न्यायालय की ओर से पुलिस अभिरक्षा में पूछताछ के लिए आए माफिया पूर्व सांसद अतीक अहमद और पूर्व विधायक अशरफ की हत्या पर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सवार उठाए हैं। उन्होंने आश्वासन के बावजूद हत्या में कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट की भूमिका पर ही सवाल उठाए हैं। शंकराचार्य ने कहा कि अतीक-अशरफ दोनों ने अपनी हत्या की आशंका जताई थी। कोर्ट ने आश्वासन दिया था कि पुलिस आपकी सुरक्षा करेगी। इसके बाद भी दोनों की हत्या कर दी गई। कोर्ट को इस मामले में खुद संज्ञान लेना चाहिए था। अभी तक कोर्ट ने नहीं लिया है ऐसे में तो कोर्ट से लोगों का भरोसा ही उठ जाएगा।
मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सवाल किया कि हत्याकांड का कोर्ट ने क्यों संज्ञान नहीं लिया। शंकराचार्य ने कहा कि कोर्ट के ऊपर विश्वास करके अतीक यूपी आया था। उसने आशंका व्यक्त की थी कि यूपी में मेरी हत्या हो सकती है। न्यायालय ने आश्वासन दिया था कि आप चिंता मत कीजिए, पुलिस ले जा रही है तो आपकी रक्षा भी करेगी। इसके बाद भी हत्या हो गई और न्यायालय ने कोई संज्ञान नहीं लिया। शंकराचार्य ने सवाल किया कि इसका मतलब है कि कोर्ट के कहने पर कोई कुछ करे और बाद में कुछ हो जाएतो कोर्ट चुप हो जाएगा। इससे तो कल कोर्ट से लोगों का भरोसा कम हो जाएगा।
आतताई का अंत होना चाहिए
शंकराचार्य ने कहा कि कोई आतताई है या आत्याचारी है तो उसका अंत होना चाहिए। लेकिन इस तरह से पुलिस अभिरक्षा में हत्या गलत है। इस तरह से अंत हो जा रहा है कि पुलिस की रक्षा में मार दिया जाए। इससे तो पुलिस, सरकार और कोर्ट सभी से लोगों का भरोसा ही हट जाएगा लोकतंत्र में विश्वास बरकरार रहना चाहिए
कोर्ट से कदम उठाने की मांग
शंकराचार्य ने कहा कि अतीक की हत्या के बाद कोर्ट को खुद कुछ करना चाहिए था। कोर्ट के आश्वासन के बाद भी पुलिस उसकी रक्षा नहीं कर सकी है। जब कोर्ट के कहने के बाद उनके आश्वासन पर वो गया तो कोर्ट को कोई कार्रवाई तो करनी चाहिए। अतीक की हत्या के बाद कोर्ट को खुद कुछ करना चाहिए था। कोर्ट के आश्वासन के बाद भी पुलिस उसकी रक्षा नहीं कर सकी है। जब कोर्ट के कहने के बाद उनके आश्वासन पर वो गया तो कोर्ट को कोई कार्रवाई तो करनी चाहिए।
15 मार्च को हुई थी अतीक और अशरफ की हत्या
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 मार्च को प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उमेश पाल हत्याकांड में कोर्ट ने दोनों को उस दौरान पुलिस कस्टडी में दिया था। पुलिस दोनों को मेडिकल के लिए काल्विन अस्पाताल लेकर पहुंची थी। इसी दौरान अस्पताल के बाहर ही ताबड़तोड़ फायरिंग कर तीनों की हत्या कर दी गई थी।