प्रयागराज में माफिया अतीक और अशरफ का पाकिस्तानी एजेंसी ISI से कनेक्शन सामने आया है। अशरफ ने करेली में गिरफ्तार आतंकी जीशान कमर को पासपोर्ट बनवाने के लिए जिला पासपोर्ट अधिकारी को पत्र लिखा था। उसने पत्र में लिखा था, ”जीशान कमर प्रयागराज के करेली का रहने वाला है। वह पिछले कई साल से मेरे यहां काम करता है। जीशान कमर के साथ मेरा घर जैसे ताल्लुक हैं। इसलिए जल्द से जल्द जीशान कमर का पासपोर्ट पूरा करवाएं। इन्हें अपने काम के सिलसिले में विदेश की यात्रा करनी है।”
ऐसा कहा जाता है कि जीशान को पाकिस्तान में हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। वह प्रयागराज में रहकर आतंकी गतिविधियों को चलाना चाहता था। जीशान पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेने के बाद अपने कुछ सहयोगियों के साथ लखनऊ के रास्ते प्रयागराज आया था। वह अपने साथ हथियार भी लाया था, जिसे उसने नैनी स्थित पोल्ट्री फॉर्म में छिपा दिया था। वह ऑनलाइन खजूर बेचने के बहाने आतंकी गतिविधियों को चलाता रहा। इसी बीच सुरक्षा एजेंसियों को इसका पता चल गया और उसे साल 2021 में गिरफ्तार कर लिया गया।
वहीं, पुलिस रिमांड के दौरान अतीक और अशरफ ने भी अपने ISI कनेक्शन को कबूल किया था। साथ ही दोनों ने माना था कि उन्होंने पाकिस्तान से हथियार मंगाए थे। ऐसे में कहा जा रहा है कि शायद जीशान के जरिए माफिया अतीक ISI के नजदीक करीब पहुंचा था। पुलिस अब इस एंगल पर भी जांच कर रही है।
अतीक के दफ्तर में मिले खून की रिपोर्ट सुरक्षित
प्रयागराज में माफिया अतीक का चकिया वाला दफ्तर भले ही खंडहर हो गया हो, लेकिन वह एक बार फिर चर्चा में है। सोमवार को दफ्तर में सीढ़ियों, कमरे और किचन में खून के धब्बे मिले। जिसके बाद पुलिस की फोरेंसिक जांच टीम ने खून के नमूने और फिंगर प्रिंट लेने के बाद रिपोर्ट सुरक्षित रख ली है। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि आखिर खून के धब्बे कैसे हैं? पुलिस आस-पास के अस्पतालों में लगे CCTV भी खंगाल रही है।
अशरफ का लिखा यह पत्र सामने आया है।
पुलिस जांच कर रही है कि हाल ही में घायल हुए या मृत किसी व्यक्ति से इन खून के नमूने और फिंगर प्रिंट का कोई मैच तो नहीं है? माना जा रहा है कि अगर किसी घायल व्यक्ति हाल फिलहाल में मृत व्यक्ति का इन फिंगर प्रिंट और ब्लड सैंपल से मिलान होता है, तो पुलिस इस मामले से पर्दा उठा सकेगी।
आस-पास के CCTV फुटेज खंगाल रही पुलिस
अतीक अहमद के चकिया स्थित दफ्तर से खून के छींटें मिलने के बाद पुलिस ने आस-पास के CCTV फुटेज कब्जे में ले लिए हैं। उनकी भी जांच हो रही है। देखा जा रहा है कि रविवार से लेकर सोमवार तक कहीं कोई दफ्तर से निकलता हुआ घायल या मृत अवस्था में तो नहीं ले जाया गया। अगर ऐसा कुछ दिखता है तो फोन को सर्विंलांस पर रखकर घटना से जुड़े लोगों का पुलिस पता लगाने की कोशिश करेगी।
2020 में इस पर प्रयागराज प्राधिकरण अथॉरिटी (PDA) ने बुलडोजर चलाया था। तब से ये खाली पड़ा है। उमेश पाल हत्याकांड के बाद 21 मार्च यानी 34 दिन पहले इसी दफ्तर में पुलिस को 74 लाख रुपए कैश और 10 पिस्टल मिली थी।
ACP कोतवाली सतेंद्र पी. तिवारी ने कहा, “फोरेंसिक टीम यह जांच करेंगी कि ये धब्बे खून के हैं या कुछ और। खून के धब्बे हैं तो किसका खून है, यह भी जांच का विषय है। आस-पास लगे CCTV की जांच किया जा रहा है। देखा जाएगा कि हाल ही में क्या कोई शख्स अंदर गया है? आसपास के लोगों से भी पूछताछ की जा रही है।”