विजय मिश्रा के बेटे विष्णु मिश्रा को सशर्त जमानत:धोखाधड़ी और कपट के आरोपों की हाईकोर्ट कर रहा सुनवाई, रिहा करने का आदेश

KHABREN24 on May 5, 2023

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली पूर्व विधायक विजय मिश्र के बेटे विष्णु मिश्र की सशर्त जमानत दे दी दी है। विष्णु मिश्र पर धोखाधड़ी और कपट करने के आरोप में केस दर्ज कराया गया था। कोर्ट ने याची को जमाकर रिहा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस समीर जैन ने विष्णु मिश्र की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा- प्राथमिकी में सारे आरोप याची के पिता विजय मिश्र पर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि विष्णु मिश्र पर जो भी आरोप लगाए गए हैं वो सारे आरोप प्राथमिकी में विजय मिश्रा के खिलाफ हैं।

शिकायतकर्ता की भागीदारी फर्म से याची के खाते में पैसे भेजें गये है। चेक अनादर का केस शिकायतकर्ता के खिलाफ चल रहा है। मुख्य अभियुक्त याची के पिता हैं। याची 24 जुलाई 22 से जेल में बंद हैं। प्राथमिकी 20 साल बाद दर्ज कराई गई है। कोर्ट ने याची को प्रतिभूति लेकर रिहा करने का निर्देश दिया है।

क्या है मामला?

इस मामले में पूर्व विधायक विजय मिश्र के भाई ने उनके व पुत्र, पत्नी राम लली मिश्रा के खिलाफ चार अगस्त 20 को गोपीगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि विजय मिश्र ने 2001 में मेसर्स कृष्ण मोहन तिवारी फर्म पर जबरन कब्जा कर लिया है। मकान में रह रहे हैं। फर्म का पैसा स्वयं, अपने पुत्र व पत्नी के खाते में स्थानांतरित कर रहे हैं। पांच चेक पर शिकायतकर्ता के जबरन हस्ताक्षर ले लिए। वसीयत लिखने का दबाव बना रहे और पूरे परिवार को परेशान कर रहे हैं।

उधर, सुनवाई के दौरान या9ी के वकील ने कहा कि याची ने कोई धोखाधड़ी कपट नहीं किया गया है। झूठी कहानी गढ़ी गई है। राजनीति के कारण केस दर्ज कराया गया है। याची के पिता कई बार विधायक ज्ञानपुर से रहे हैं। मां रामलली भी सोनभद्र मिर्जापुर से विधायक रह चुकी है। याची 1998 से 2006 तक देहरादून में रहा। 2006 से 2012 तक अमेरिका में रहा। 2012 से 16 तक दिल्ली में व्यवसाय कर रहा था।

याची की मां, अशोक शुक्ला व शिकायतकर्ता की भागीदारी फर्म है। मां व अशोक शुक्ला ने आरबिट्रेशन के लिए अर्जी दी। जिला जज ने 22 फरवरी 2021 के फैसले में भागीदारी फर्म माना है। शिकायतकर्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस विनीत सरन आर्बिट्रेटर है। फर्म पर कब्जे का आरोप झूठा है।

शिकायतकर्ता खुद बेच रहा फर्म की संपत्ति

याची का कहना था कि शिकायतकर्ता खुद फर्म की संपत्ति बेच रहा है। उसने छह करोड़ खाते से निकाल लिए हैं। जो चेक दिया था उनमें से 4 के अनादर होने का केस चल रहा है। प्राथमिकी में मुख्य आरोपी याची के पिता विजय मिश्रा हैं। उस पर कोई आरोप नहीं है। उसके खाते में पैसे फर्म से स्थानांतरित हुए हैं। उसने फर्म से पैसे नहीं निकाले हैं। शिकायतकर्ता पर 10 आपराधिक केसों का इतिहास है। जिस पर कोर्ट ने सशर्त जमानत पर रिहाई का आदेश दिया है।

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