वाराणसी में आज ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले की सुनवाई होगी। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश मामले से जुड़े सभी मुकदमों में सुनवाई करेंगे। कोर्ट सबसे पहले रिजवीन याचिका दाखिल करने वाले अंजुमन इंतजामिया कमेटी के लिखित जवाब को जानेगी। केस को एक साथ सुनने पर उनकी आपत्ति के बिंदुओं की पड़ताल करेगी। इसे बाद मुकदमे में सभी केसों का शेड्यूल तय करेगी।
वहीं यूनियन ऑफ इंडिया के तरफ से शासकीय अधिवक्ता ने सभी मुकदमा के प्लैंट की कॉपी मांगी है। हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि हम संपूर्ण परिसर के सर्वे की मांग को उठा रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में भी सुनवाई जारी है, जल्द ही बड़ा फैसला आएगा।
दिसंबर 2022 की याचिका पर मई में फैसला
ज्ञानवापी से जुड़े शृंगार गौरी वाद की महिला वादियों (रेखा, सीता, मंजू, लक्ष्मी) ने पिछले साल दिसंबर में जिला जज की कोर्ट में एप्लिकेशन देकर 7 मामलों की सुनवाई एक साथ, एक ही कोर्ट में करने की मांग की थी। इसमें 6 सिविल जज सीनियर और किरन सिंह विसेन का एक केस 712/2022 भगवान आदि विश्वेश्वर केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा था।
इस केस पर जिला जज की अदालत ने 17 अप्रैल को आदेश पारित किया था कि उनकी कोर्ट में सभी 7 मामलों की फाइलों को रखा जाए। 17 अप्रैल को कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार 6 सिविल कोर्ट और एक फास्ट ट्रैक कोर्ट से सभी 7 याचिकाओं को निकाल एक साथ जिला जज के सामने रखा गया। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 12 मई की नई तारीख दी।
12 को सुनवाई न हो पाने के बाद 16 मई, 19 मई और फिर 22 मई की तारीख दी थी। जिला जज ने 22 मई को सभी केस को साथ सुनने का आदेश दिया था जिनका शेडयूल आज 14 जुलाई को तय होने की संभावना है।
जिन 7 मामलों को क्लब किया उसमें शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की भी याचिका शामिल है। इसमें उन्होंने वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को आदि विश्वेश्वर का सबसे पुराना शिवलिंग बताया था। जिनके राग-भोग, पूजा-दर्शन की मांग की गई है।
एक साथ सुनवाई वाले सभी केस राग-भोग, पूजा-दर्शन की मांग से जुड़े हैं।
इन सात वाद की सुनवाई का किया था अनुरोध
जिला जज की अदालत से सात मामलों को स्थानान्तरित कर एक साथ सुनवाई किए जाने का अनुरोध शृंगार गौरी वाद की महिला वादिनी लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, सीता साहू व मंजू व्यास ने किया था,
बताया था कि सभी वाद एक ही प्रकृति हैं। पहला मामला अविमुक्तेश्वरानंद, दूसरा मां श्रृंगार गौरी व अन्य,तीसरा आदि विश्वेश्वर व अन्य, चौथा आदि विश्वेश्वर आदि, पांचवां मां गंगा व अन्य, छठा सत्यम त्रिपाठी व अन्य और सातवां नंदी जी महाराज की तरफ से दाखिल वाद हैं।
यह सभी वाद एक ही प्रकृति के बताए गए हैं। इनमें आराजी नंबर 9130 के स्वामित्व की मांग और ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी, आदि विश्वेश्वर व अन्य देवी देवताओं के राग भोग, दर्शन पूजन आदि की मांग नाबालिग देवता मानते हुए की गई है। वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी विवाद से जुड़े सात मामलों की सुनवाई एक साथ करने का फैसला किया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर महिला वादिनी और अधिवक्ता।
राखी सिंह खुद को कर चुकी अलग
जितेंद्र सिंह विसेन की पत्नी राखी सिंह इस पूरे केस से पहले ही अलग हो चुकी हैं। 7 केस को क्लब करने वाले मामले का उन्होंने विरोध भी किया था। राखी सिंह ने खुद को इस केस से अलग कर लिया। इनका मानना है कि ये सभी केस अलग तरीके के हैं। इसमें से किसी में भी आवेदनकर्ता शामिल नहीं हैं। सभी केस का नेचर अलग-अलग है।
वहीं, वादिनी महिलाओं में लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक हैं। इनके वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी हैं। सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि इन मामलों की सुनवाई एक साथ होने से ही आदेश त्वरित और सटीक आएगा। 3 मई को जिला जज के समक्ष हम पक्ष रखेंगे कि ये सभी मामले एक जैसे हैं, फिर इनकी सुनवाई क्यों अलग-अलग हो।
काशी-विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के पिछले हिस्से की दीवार है, जिस पर हिंदू धर्म से जुड़े निशान मिले हैं।
स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल चिह्न मिले थे
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद की 14 से 16 मई के बीच हुए सर्वे में 2.5 फीट ऊंची गोलाकार शिवलिंग जैसी आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्थर लगा मिला। उस पर कटा हुआ निशान था। उसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहराई पाई गई। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट पाया गया। ज्ञानवापी में कथित फव्वारे में पाइप के लिए जगह ही नहीं थी जबकि मस्जिद में स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल जैसे चिह्न मिले। मुस्लिम पक्ष कुंड के बीच मिली जिस काले रंग की पत्थरनुमा आकृति को फव्वारा बता रहा था, उसमें कोई छेद नहीं मिला है। न ही उसमें कोई पाइप घुसाने की जगह है।
सातों मुकदमों के ये हैं वादी प्रतिवादी
परिसर से शिवलिंग की आकृति बरामद हुई, जिसके सर्वे की मांग उठ रही है।
हिंदू पक्ष के 5 बड़े दावे
कार्बन डेटिंग पर भी लगी है रोक
ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे और कॉर्बन डेटिंग के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा- इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है। हाईकोर्ट के आदेश की बारीकी से जांच करनी होगी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से वकील हुजेफा अहमदी ने यह याचिका दायर की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इसकी सुनवाई की। हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कैविएट दाखिल कर चुका है।