हेलो… सुशीला देवी बोल रही हैं? जवाब आता है, जी मैं सुशीला ही हूं, आप कौन? मैं प्रयागराज का CDO बोल रहा हूं…आप ये बताएं कि आपको आवास की धनराशि मिल गई? क्या किसी ने आपसे कोई घूस तो नहीं मांगी थी? सुशीला की आवाज आती है कि सर..गांव के ही एक युवक ने आवास दिलाने के लिए 5 हजार रुपए लिए थे।’
इस फोन कॉल के बाद CDO गौरव कुमार ने विकासखंड के अधिकारियों को दलाल से 5 हजार रुपए लाभार्थी सुशीला को वापस कराने के लिए कहा। करीब 2 घंटे बाद संबंधित अधिकारी ने CDO को कॉल करके बताया कि सुशीला को 5 हजार रुपए वापस कर दिया गया है। सुशीला देवी फूलपुर तहसील के तारडीह गांव की रहने वाली हैं।
शिकायतों की थर्ड पार्टी जांच कराने के बाद सत्यता भी जांची जाती है।
प्रयागराज में नई पहल, लोगों को हो रहा फायदा
CDO गौरव कुमार वर्ष 2018 बैच के IAS अफसर हैं, जिन्होंने प्रयागराज में नई पहल शुरू की है। हर रोज अलग-अलग विभाग के लाभार्थियों को कॉल करके यह पता किया जा रहा है कि उनसे योजना का लाभ दिलाने के लिए किसने और कितने रुपये रिश्वत लिए। इसके लिए विकास भवन में कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।
अपात्रों को फंड देने में ग्राम विकास अधिकारी निलंबित
धनुपुर विकासखंड के गहरपुर धोबहा गांव के ग्राम विकास अधिकारी तनय तिवारी को लापरवाही के चलते निलंबित कर दिया गया है। दरअसल, उनकी लापरवाही से गहरपुर धोबहा गांव में तीन अपात्रों को आवास के लिए बजट आवंटित कर दिया गया था।
इसी तरह जरांव गांव में चार अपात्रों का चयन आवास के लिए किया गया था। इसी तरह कोरांव विकासखंड के भोगन गांव में 20 अपात्रों का आवास मुहैया कराया जा रहा था, उरूवां के बरी गांव में 13 अपात्रों को आवास का बजट दिया गया था। जांच में पता चलने पर पूरा बजट वापस लेकर शासन को भेज दिया गया है।
जो लोग CDO गौरव कुमार के पास खुद आते हैं, उनकी भी मदद की जा रही है।
‘सरकारी योजनाओं के नाम पर रिश्वत लिया तो कार्रवाई’
दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान CDO गौरव कुमार ने कहा कि गांव के लाभार्थियों से लोग रिश्वत लेते हैं। इसकी शिकायत भी आती रहती है। अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। विकास भवन में कंट्रोल रूम बनाने का यही उद्देश्य है। यहां टीम बैठाई गई है। यह सभी विभागों से लाभ पाने वाले लाभाथियों को सीधे कॉल करके पूछते हैं कि उनसे रिश्वत कौन मांगा या मांग रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी सामने आई है। हम जब लाभार्थी से बात कर रहे हैं तो पता चला कि 20 ज्यादा ऐसे जगह हैं जहां स्वास्थ्य विभाग की टीम, आशा कार्यकर्ता टीकाकरण के लिए जाती ही नहीं हैं। उन्होंने बताया कि एक ऐसा ऐप भी बनाने की तैयारी हो रही है जिसमें वायस रिकार्डिंग की भी सुविधा हो ताकि उसे हमें साक्ष्य के तौर पर रख सकें।