बस्तर के IG सुंदरराज पी ने 20 अप्रैल को कहा था- हर साल गर्मी के मौसम में नक्सलियों की हिंसक घटनाएं बढ़ जाती है, सुरक्षा बलों पर हमला करना और हिंसात्मक गतिविधियां की जाती हैं। 2022 में नक्सली कोई बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे पाए, 2023 में भी हम उनकी साजिश को नाकाम करेंगे।
‘इस साल 2023 में नक्सली कोई बड़ी घटना की साजिश करते हैं तो इसे हम नाकाम करेंगे…’ ये बातें पिछले गुरुवार को कही गईं। अब बुधवार 26 अप्रैल को दंतेवाड़ा से खबर आई कि नक्सलियों ने जवानों पर हमला किया इसमें 10 जवान शहीद हो गए। इस रिपोर्ट में जानिए प्रदेश में हुए बड़े नक्सल अटैक्स के बारे में जिनमें से लगभग सभी घटनाएं गर्मी के महीनों में ही हुईं।.
अप्रैल के ही महीने में साल 2021 में बीजापुर में एक गांव में नक्सलियों ने जवानों को घेरकर फायरिंग की 22 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद अब दंतेवाड़ा में 10 जानें ले लीं, इसी साल फरवरी में नक्सलियों के हमले में 3 जवान शहीद हुए। साल 2013 के मई के महीने में कांग्रेस नेताओं पर हुआ झीरम हमला कोई नहीं भूला, इसमें 30 नेताओं और सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई थी।
इस तरह से पूरा जंगल दूर से खुला दिखता है गर्मियों में।
गर्मी में ही क्यों आक्रामक होते हैं नक्सली
नक्सली गर्मी में टेक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं। इस दौरान जंगल में पतझड़ का मौसम होता है, जिससे दूर तक देख पाना संभव होता है। नदी-नाले सूखने के कारण एक जगह से दूसरी जगह जाना भी आसान होता है। नक्सली साल भर अपनी मांद में दुबककर साथियों की मौत, गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण को चुपचाप देखते हैं। बाद में टीसीओसी में पलटवार करते हैं।
नक्सली गर्मियों के महीनों में बेहद आक्रामक होते हैं। जानकार बताते हैं कि अप्रैल, मई के महीने में जंगल सूख जाते हैं। हरियाली जिसकी आड़ में छुपकर नक्सली जीवन बिताते हैं वो नहीं बचती। इस वजह से वो अटैकिंग मोड में रहते हैं। साल 2021 से 2023 की ताजा घटनाओं को समझें तो सिर्फ इसी दरम्यान 30 से ज्यादा जवानों की जान नक्सलियों ने ली है।
बीजापुर में यूं पड़े थे जवानों के शव।
बीजापुर की घटना हालिया सालों का सबसे बड़ा हमला था। उस सर्चिंग में जवान 1500 से अधिक की तादाद में थे। इस हमले में फोर्स को घेरने में नक्सलियों का साथ गांव के लोगों ने भी दिया। CRPF के DG कुलदीप सिंह ने बताया था कि जहां जवानों पर हमला हुआ वहां के जन मीलिशिया (गांव के ऐसे लोग जो नक्सलियों के लिए काम करते हैं) मिलकर जवानों को घेरने लगे। दूर कहीं उन्होंने LMG (लाइट मशीन गन) लगा कर रखी थी, उसी से हैवी फायरिंग की गई।
कमांडेट की भी जान ली थी नक्सलियों ने।
नवंबर 2020 में इसी तरह के हमले में CRPF के असिस्टेंट कमांडेंट शहीद हो गए थे। 22 मार्च 2020 में नक्सलियों की फायरिंग में 3 जवान शहीद हो गए थे इसमें 6 नक्सलियों के मारे जाने की खबर थी।
जवानों से भरी बस को नक्सलियों ने उड़ा दिया था।
मार्च 2018 में छत्तीसगढ़ के सुकमा स्थित किस्टाराम एरिया में नक्सलियों ने आइईडी विस्फोट की घटना को अंजाम दिया। इस विस्फोट में सीआरपीएफ के 212 बटालियन के 9 जवान शहीद हो गए थे।
DGP ने शहीदों के परिजनों से मुलाकात की थी। इसी साल फरवरी में।
इसी साल 25 फरवरी को सुकमा जिले के जगरगुंडा क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्याें की सुरक्षा देने के लिए जगरगुंडा कैंप से पुलिस जवानों की टुकड़ी मोटरसाइकिल पर रवाना हुई थी जहां पर पहले से घात लगाए नक्सलियों ने पुलिस टुकड़ी पर फायरिंग कर दी जिसमें 3 पुलिस जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद डीजीपी अशाेक जुनेजा ने घटना स्थल का भी जायजा लिया और स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत की।
76 जवान मारे गए थे
नक्सल इतिहास की सबसे बड़ी घटना 6 अप्रैल 2010 को सुकमा जिले के ताड़मेटला गांव में हुई थी। इसमें सीआरपीएफ के 76 और जिला बल के एक जवान शहीद हो गए थे। नक्सलियों के बड़े दल ने जवानों पर हमला किया था ये महीना भी अप्रैल का ही था।
मिनपा हमले के बाद नक्सलियों ने यूं लूटे हुए हथियार दिखाए।
मिनपा हमला
सुकमा जिले के मिनपा में 21 मार्च 2020 को नक्सलियों की बस्तर दंडकारण्य (बस्तर) कमेटी ने जवानों पर हमला किया था। 17 जवान शहीद हुए थे। तीन नक्सलियों को भी जवानों ने मार गिराया था। फिर मई के महीने में इस कांड से जुड़ा वीडियो नक्सलियों ने जारी किया और दावा किया गया है कि 17 नहीं 19 जवानों को मारा और एके 47, इंसास जैसी 15 बदूंकें और जवानों की वॉकी-टॉकी, गोलियां लूटी। लूट के हथियार की नक्सलियों ने प्रदर्शनी लगाई थी।
मुठभेड़ में घायल जवान ।
बुर्कापाल एंबुश
24 अप्रैल साल 2017 बुर्कापाल कैंप के 90 जवानों का दल रोड ओपनिंग और निर्माण की सुरक्षा के लिए निकला था। फोर्स के जवान भोजन करके बैठे ही थे कि एंबुश लगाए नक्सलियों ने दोपहर करीब 1 बजे हमला कर दिया। 25 जवान इस हमले में शहीद हुए थे।
पॉलिटिकल हत्याएं भी गर्मियों में ही
अप्रैल का ही महीना और साल था 2019। दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या 9 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव प्रचार से जिला मुख्याल लौटने के दौरान हुई थी। नकुलनार के श्यामगिरी गांव के पास आईईडी लगाकर नक्सलियों ने उनके काफिले को विस्फोट से उड़ा दिया था। इसमें विधायक भीमा मंडावी उनके ड्राइवर, सुरक्षा गार्ड सहित कुल चार लोगों की मौत हो गई थी।
भाजपा के विधायक की हत्या की गई थी।
25 मई 2013 को झीरम घाटी में नक्सलियों ने एंबुश लगाया था, जिसमें राज्य के दिग्गज कांग्रेसी नेता शहीद हो गए थे। इसमें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के अलावा कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर कहलाने वाले महेंद्र कर्मा और उदय मुदलियार समेत 29 लोग शामिल थे। इस वारदात के ठीक साढ़े पांच साल के बाद कांग्रेस सत्ता में वापस आई। इसके बाद से ही कयास लग रहे थे कि हमले का सच सामने आएगा जो नहीं आया।