UP-STF ने केंद्रीय विद्यालय की टीचर पात्रता परीक्षा में सेंधमारी करने वाले सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश किया है। 25 फरवरी को गैंग के सरगना समेत 21 लोग पकड़े गए। इसमें 2 महिलाएं भी थी। ये कम्प्यूटर हैकिंग का सहारा लेकर वाराणसी और प्रयागराज में नकल करा रहे थे। सॉल्वर गैंग का सरगना अलीगढ़ का चितरंजन शर्मा निकला। वह हरियाणा से नकल कराने के पूरे खेल को कंट्रोल कर रहा था।
यूपी में बीते 8 महीनों में बड़ी परीक्षाओं में हैकिंग के जरिए नकल कराने के 10 से ज्यादा बड़े मामले सामने आ चुके हैं। सभी में सॉल्वर गैंग ने हाई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर अलग-अलग तरीकों से नकल करवाई। इसमें ATM कार्ड की तरह दिखने वाली ब्लूटूथ डिवाइस से एग्जाम पास कराया गया। कभी चिप को प्राइवेट पार्ट में छिपाकर तो कभी लोकल एरिया नेटवर्क यानी LAN को हैक करके परीक्षाएं दिलवाई गईं।
हमने यूपी के 3 जिलों (लखनऊ, प्रयागराज और वाराणसी) में सॉल्वर गैंग के नकल कराने के तरीकों की पड़ताल की। यूपी UP-STF के एडिशनल एसपी राज कुमार मिश्रा और कुछ मोबाइल तकनीक के माहिर लोगों से बात की। जो कुछ पता चला, वह चौंकाने वाला था। आइए, सिलसिलेवार तरीके से सब कुछ जानते हैं।
KV-TET परीक्षा में नकल कराते पकड़े गए सॉल्वर गैंग के सदस्य।
कंप्यूटर ऑन करते ही सॉल्व हो जाता है पूरा क्वेश्चन पेपर
सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश करने वाले नोएडा STF के एडिशनल एसपी राज कुमार मिश्रा ने हमें पूरे ऑपरेशन की कहानी बताई। उनके मुताबिक, 25 फरवरी को STF की बनारस यूनिट को इनपुट मिला कि सेंट्रल स्कूल के TET एग्जाम में ऑनलाइन नकल कराई जा रही है। पहली पाली में सुबह 9 बजे से 12 बजे हो रही परीक्षा में सॉल्वर गैंग एक्टिव है। नकल का ये पूरा खेल स्क्रीन शेयरिंग के जरिए किया जा रहा था। गैंग नकल कराने के लिए खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही थी।
सेंट्रल स्कूल की TET परीक्षा Aptech कंपनी करा रही थी। दरअसल, होता ये है कि Aptech एग्जाम कंडक्ट कराने के लिए अपने मेन सर्वर से नोडल सेंटरों में पेपर डाउनलोड करा देती है। इसके बाद कंपनी इंटरनेट बंद कर देती है। ताकि एग्जामिनेशन सेंटर बाहरी दुनिया से कनेक्ट न कर पाएं। ऑनलाइन परीक्षाओं में बैठने वाले हर कैंडिडेट्स को एक क्लाइंट नोड दिया जाता है, जिसकी मदद से वह पेपर सॉल्व करता है। मास्टरमाइंड चितरंजन ने खास सॉफ्टवेयर की मदद से परीक्षार्थी को दिए गए क्लाइंट नोड का एक प्रॉक्सी क्लाइंट नोड तैयार कर लिया। इसी नोड के जरिए सॉल्वर गैंग पेपर सॉल्व करती थी।
आसान शब्दों में कहें तो होता ये है कि प्रॉक्सी नोड की मदद से क्वेश्चन पेपर कहीं और बैठे सॉल्वर गैंग के पास पहुंच जाता है। जहां गैंग उसे पूरा सॉल्व कर देती है और एग्जाम हॉल में बैठा कैंडिडेट सिर्फ दिखावे के लिए बैठा रहता है। जैसे इस केस में मास्टरमाइंड परीक्षा केंद्र से लगभग 800 किलोमीटर दूर बैठकर नकल करा रहा था।
परीक्षा कराने वाले भी थे सॉल्वर गैंग में शामिल
ये तस्वीर तब की है जब STF ने गिरोह को रंगे-हाथ पकड़ा था।
परीक्षा के दौरान Aptech कंपनी के कुछ लड़के नकल कराने में शामिल थे। ये सभी चितरंजन के संपर्क में थे। चितरंजन अलीगढ़ का रहने वाला है। लेकिन इसने अपना कंट्रोल रूम हरियाणा के पलवल में एक मकान में बनाया था। जहां से ये लगातार गैंग के संपर्क में था। जब हमने सॉल्वर्स को पकड़ा तो उस समय उनके सिस्टम में LIVE क्लाइंट नोड्स खुले हुए थे। इसमें सॉफ्टवेयर के जरिए 3 कैंडिडेट्स जुड़े हुए थे। इसी नेटवर्क से जोड़कर बनारस और प्रयागराज में कुछ सॉल्वर्स को बैठाया गया था। जो क्वेश्चन पेपर सॉल्व कर रहे थे।
सूचना मिलते ही STF की वाराणसी‚ प्रयागराज और नोएडा की टीमों ने सॉल्वरों की तलाश शुरू की। टीम ने मिले इनपुट के आधार पर प्रयागराज और वाराणसी में कई सेंटरों पर दबिश दी। 14 लोगों को वाराणसी से और 6 लोगों को प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया। गैंग का सरगना चितरंजन हरियाणा के पलवल से दबोचा गया। ये एक बड़ा ऑपरेशन था, जिसमें 3 जिलों की STF यूनिट और डिस्ट्रिक्ट पुलिस लगाई गई।
3 लैपटॉप खोलकर बैठा था सरगना, अचानक STF ने रेड मार दी
चितरंजन कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएट है। जब STF की टीम ने उसके कंट्रोल रूम में छापा मारा, तो वह 3 लैपटॉप खोल कर बैठा था। इसमें सीक्रेट सॉफ्टवेयर के जरिए वो सॉल्व किए जा रहे क्वेश्चन पेपर और सॉल्वरों की गतिविधियों पर नजर रख रहा था। उसके पास से रिकवर हुए डेटा से कैंडिडेट्स की प्रोफाइल, डिजिटल OMR शीट, प्रॉक्सी लॉगिन और जरूरी दस्तावेज मिले हैं।
STF से पूछताछ में उसने बताया कि यूपी के वाराणसी और प्रयागराज जिलों में प्रतियोगी परीक्षाएं देने वाले सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स हैं। इसलिए उसने इन शहरों में अपने गैंग को बढ़ाया। उसके टारगेट पर हॉस्टल और लॉज में रहने वाले छात्र और BSc-MSc पास युवा थे। वह इन्हीं बच्चों को अपनी गैंग में शामिल करता था।
STF के मुताबिक, आरोपियों के पास से 17 लैपटॉप‚ 1 प्रिंटर‚ 13 CPU‚ 3 इंटरनेट राउटर डिवाइस‚ 24 मोबाइल‚ 2 ATM और प्रिंटेड एडमिट कार्ड बरामद हुए हैं। फोरेंसिक एक्सपर्ट की मदद से कोडेड डेटा रिकवर किया जा रहा है।
परीक्षा पास कराने की रकम 12 लाख रुपए
STF के एडिशनल एसपी राज कुमार मिश्रा के मुताबिक, सॉल्वर गैंग परीक्षा पास कराने के लिए कैंडिडेट्स से 10 से 12 लाख रुपए लेती है। ये रकम 2 पार्ट में ली जाती है। 50% एग्जाम से पहले और बाकी परीक्षा के बाद।
STF के मुताबिक, सॉल्वर गैंग का सरगना ऑनलाइन परीक्षा करा रही कंपनी के कर्मचारियों से मिला था। तस्वीर मनीष रस्तोगी की है।
मामले में वाराणसी Aptech का सिटी हेड मनीष रस्तोगी पकड़ा गया है। मनीष परीक्षा केंद्रों पर कंप्यूटर हैक करने वाले IT टेक्नीशियन संतोष को प्रति अभ्यर्थी 20 हजार रुपए देता था। दोनों इस वक्त जेल में हैं। इसके अलावा पकड़े गए 21 आरोपियों में 2 लड़कियां (जौनपुर की दीप्ती सिंह और वाराणसी की प्रतिभा सिंह) भी शामिल हैं।
अब…
यहां तक आपने KV-TET परीक्षाओं में नकल करा रही सॉल्वर गैंग के बारे में जाना। आगे हाईटेक तरीके से नकल कराने के दूसरे तरीकों के बारे में जानते हैं…
3 हाईटेक डिवाइस के जरिए नकल कराता सॉल्वर गैंग
प्रयागराज के कीडगंज में इलेक्ट्रानिक शॉप के मालिक ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया, “परीक्षा में नकल कराने वाले इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के अच्छे जानकार होते हैं। इसके लिए ये 3 सबसे आसान तकनीकी डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं। ये तरीके GSM यानी ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन पर आधारित होते हैं।
KV-TET परीक्षा में जो गैंग पकड़ी गई उसके पास से ऐसे ही 2 ATM कार्ड बरामद किए गए।
GSM Box की कीमत 6 हजार से 15 हजार रुपए तक होती है। इसके अंदर का सिस्टम निकालकर अलग-अलग जगहों पर फिटकर एग्जाम हॉल ले जाते हैं।
इस पेन की बैटरी 3 घंटे तक सर्विस देती है। ब्लूटूथ कनेक्टिविटी के साथ ही इससे आसानी से लिखा भी जा सकता है।
नकल कराने के लिए चप्पलों में फिट कर दिए एम्प्लिफायर
लखनऊ की नाजा मार्केट में मोबाइल और इलेक्ट्रिक सामानों को ठीक करने की दुकान चलाने वाले राजीव ने भी हम से बात की। उन्होंने ऑफ द कैमरा बताया, ‘ प्रतियोगी परीक्षाओं के समय हमारे पास बाजार में उपलब्ध माइक्रो ब्लूटूथ डिवाइसेस की डिमांड बढ़ जाती है। सॉल्वर गैंग डिवाइसेस के साथ छेड़छाड़ करके उनको नए तरीकों से नकल कराने में इस्तेमाल करते हैं।’
राजीव ने बताया, “नकल कराने वाले गैंग घर पर ही डिवाइसेस बनाने लगे हैं। इन डिवाइसेस को चश्मे से लेकर चप्पल तक में आसानी से लगाया जा सकता है।”