नगर पालिक निगम भिलाई में गुरुवार को सामान्य सभा की बैठक बुलाई गई। बैठक में मुख्यमंत्री की मंशा अनुरूप औद्योगिक इकाइयों का कर माफ करने का प्रस्ताव लाया गया। भाजपा पार्षदों ने इस प्रस्ताव को लेकर खुलकर आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा जब निगम उद्योग चलाने वाले उद्योगपति का कर माफ कर सकता है तो उस उद्योग में काम करने वाले गरीबों से कर क्यों लिया जा रहा है।
महापौर नीरज पाल ने सदन के सामने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश में उद्योग विभाग द्वारा विकसित औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित उद्योगों को संपत्तिकर से मुक्त करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री मंशा के अनुरूप निगम ने औद्योगिक इकाइयों को 50 प्रतिशत कर से छूट का प्रस्ताव दिया है। नीरज पाल ने बताया कि भिलाई नगर निगम क्षेत्र में कुल 688 औद्योगिक इकाइयां संचालित है। अब निगम को इनसे हर साल लगभग 4 से 5 करोड़ का राजस्व मिलता था। 50 प्रतिशत की छूट के बाद निगम के ऊपर हर साल 2 से ढाई करोड़ रुपए का अधिभार आएगा। इस कमी को पूरा करने के लिए निगम अन्य स्रोतों से भरपाई करेगा। महापौर ने कहा कि पार्षदों ने मांग की है कि गरीब परिवार, विधवा और विकलांगों को भी संपत्ति कर में छूट मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा निगम में पहले से ये प्रावधान है। ऐसे लोग आवेदन करें निगम से उन्हें संपत्ति कर में छूट जरूर मिलेगी।
सामान्य सभा में पार्षदों की बात सुनते सभापति
सदन में हुआ जमकर हंगामा
सदन की कार्रवाई के दौरान भाजपा पार्षदों ने जैसे ही प्रस्ताव पर आपत्ति लानी शुरू की तो सत्ता पक्ष के पार्षद उन पर हावी होने लगे। पार्षद रिकेश सेन ने कहा कि उद्योग को कर से मुक्त रखा गया है, यह प्रस्ताव स्वागत योग्य है, लेकिन वहां काम करने लोग छावनी क्षेत्र में रहते हैं, उनका कर नहीं माफ किया गया, ये चिंता का विषय है। नेता प्रतिपक्ष भोजराज सिन्हां, पार्षद पीयूष मिश्रा, दया सिंह और महेश वर्मा सहित अन्य ने भी यही बात रखी कि औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ वहां रह रहे गरीब, विधवा और विकलांग लोगों को कर के दायरे से दूर खा जाए।