विश्व हिंदू परिषद माघ मेला शिविर परेड प्रयाग में अखिल भारतीय धर्माचार्य संपर्क प्रमुख की दो दिवसीय बैठक सोमवार को हुई। बैठक में देशभर के प्रांत धर्माचार्य संपर्क प्रमुख के साथ धर्माचार्य विभाग के प्रमुख पदाधिकारी शामिल रहे। वैदिक सनातन जीवन मूल्यों की रक्षा, घर वापसी, राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, समान नागरिक संहिता, लव जिहाद और धर्मांतरण जैसे विषयों पर देशभर में पूज्य संतों के मार्गदर्शन से अनेक कार्यक्रम तय करने और हिंदू समाज में इन विषयों को लेकर जागरण पर चिंतन और मंथन किया गया।
विहिप की बैठक में संबोधत करते
“शक्ति, भक्ति और संस्कार का केंद्र हैं मठ और मंदिर”
बैठक को प्रथम दिन संबोधित करते हुए विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा मठ-मंदिर शक्ति, भक्ति और संस्कार का केंद्र रहे हैं उन्हीं केंद्रों को पुनः स्थापित करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। हम सब एक हैं, यह कार्य ईश्वर का कार्य है, हम पूरे दुनिया के मंगल की कामना करते हैं। हम पूरे दुनिया के शांति की कामना करते हैं इसलिए इस राष्ट्र में जन्मे प्रत्येक मत पंथ संप्रदायों की उपासना पद्धति भले ही अलग हो उनका मूल तत्व एक ही है जो हमें एक अटूट बंधन से बांधे रखता है। राष्ट्रधर्म संस्कृति इनकी उन्नति ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। इन्हीं आस्था के केंद्रों को हिंदू समाज के एकत्रीकरण का केंद्र बनाकर हिंदू समाज के समक्ष खड़ी चुनौतियों का मुकाबला कर उन को परास्त करने का साधन होगा।
धर्मांतरण रोकने के लिए विहिप चलाएगा अभियान
धर्माचार्य संपर्क प्रमुख का यह लक्ष्य होना चाहिए कि हम हिंदू समाज, हिंदू संस्कृति, हिंदू धर्म मान्यताओं, परंपराओं की रक्षा के लिए समय-समय पर हिंदू समाज में आस्था के केंद्र पूज्य संत आचार्यों के माध्यम से हिंदू समाज के जागरण का कार्य होता रहे।
विश्व हिंदू परिषद के अखिल भारतीय धर्माचार्य संपर्क प्रमुख जिवेशवर मिश्र ने कहा की वैदिक सनातन जीवन मूल्यों की रक्षा मठ मंदिरों के अधिग्रहण को रोकना, समान नागरिक संहिता एवं धर्मांतरण को रोकने के लिए पूज्य संतों से संपर्क कर हम हिंदू समाज में जागरण का व्यापक अभियान चलाएंगे और संगठन के 60 वर्ष पूर्ण होने तक धर्मांतरण पर रोक लगे यह प्रयास हम सब को करना है। बैठक मैं प्रमुख रूप से अखिल भारतीय संत संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी, केंद्रीय मंत्री रासबिहारी, पीएम नागराजन, बसवराज, मुन्ना पांडेय, राधेश्याम गौतम, विरल विमल समेत 100 से अधिक धर्माचार्य व पदाधिकारी बैठक में शामिल रहे।