पूर्वांचल की राजनीति में अपराध की दुनिया से आकर कदम रखने वाले मुख्तार अंसारी को बाहुबलियों में पहले पायदान पर है। छात्र राजनीति से सियासी राह पर चलने वाले मुख्तार केवल यूपी की राजनीति में ताकतवर नहीं बल्कि उसका नेटवर्क आसपास के तमाम राज्यों में फैला है। उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के चार राज्यों में मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं। इन राज्यों के 12 जनपदों के 23 थानों में उनके खिलाफ 61 मुकदमे दर्ज हैं। एमपी/एमलए कोर्ट में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के सबसे ज्यादा मामले में गाजीपुर, मऊ और वाराणसी से ही जुडे हैं।
मुख्तार अंसारी ने सिर्फ पूर्वांचल ही नहीं, बल्कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ, दिल्ली, पंजाब और बिहार तक में अपने जरायम की छाप छोड़ी है। लगभग पूरे देश में अपने मजबूत नेटवर्क के लिए कुख्यात मुख्तार पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, रंगदारी के लिए धमकी, दंगा भड़काने, धोखाधड़ी, सरकारी व निजी संपत्तियों पर कब्जा करने, अवैध वसूली, असलहों, मछली आदि विविध वस्तुओं की तस्करी, गैंगस्टर, क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट, मकोका, एनएसए, आदि गंभीर आरोपों में मुकदमे कायम किए गए हैं। चारों राज्यों के 12 जनपदों के 21 थानों में मुख्तार पर दर्ज मुकदमे उसकी काली दुनिया की कलई खोलते हैं। गाजीपुर के स्थानीय लोगों की माने तो अपने छात्र जीवन से ही जरायम की दुनिया में अपना दबदबा कायम करने वाले मुख्तार कुछ मामलों में गवाहों के मुकर जाने के कारण व साक्ष्य के अभाव में बरी भी हो चुके हैं। मुख्तार के नेटवर्क को तोड़ने में जुटी पुलिस के सामने मुकदमों, संबंधों और गुर्गों की भी लंबी सूची है।
यूपी और दिल्ली तक रही हत्याकांडों की गूंज
गाजीपुर में सबसे चर्चित भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का केस सबसे ऊपर है। इसमें सीबीआई कोर्ट से आरोपी बरी हो गए लेकिन फिर सरकार ने हाईकोर्ट में पैरवी शुरू कर दी है। मऊ में ए श्रेणी ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना सिंह दोहरा हत्याकांड, मन्ना हत्याकांड के गवाह रामचंद्र मौर्य और उनके अंगरक्षक सिपाही सतीश के दोहरे हत्याकांड मामलों में अभी सुनवाई जारी है। बांदा जेल में बंद मुख्तार के खिलाफ गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ व लखनऊ की पुलिस तेजी से मुकदमों का ट्रायल कराने में जुटी है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर केस में चौथी सजा हुई, जो गाजीपुर में अन्य केस के बराबर है।
गाजीपुर के इस मुकदमें में वादी है मुख्तार अंसारी
इलाहाबाद की स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में एक केस में मुख्तार का आरोपी नहीं बल्कि वादी है। यह मामला 15 जुलाई साल 2001 का है। मुख्तार अंसारी ने मोहम्मदाबाद थाने में माफिया बृजेश सिंह और अन्य के खिलाफ जानलेवा हमला करने समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बृजेश सिंह की जमानत के बाद ट्रायल तेज कर दिया है। गवाही शुरू कराने की मांग को लेकर मुख्तार अंसारी की पेशी अब जल्द होगी। पिछले दिनों केस में आरोपी त्रिभुवन सिंह ने हाईकोर्ट से मामले की सुनवाई को किसी और अदालत में करने की गुहार लगाई थी। हालांकि इस केस में हमलावर बताए गए मृतक मनोज राय के पिता ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया है।
पूर्व विधायक अजय राय अपने भाई अवधेश राय की हत्या का केस लड़ रहे हैं।
सबसे अहम मामले पर सबकी नजरें, अंतिम दौर में ट्रायल
मुख्तार के खिलाफ सबसे बड़ा मुकदमा मऊ के दक्षिण टोला थाने में दर्ज डबल मर्डर केस का है। पूर्वांचल के मऊ जिले में साल 2009 में ए कैटेगरी के बड़े ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ़ मन्ना की दिनदहाड़े बाइक सवार हमलावरों ने एके 47 का इस्तेमाल कर हत्या कर दी थी। हत्या का आरोप बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर लगा था। मर्डर केस में मन्ना का मुनीम राम सिंह मौर्य चश्मदीद गवाह था। गवाह होने के चलते राम सिंह मौर्य को सतीश नाम का एक गनर भी दिया गया था। साल भर के अंदर ही आरटीओ आफिस के पास राम सिंह मौर्य और गनर सतीश को भी मौत के घाट उतार दिया गया था। इस मामले में भी मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। मुख़्तार पर जेल में रहते हुए हत्या की साजिश रचने का आरोप है। इसके अलावा अवधेश राय हत्याकांड भी फैसले के इर्दगिर्द पहुंच गया है।
रोपड़ से एक बार भी पेशी में नहीं हुआ शामिल
रोपड़ जेल में 26 महीनों तक बंद रहे मुख्तार अंसारी एक बार भी गाजीपुर न्यायालय में पेश नहीं हुआ। जेल से ही वह खराब सेहत का हवाला देकर 54 बार तारीख लेता रहा। हालांकि रोपड़ जेल प्रशासन के अनुसार गंभीर बीमारियों से पीड़ित मुख्तार को कड़ी सुरक्षा के साथ कई बार इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। उसके बावजूद गैंगस्टर समेत किसी भी केस में मुख्तार की पेशी नहीं हो सकी।
गाजीपुर में भी लंबे समय से चल रही थी सुनवाई:
जिला सत्र न्यायालय के विशेष एमपीएमएलए कोर्ट में मुहम्मदाबाद कोतवाली में मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी पर 2007 में दर्ज गैंगस्टर केस की सुनवाई लंबे समय से चल रही थी।पिछले कुछ वर्षों से इस केस की सुनवाई इलाहाबाद की बेंच कर रही थी लेकिन बाद में मुकदमा गाजीपुर ट्रांसफर कर दिया गया। पिछले माह जिरह के बाद जज ने फैसला सुरक्षित कर लिया था और आज उसे कोर्ट में सुनाया गया।