मरीजों की जान से खिलवाड़ : बिना लाइसेंस चल रहे चार‎ अस्पताल, 77 क्लीनिक और 58 डाइग्नोस्टिक सेंटर‎

KHABREN24 on February 24, 2023
मरीजों की जान से खिलवाड़ : बिना लाइसेंस चल रहे चार‎ अस्पताल, 77 क्लीनिक और 58 डाइग्नोस्टिक सेंटर‎

दुर्ग जिले में अस्पताल, क्लीनिक व डाइग्नोस्टिक सेंटर खोलना सब्जी की दुकान खोलने से भी आसान हो गया है। नर्सिंग होम एक्ट का लाइसेंस लिए बगैर लोग अस्पताल, क्लीनिक व डाइग्नोस्टिक सेंटर भी खोल ले रहे हैं। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी से इनका बिना किसी रोक-टोक कुशल संचालन भी किया जा रहा है।

ऐसे अस्पताल, क्लीनिक, डाइग्नोस्टिक की संख्या एक या दो नहीं, 130 से भी ज्यादा है। मौजूदा रिकाॅर्ड अनुसार इनमें 77 क्लीनिक, 58 डाइग्नोस्टिक सेंटर और 4 अस्पताल शामिल हैं। इनमें अधिकतर के पास मरीज सेफ्टी के लिए मानक अनुसार न फायर सेफ्टी है, न बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, न ही बेहतर इलाज के लिए अच्छे उपकरण व योग्य स्टाफ है। सीएमएचओ डॉ. जेपी मेश्राम के अनुसार स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी है। बगैर लाइसेंस संचालित निजी स्वास्थ्य इकाइयों को वह बंद कराने के लिए वह क्षेत्रीय एसडीएम को कई बार पत्र लिखे हैं, लेकिन अब तक किसी को बंद नहीं कराया जा सका है।

नर्सिंग होम एक्ट पालन नहीं हो रहा, मरीजों को इस तरह परेशानी

1. मेडिक्लेम मिलने में अवरोध
लाइसेंस प्राप्त अस्पताल नहीं होने से स्वास्थ्य बीमा करने वाले मरीजों को क्लेम नहीं मिलता है। क्योंकि बीमा इकाइयां उन्हीं अस्पतालों में क्लेम देती हैं, जो सभी मानकों को पूरा कर लाइसेंस हासिल करते हैं। मुफ्त इलाज वाली आयुष्मान योजना का लाभ भी नहीं मिल सकता है।

2. मरीजों की रिकवरी में देरी
बिना लाइसेंस के संचालित डाइग्नोस्टिक सेंटरों में योग्य डॉक्टर या ट्रेंड स्टॉफ की कोई गारंटी नहीं होती। अयोग्य के जांच करने से रिपोर्ट गलत आने की आशंका रहती है। डॉक्टर चूंकि, रिपोर्ट के अधार पर ही इलाज करते हैं, वह गलत होने से मरीज की रिकवरी मुश्किल हा़े जाती है।

3. संक्रामक बीमारी का खतरा
गैर लाइसेंसी डाइग्नोस्टिक सेंटर व क्लीनिक व अस्पताल बायोमेडिकल वेस्ट का निष्पादन नहीं होता है। ईटीपी (इफ्लूएंस ट्रीटमेंट प्लांट) नहीं लगाने के कारण सभी जांच के बाद बचने या ओटी से निकलने वाला खून, मल-मूत्र सीधे नालियों में बहाते हैं। इससे बीमारियों फैलती हैं।

4. भ्रूण हत्या को बढ़ावा : बिना लाइसेंस डाइग्नोस्टिक सेंटर या अस्पताल संचालित होने से पीएनडीटी एक्ट के उल्लंघन की पूरी आशंका रहती है। क्योंकि लाइसेंस नहीं होने से मामला फंसने पर सेंटर संचालक, भ्रूण जांच करने से मुकर जाते हैं। लाइसेंस नहीं होने से उन पर सख्त कार्रवाई भी नहीं हो पाती है।

इतने लाइसेंस की अनदेखी कर सेहत से खिलवाड़

  • एटॉमिक एनर्जी एक्ट (रेडिएशन मानक के पालन के लिए)
  • पीसीएनडीटी एक्ट 1994 (लिंग जांच करने से मनाही)
  • एमटीपी एक्ट 1971 (सुरक्षित गर्भपात कराने के लिए)
  • बायो मेडिकल वेस्ट रूल (बायो-वेस्ट निष्पादन के लिए)
  • लोकल कानून (फायर व निगम के अपने लोकल कानून)

इतनी संस्थाएं अवैध चल रहीं : जिले में कुल 205 क्लीनिक व पॉली क्लीनिक में 77 बगैर लाइसेंस संचलित हैं। आवेदन देकर क्लीनिक खोल लिया है। चार अस्पताल के पास लाइसेंस नहीं है। 58 डाइग्नोस्टिक सेंटर के पास लाइसेंस नहीं है।

हम तो कार्रवाई के लिए सूची दे चुके, एसडीएम स्तर से कार्रवाई होनी है

“2023 से प्रदेश में नर्सिंग होम एक्ट लागू है। हर निजी स्वास्थ्य इकाई के संचालन से पहले लाइसेंस लेना है। बिना लाइसेंस संचालित होने वाले अस्पतालों, क्लीनिक, डाइग्नोस्टिक सेंटरों पर कार्रवाई के लिए हम पूरी सूची हर क्षेत्रीय एसडीएम को दे चुके हैं। बतौर दंडाधिकारी इन सबको बंद कराने की कार्रवाई उन्हीं के स्तर से की जानी है। स्वास्थ्य विभाग नियमित जांच भी कर रहा है।” -डॉ. जेपी मेश्राम, सीएमएचओ दुर्ग

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