रंगभरी एकादशी को बाबा विश्वनाथ माता गौरा को मायके से विदा कराकर कैलाश लौटने की परंपरा है। कल बाबा मां गौरा को विदा करा कर विश्वनाथ मंदिर पहुंचेंगे। बाबा और मां गौरा की रजत प्रतिमा जब पालकी से होकर गलियों में निकलती हैं, तो हजारों भक्त अबीर गुलाल संग महादेव और मां गौरा के साथ होली खलते हैं।
बाबा भोलेनाथ के भक्त ने सूरत से खास प्रकार का राजशाही पोशाक भेजा हैं । बेहद ही खास रंगों का यह वस्त्र बाबा विश्वनाथ अपने गौना के दिन पहकर अपने भक्तों को दर्शन देंगे। वही मां गौरा के लिए मथुरा के बरसाने से एक भक्त ने लहंगा तैयार करके भेजा हैं। आचार्य सुशील त्रिपाठी ने पालकी एवं राजशाही पोशाक का पूजन कराया।
बाबा पहनेंगे सूरत की राजशाही पोशाक
टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत आवास पर गौरा के विग्रह के समक्ष सुहागिनों और गवनहिरयों की टोली ने संध्या बेला में अचल सुहाग की कामना के साथ मंगलगीत गाए गए। माता गौरा को विदा कराने के लिए भोले बाबा गुरुवार को ससुराल पहुंचेंगे।
आगमन की तैयारियों में जुटे बाबा के भक्त
भोले बाबा के आगमन के लिए तैयारियां की जा रही हैं। ठंडई, मेवे और पकवान की व्यवस्था की जा रही है। कल रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती संग प्रथमेश की चल प्रतिमा की पालकी यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया है।