॉट एयर बैलून की छंटा देख पर्यटक काफी उत्साहित थे।
17 जनवरी से शुरू हुए फेस्ट का आज समापन काफी खास होगा। पहली बार, दशाश्वमेध घाट से राजघाट तक रेसिंग ट्रैक तैयार किया गया है। इसी पर 12 नाविकों की टीमों ने रेस में हिस्सा लिया। सबसे ज्यादा पाइंट लाने वाली टीम को एक लाख रुपए इनाम स्वरूप मिलेंगे। बोट रेस में हिस्सा लेने वाली टीमों के मेंबर काशी के स्थानीय नाविक ही हैं। इनके नाम हैं- नाविक सेना, नौका सवार, भागीरथी सेवक, घाट रक्षक, गंगा वाहिनी, जल योद्धा, गंगा लहरी, गंगा पुत्र, काशी लहरी, गौमुख दैत्य, काशी रक्षक, और जल सेना। बोट रेस की उन्हें पूरी ट्रेनिंग दी गई है।
अब आपको खेल के नियम भी बताते हैं…
सभी नाविक अपने ड्रेस कोड के साथ नाव में बैठे हैं। इस 4 दिवसीय खेल प्रतियोगिता के लिए एक नई नियम पुस्तिका बनाई गई है। प्वाइंट सिस्टम के द्वारा रखा गया है। यानी कि सभी टीमें पाइंट हासिल करने के लिए हर दिन एक-दूसरे से मुकाबला करेंगी। जिस टीम को सबसे ज्यादा पाइंट मिलेंगे, वही टीम इस रेस की विजेता होगी। सभी चैंपियंस को 1.75 लाख रुपए का इनाम भी घर ले जाने को मिलेगा।
3 किमी का रेसिंग ट्रैक और बोट साइज 15 फीट
हर नाव में 4-4 नाविक बैठाए गए हैं। इन्हें 3 किमी. लंबी दूरी सबसे पहले पूरी करनी है। दशाश्वमेध घाट से शुरू होकर राजघाट तक इस रेसिंग ट्रैक की कुल लंबाई 3 किलोमीटर का है। वाराणसी की ट्रेडिशनल बोट्स 15 फीट लंबी होती हैं। इनकी पतवार 4 फीट लंबी होती है। इसकी कमान कप्तान के हाथों में होगी। 4 दूसरे नाविक इसका संचालन करेंगे।
BHU कैंपस से निकलते एयर बैलूंस।