निजी अस्पताल ने आयुष्मान योजना के तहत मरीज का इलाज किया। इसके बाद नकद राशि लेकर इलाज किए। मरीज की मौत हो गई। तब जो राशि दी गई थी, उसका बिल मांगे तो अस्पताल प्रबंधन ने बिल देने से इंकार कर दिया। इस मामले में पीडि़त परिवार ने कलेक्टर, दुर्ग से शिकायत की है। यह एक मामला नहीं है, इस तरह की शिकायत लगातार आ रही है। जिला में 51 अस्पताल हैं, जहां आयुष्मान योजना के तहत इलाज किया जा रहा है।
आयुष्मान कार्ड से इलाज करने पहले किया मना
शंकर नगर, छावनी में रहने वाले आकाश चौधरी ने कलेक्टर को लिखित शिकायत की है कि उसके बड़े भाई विकास चौधरी 28 साल का 13 अगस्त 2022 को छावनी के नव दुर्गा मेडिकल के सामने एक्सीडेंट हो गया। घायल भाई को रात करीब 11.30 बजे निजी हॉस्पिटल, सुपेला में लेकर आए। तब हॉस्पिटल प्रबंधन ने कहा कि उनके यहां आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं किया जाता है।
नेता से फोन कराने पर आयुष्मान कार्ड से इलाज करने हो गए तैयार
पीडि़त परिवार ने बताया कि अगले दिन 14 अगस्त को एक नेता से अस्पताल के जिम्मेदार को फोन करवाया। तब आयुष्मान कार्ड से इलाज करने के लिए तैयार हो गए।
इलाज और दवा का नहीं मिलेगा बिल
अस्पताल प्रबंधन इलाज करने तैयार तो हो गया, लेकिन इसके साथ-साथ एक शर्त रखा कि इलाज और दवाई का बिल नहीं दिया जाएगा। इसे कहने के साथ-साथ एक कागज में लिखवाया गया और उसमें हस्ताक्षर भी अस्पताल प्रबंधन ने करवाया। घायल के छोटे भाई ने बताया कि भाई की स्थिति को देखते हुए वह मजबूर था।
3 लाख खर्च आने की कही बात
अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि इलाज के दौरान आयुष्मान के अलावा करीब 3 लाख रुपए नकद लगेगा। इसके बाद 21 अगस्त को शाम 6 से 7 बजे के बीच अस्पताल कर्मी ने यह लिखित में देने कहा कि अपने भाई का इलाज आयुष्मान कार्ड से नहीं कराना चाहते हैं। इसकी सहमति लिखित में मांगी गई। तब परिवार वालों से चर्चा करने के बाद सहमति पत्र में हस्ताक्षर नहीं किया।