अतीक अहमद और अशरफ को रविवार रात करीब 8.30 बजे सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। कसारी-मसारी स्थित कब्रिस्तान में दोनों के जनाजे में महज 100 लोग ही शामिल हुए। अतीक को बेटे असद से महज 5 कदम की दूरी पर दफन किया गया। अतीक को मिट्टी देने उसके दोनों बेटे भी आए, जो बाल सुधार गृह में बंद हैं। जबकि अशरफ को मिट्टी देने उसकी पत्नी जैनब और बेटी आए।
मिट्टी देने की इजाजत आधार कार्ड देखकर दिया जा रहा था। इसमें ऐसे ही लोगों को एंट्री मिली, जो परिवार के थे। इससे पहले पोस्टमॉर्टम हाउस से दोनों के शव को लेने बहनोई, ससुर और दो रिश्तेदार पहुंचे थे।
इस दौरान बेहद चाक चौबंद रही। पुलिस ने पूरे इलाके में बैरिकेडिंग कर रखी थी।
पूरे इलाके में 10 हजार जवान तैनात रहे
अतीक-अशरफ को जिस इलाके में दफन किया गया, वो उनका अपना इलाका था, यहीं से अतीक 5 बार और अशरफ एक बार विधायक चुने गए थे। ऐसे में उनकी हत्या के बाद इलाके सुरक्षा व्यवस्था बेहद पुख्ता की गई थी। पुलिस, पीएसी और रैपिड ऐक्शन फोर्स (RAF) के करीब 10 हजार जवानों ने पूरे इलाके के चप्पे-चप्पे को कब्जे में ले रखा था। हर गली, नुक्कड़, चौराहों पर पुलिस के जवान तैनात थे। छतों पर भी पुलिस के जवान खड़े किए गए थे।
चकिया इलाके में गलियां ऐसे ही सुनसान दिखीं। कोई दिख रहा था, तो वो सिर्फ सुरक्षा में तैनात जवान थे।
थ्री लेयर बैरिकेडिंग और चेकिंग की थी व्यवस्था
कब्रिस्तान से करीब 300 मीटर दूर सभी को रोक दिया गया। मीडिया कर्मियों को कब्रिस्तान अंदर नहीं जाने दिया गया। इससे पहले बैरिकेडिंग करके उनके नाम और मोबाइल नंबर नोट किए गए। पुलिस कमिश्नर की अगुआई में पुलिस ने करीब 25 गाड़ियों में फ्लाइंग मार्च पास्ट भी किया।
कब्रिस्तान में जाने के लिए आधार कार्ड देखे जा रहे थे। कब्रिस्तान से करीब 300 मीटर दूर सभी को रोक दिया गया।
मिट्टी देने के लिए आधार कार्ड लेकर पहुंचे लोग
अतीक और अशरफ को मिट्टी देने के बहुत से लोग आधार कार्ड लेकर भी पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें एंट्री नहीं दी। इसे लेकर कई बार लोगों की पुलिस से नोक-झोंक भी हुई। आखिरकार लोगों को लौटना ही पड़ा। इस दौरान में गुस्सा भी देखने को मिला।
मीडियाकर्मियों को कब्रिस्तान के बाहर तक जाने दिया गया। हालांकि उनके नाम और मोबाइल नंबर नोट किए जा रहे थे।
अतीक की आखिरी झलक पाने के लिए छतों पर चढ़े लोग
अतीक-अशरफ की बॉडी पोस्टमॉर्टम के बाद जब उसके मोहल्ले से गुजर रही थी, तो तमाम लोग दोनों की आखिरी झलक पाने के लिए छतों पर खड़े थे। हालांकि, लोग पाबंदियों के चलते अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए।
सुपुर्द-ए-खाक में शाइस्ता के पहुंचने को लेकर उड़ी अफवाहें
अतीक और अशरफ को जिस समय सुपुर्द-ए-खाक किया जा रहा था। उस वक्त पुलिस ने कब्रिस्तान को चारों तरफ से घेर रखा था। पुलिस को भी शक था कि अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन भी आ सकती हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि कई बार शाइस्ता परवीन के पहुंचने की अफवाह भी उड़ी। जो बाद में गलत साबित हुई।
पूरे इलाके में सिक्योरिटी के कड़े इंतजाम किए गए थे।
अस्पताल में मेडिकल टेस्ट से पहले हुई थी हत्या
माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात प्रयागराज में हत्या कर दी गई थी। पुलिस दोनों को मेडिकल टेस्ट के लिए अस्पताल ले जा रही थी। पत्रकार साथ-साथ चलते हुए अतीक और अशरफ से सवाल कर रहे थे। इसी बीच तीन हमलावर पुलिस का सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए आए और अतीक के सिर में गोली मार दी, फिर अशरफ पर फायरिंग की। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
प्रयागराज में सभी दुकानें बंद रहीं। लोग घरों के बाहर भी निकलने से बच रहे थे।
हमलावर मीडियाकर्मी बनकर आए थे
हमलावर मीडियाकर्मी बनकर आए थे। इनके नाम लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्या हैं। हमले के तुरंत बाद ही तीनों ने सरेंडर कर दिया। लवलेश बांदा, अरुण कासगंज और सनी हमीरपुर का रहने वाला है। उनसे हथियार बरामद किए गए हैं। कॉन्स्टेबल मानसिंह को भी गोली लगी है। सरकारी वकील गुलाब चंद्र अग्रहरी ने बताया- तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। यहां अतीक का बेटा अली भी कैद है।
चकिया इलाके में लोगों को घरों में ही रहने की हिदायत दी जा रही थी। बाहर पुलिस का सख्त पहरा दिखा। ऐसे में लोग छतों से पूरे मामले पर नजर बनाए थे।
तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित, 2 महीने में रिपोर्ट सौंपेगा
यूपी के गृह विभाग ने हत्याकांड की जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया है। यह आयोग 2 महीने के अंदर मामले की जांच करके शासन को रिपोर्ट सौंपेगा। आयोग को हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी लीड करेंगे। इसमें रिटायर्ड डीजीपी सुबेश सिंह, जिला कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार सोनी को भी शामिल किया गया है।