अखिलेश यादव ने पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं ऋचा सिंह को निष्कासित कर दिया है। उन्होंने सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर दिए बयान की आलोचना की थी। निष्कासन के बाद ऋचा सिंह ने कहा- सपा महिला विरोधी है। पार्टी ने रोली मिश्रा को भी निष्कासित किया है। विनाश काले… विपरीत बुद्धि।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की छात्र संघ अध्यक्ष रह चुकी ऋचा सिंह ने कहा, ”मुझसे कहा गया था कि मौर्य का विरोध मत करो। मैं नहीं मानी तो बिना नोटिस, बिना सुनवाई निकाल दिया। सपा को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। मुझे लगता है कि जिस तरह से गेस्ट हाउस कांड में मायावती के साथ दुर्व्यवहार किया था। डर है कि मेरे साथ भी पार्टी कहीं ऐसा ही व्यवहार न कर दें।”
ऋचा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की पहली महिला अध्यक्ष रही हैं।
‘अखिलेश का एक्शन अलोकतांत्रिक’
ऋचा सिंह ने कहा, “अखिलेश यादव का एक्शन प्राकृतिक न्याय विरोधी और अलोकतांत्रिक है। प्राकृतिक न्याय कहता है कि किसी के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उसको कारण बताओ नोटिस जारी करके उससे स्पष्टीकरण और उसका पक्ष जाना जाए।
अखिलेश यादव के पास निष्कासन का शायद कोई कारण नहीं है। इसलिए वह कोई कारण बताने की स्थिति में नहीं हैं। मुझे बताया जाए कि स्वामी प्रसाद के बयान का विरोध के अतिरिक्त मैंने पार्टी के खिलाफ कभी भी कुछ कहा हो।”
यह फोटो ऋचा सिंह की है। उन्होंने कहा, मैं लगातार निष्कासन का सामना कर रही हूं। यह निष्कासन कोई नया नहीं है।
आज लोहिया जिंदा होते तो सपा उन्हें भी निकाल देती
ऋचा सिंह ने कहा, जो पार्टी प्राकृतिक न्याय नहीं मानती वो सामाजिक न्याय क्या मानेगी? अगर आज भगवान राम को आदर्श मानने वाले डॉ. लोहिया जिंदा होते तो पार्टी उन्हें भी समाज विरोधी पार्टी मतलब समाजवादी पार्टी निकाल देती। मौर्य पर मुझसे ज्यादा सपा के कई पुरुष नेताओं ने भी हमला किया है।
लेकिन उन्हें निकाल कर पार्टी अपनी विधायक संख्या घटाना नहीं चाहती। पुरुष हैं इसलिए भी उनके खिलाफ कुछ नहीं किया। महिलाओं पर एकतरफा कार्रवाई करके पार्टी ने अपनी महिला विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। जब काल मनुष्य पे छाता है तो पहले विवेक मर जाता है।’
‘बहुत निष्कासन झेला है, अब महिषासुर का वध होगा’
ऋचा सिंह ने कहा, “मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पहली निर्वाचित महिला अध्यक्ष होने के बाद से ही लगातार निष्कासन का सामना कर रही हूं। यह निष्कासन कोई नया नहीं है। जब जब गलत का विरोध किया निष्कासन को झेला है। लेकिन महिषासुरों के खिलाफ डटकर खड़ी रही। इस बार फिर महिषासुर का वध होगा।”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को इसपर संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि ब्राह्मण भले ही लंपट, दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया है। लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान या फिर ज्ञाता हो, उसका सम्मान मत करिए. क्या यही धर्म है? अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं। ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता हो। उन्होंने कहा कि जब इनकी किसी बात पर टिप्पणी की जाती है, तो चंद मुट्ठीभर धर्म के ठेकेदार जिनकी इसी पर रोजी-रोटी चलती है वह कहते हैं कि हिंदू भावना आहत हो रही है।
‘भगवान राम भारत की आत्मा हैं’
ऋचा ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- संविधान के भाग तीन में जिसमें हमारे मौलिक अधिकारों का वर्णन है (फंडामेंटल राइट), उस पृष्ठ की शुरुआत भगवान राम लक्ष्मण और भगवती सीता के चित्र से होती है। राम भारत की आत्मा हैं। यहां तक कि अल्लामा इक़बाल ने उनको इमामे हिंद माना है। ऐसे में भारत की आध्यात्मिक एवं संवैधानिक आत्मा के साथ मैं खड़ी थी और खड़ी रहूंगी।
अगर भगवान राम का अपमान कर अखिलेश अपनी राजनीति करना चाहते हैं तो मैं इस संबंध में उन्हें याद दिला दूं कि महंत राजू दास जिनका विवाद स्वामी प्रसाद मौर्य से है वो पंडित या ठाकुर न होकर यादव समाज से आते हैं।
समाजवाद के ध्वजवाहक डॉ राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि महिलाओं की कोई “जाति” नहीं होती। महिलाएं वंचित समाज से सरोकार रखती हैं। परंतु वर्तमान में समाजवादी पार्टी में महिलाओं की “जाति” देखकर उन पर अपशब्द बोलने का ट्रेंड लोहिया जी का समाजवाद तो नहीं हो सकता।
स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर ऋचा सिंह ने कई ट्वीट किए…
खबरें और भी हैं…