नगर निगम के चुनाव में इस बार महापौर पद के प्रत्याशी 40 लाख रुपए अपने प्रचार प्रसार में खर्च कर सकेंगे। जबकि बीते निकाय चुनाव में महापौर प्रत्याशियों के लिए 25 लाख रुपये खर्च करने की सीमा निर्धारित की गई थी। इसी तरह पार्षद पद का प्रत्याशी अपने चुनाव में महज तीन लाख रुपए ही खर्च कर सकता है।
वहीं नगर पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी ढाई लाख रुपए खर्च कर सकता है। इसके लिए प्रत्याशी द्वारा खर्च किए गए रुपयों का लेखा जोखा रखा जाएगा। इसके लिए मुख्य कोषाधिकारी शिवेंद्र सिंह को निर्वाचन व्यय अनुवीक्षण तंत्र का नोडल अधिकारी बनाया गया है। निर्वाचन व्यय रजिस्टर बनाया गया है जिसमें नामांकन तिथि से चुनाव परिणाम तिथि तक का पूरा विवरण रखा जाएगा।
प्रत्याशी को 3 बार कराना होगा लेखा परीक्षण
कोषाधिकारी आनंद दुबे ने बताया कि प्रत्याशी को तीन बार लेखा परीक्षण कराना अनिवार्य होगा। पहली बार 24 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच में, दूसरी बार 01 मई से 07 मई तक और तीसरी बार 08 मई से 15 मई तक लेखा परीक्षण कराना होगा।
उन्होंने बताया कि प्रत्याशी व्यय लेखा परीक्षण कलेक्ट्रेट कोषागार के नवीन भवन में स्थापित व्यय अनुवीक्षण कक्षाें सें संबंधित लेखा टीम से कराना होगा। निर्वाचन व्यय के लिए अलग से बैंक खाता खोला जाएगा। उसी खाते से ही प्रत्याशी को रुपये खर्च करने होंगे। सभी प्रत्याशियों को व्यय रजिस्टर की अधिकृत प्रति संबंधित रिटर्निंग आफिसर से प्राप्त करना होगा।