छत्तीसगढ़ विस चुनाव में खर्च हो सकते हैं 2 अरब , 24 हजार बूथों में 2 करोड़ वोटर कर सकते हैं वोटिंग,75 हजार जवान रहेंगे तैनात

KHABREN24 on February 17, 2023

छत्तीसगढ़ में इस साल होने वाला पांचवां विधानसभा चुनाव पिछले 20 साल के चुनावों की तुलना में ज्यादा विशाल होने वाला है। हर विधानसभा चुनाव में पिछले की तुलना में प्रदेश में 6-7 लाख वोटर बढ़ते हैं, लेकिन जागरुकता की वजह से इस बार नए वोटरों की संख्या पिछले चुनाव की तुलना में 15 लाख से अधिक बढ़ेगी और कुल मतदाता 2 करोड़ से ऊपर हो जाएंगे। इनके लिए अभी 76 बूथ प्लान में हैं, जिन्हें मिलाकर मतदान केंद्रों की संख्या लगभग 24 हजार होने जा रही है। मतदाताओं की संख्या और बूथ में वृद्धि के साथ-साथ इस बार सुरक्षाबलों की

संख्या भी 100 कंपनियां बढ़कर साढ़े 7 सौ की जाने वाली हैं, अर्थात पूरे प्रदेश में 75000 फोर्स चुनाव में तैनात रहेगी। फोर्स इसलिए बढ़ाई जाएगी, क्योंकि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी आयोग प्रदेश में शून्य हिंसा वाला चुनाव करवाने का पक्षधर है। इन तमाम व्यवस्थाओं के लिए इस बार खर्च भी बढ़ेगा यह 180-190 करोड़ रुपए अनुमानित है और बढ़कर 200 करोड़ (2 अरब) रुपए तक पहुंच सकता है। छत्तीसगढ़ में निर्वाचन दफ्तर ने लगभग 8 महीने के भीतर होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए बैठकें शुरू कर दी हैं।

आने वाले दिनों में पैरामिलिट्री फोर्सेस और इंटेलिजेंस के बीच लगातार मीटिंग का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इसी आधार पर सुरक्षा इंतजाम तथा फोर्स की तैनाती की रणनीति बनेगी, जिसमें हालांकि आखिरी वक्त तक थोड़ा संशोधन संभव है।

पिछले चुनाव में कोई हिंसा नहीं हुई थी, इसलिए आयोग इस बार भी शांतिप्रिय चुनाव निपटाने में पूरी ताकत लगाने की रणनीति बना रहा है। यही वजह है कि पिछले चुनाव की तुलना में इस बार करीब 100 कंपनियां बढ़ाकर प्रदेशभर में 75000 से ज्यादा फोर्स (केंद्र और राज्य के सुरक्षाबलों को मिलाकर) तैनात करने की तैयारी है।

पड़ताल: पहले-पांचवें चुनाव के बीच बदले हालात

भास्कर की पड़ताल में यह बात सामने आई कि छत्तीसगढ़ में 2003 में पहले और 2023 के पांचवें चुनाव के बीच हालात काफी बदल गए हैं। वोटर करीब 50% बढ़ चुके हैं तो चुनावी बजट लगभग चार गुना तक पहुंच गया है। उम्मीदवारों, मतदान केंद्र और चुनाव ड्यूटी में लगने वाले कर्मचारियों की संख्या 60 फीसदी तक बढ़ी है। बड़ी चुनौती नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव कराने की है।

चुनौतियां अलग क्योंकि मैदान और जंगल-पहाड़ दोनों

पहाड़ों-जंगलों में

बस्तर में नक्सलियों की सक्रियता
रिमोट एरिया में पोलिंग बूथ दूर
1400 बूथ में फोन नेटवर्क फेल
पोलिंग पार्टी का पहुंचना मुश्किल
मैदानी इलाकों में

शहरों में कम वोटिंग प्रतिशत
युवाओं में उत्साह में कमी
धन का उपयोग व प्रलोभन
प्रभावित करने के लिए हिंसा
“छत्तीसगढ़ में मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। दूरस्थ इलाकों में भी मतदान केंद्रों की दूरी इस बार जितनी ज्यादा कम करनी है, यह आयोग की प्राथमिकता में है। तैयारी शुरू कर दी गई है।”
– रीना बाबासाहेब कंगाले, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी

एक्सपर्ट }ओपी रावत, पूर्व सीईसी सोशल मीडिया, फेक न्यूज होंगी बड़ी चुनौतियां

आयोग के अफसर एक साल पहले से ही तैयारियां शुरु कर देते हैं। कई ऐसी चुनौतियां जो पिछली बार थीं, उनमें इस दफा काफी वृद्धि का ट्रेंड पूरे देश में नजर आ रहा है। लगभग तय है कि इस बार कोरोना बड़ी चुनौती नहीं होगी, लेकिन सोशल मीडिया पर फेक न्यूज जैसी समस्याएं बहुत तेजी से बढ़ चुकी हैं, इनसे निपटना होगा। यह परंपरा रही है कि छत्तीसगढ़ में चुनावी वर्ष की शुरुआत यानी जनवरी से ही आयोग के स्तर पर तैयारी शुरू हो जाती है।

CREDIT BY db

Shree Shyam Fancy
Balaji Surgical
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