गंगा में उफान है। हिलोर मारतीं गंगा की लहरों को देख श्रद्धालु और सैलानी सशंकित हैं। वाराणसी में गंगा घाटों का आपसी संपर्क अब टूटने लगा है। शिवाला घाट से हनुमान घाट तक नहीं जाया जा सकता। घाट की 13 से लेकर 10 सीढ़ियां अब तक गंगा में डूब चुकीं हैं। घाट के मंदिर भी डूबने लगे हैं।
मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियां भी जलमग्न हो रहीं हैं। शवदाह का पहला प्लेटफॉर्म अब गंगा में डूब गया है। गंगा पार की विशाल रेत के टीले भी जलमग्न हो चुके हैं। पहाड़ों से छोड़े जा रहे पानी से वाराणसी में गंगा का जलस्तर 1 मिलीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। आज सुबह 6 बजे तक गंगा का जलस्तर 62.52 मीटर और 8 बजे तक जलस्तर 62.54 मीटर पहुंच चुका था। वहीं, दो दिन पहले जलस्तर 61 मीटर के आसपास था।
घाटों के रास्ते अब संकरे हो गए हैं। सप्ताह भर में ये भी घाट गंगा में समा जाएंगे।
गंगा में शिवाला घाट और हनुमान घाट का कनेक्शन टूट गया है। अब सैलानी और श्रद्धालु अस्सी से होते हुए शिवाला घाट तक ही पहुंच सकेंगे। इसके बाद हनुमान घाट, हरिश्चंद्र या दशाश्वमेध घाट तक पैदल नहीं आ जा सकेंगे। घाटों पर पानी लग चुका है। शिवाला घाट से लोग अब नाव के सहारे आगे के घाटों पर जा रहे हैं।
जैन घाट पर खड़ी नावें गंगा के डूबे घाट की सीढ़ियों के ऊपर खड़ीं हैं।
रत्नेश्वर महादेव के शिखर तक पहुंचा पानी
मणिकर्णिका घाट के पास स्थित रत्नेश्वर महादेव के शिखर तक गंगा का पानी पहुंच गया है। मंदिर का गर्भगृह और मंडप पानी में समा गया है। शीतला मंदिर तक पानी पहुंच चुका है। वहीं, जल्द ही अब दशाश्वमेध घाट का आरती स्थल भी बदला जा सकता है। हर घाट संकरे होने लगे हैं। घाटों की चौड़ाई काफी घट गई है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर वार्निंग लेवल 70.262 मीटर से 7.76 मीटर दूर है। वहीं, डेंजर लेवल 71.262 है। वाराणसी में 9 सितंबर, 1978 को गंगा का जलस्तर सबसे ज्यादा 73.901 तक पहुंच गया था।
बाढ़ के चलते अब गंगा स्नान भी रिस्की हो गया है। प्रशासन ने घाटों पर जेटी लगवा दिया है। जिससे लोगों को किसी अनहोनी से बचाया जा सके।
कानपुर बैराज से छोड़ा गया 3 लाख क्यूसेक पानी
पहाड़ों पर बारिश की वजह से रविवार को नरौरा बांध से 2.11 लाख क्यूसेक और सोमवार को कानपुर बैराज से लगभग 3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इसलिए गंगा में पानी की मात्रा बढ़ने लगी है। इसके चलते प्रयागराज, मिर्जापुर और वाराणसी के साथ ही गाजीपुर और बलिया के कई क्षेत्रों में पानी बढ़ रहा है। गांवों में गंगा का पानी पहुंचने लगा है।