दुर्ग नगर निगम बुधवार को पानी दो पानी दो के नारों से गूंज उठा। लोगों का आरोप है कि भीषण गर्मी में उनके घरों में पानी नहीं पहुंच रहा है। लोगों ने इसके लिए दुर्ग विधायक अरुण वोरा को जिम्मेदार बताया और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने विधायक के सामने मटके तक फोड़े। लोगों ने विधायक को देखते हुए नारेबाजी शुरू कर दी विधायक ने पानी की बोतल बांटकर उन्हें समझाना चाहा तो महिलाओं ने विधायक को लबरा (झूठा) तक कह डाला। इस पर विधायक ने कहा कि लबरा वो नहीं वो भाजपा नेता हैं, जो उनके साथ आए हैं।
भाजपा जिलाध्यक्ष जितेंद्र वर्मा के मार्गदर्शन में दुर्ग नगर निगम क्षेत्र के वार्ड वासियों ने पानी की समस्या को लेकर निगम का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान निगम सरकार और विधायक अरुण वोरा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार लोगों को पानी तक दे पा रही है। लोगों के घरों में पानी नहीं पहुंच रहा है, शिकायत करने पर निगम टैंकर से पानी नहीं पहुंचा पा रहा है। इस भीषण गर्मी में बिना पानी के उनका जीना मुश्किल हो रहा है। निगम घेराव के दौरान बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और वार्ड के लोग शामिल थे। उन्होंने महापौर कार्यालय के सामने मटके तक फोड़े। प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं।
विधायक अरुण वोरा को महिलाओं ने घेरा, मांगा जवाब
महापौर धीरज बाकलीवाल ने इस समस्या के लिए भाजपा शासन को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा दुर्ग नगर निगम 11 एमएलडी, 24 एमएलडी और 42 एमएलडी से पानी सप्लाई होता है। वोल्टेज की समस्या से 42 एमएलडी वाले कुछ क्षेत्र में पानी की समस्या हुआ है। पूर्व सरकार की गलती का परिणाम है। जब अमृत मिशन का डीपीआर बन रहा था, तब उन्होंने इंटकवेल की क्षमता को नहीं बढ़ाया। इसकी वजह से निगम को अपने मद से 112 एचपी के चार पंप 1.60 करोड़ की लागत से खरीदना पड़ रहा है।
दुर्ग नगर निगम का घेराव करने पहुंचे वार्डवासी
धरना के बीच पहुंच कर विधायक वोरा ने लोगों को दी सफाई
दुर्ग नगर निगम में घेराव के दौरान लोगों के बीच विधायक क्यों गए इसके जवाब में अरुण वोरा ने कहा कि उनके ऊपर लोग आरोप लगा रहे थे। इसलिए वो अपनी सफाई देने उनके बीच गए थे। उन्होंने उन्हें बताया कि वो दुर्ग के मतदाताओं का हमेशा रिणी रहेंगे। लोगों की समस्या उनकी समस्या है। इसीलिए उन्होंने मुख्यमंत्री से विकास के लिए बात की और 400 करोड़ रुपए का विकास कार्य लेकर आए। पानी की समस्या होने पर वो खुद वार्डों में पहुंचे थे। मटकी जो इन्होंने फोड़ा वो गलत था। बिना मटकी फोड़े भी वो लोग अपनी बात पहुंचा सकते थे।