वैदिक पंचांग के अनुसार पवित्र श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से होगी। यह पूरा महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना, व्रत, जलाभिषेक और भक्ति में डूब जाने का सबसे पवित्र समय माना जाता है। झूंसी स्थित श्री स्वामी नरोत्तमा नन्द गिरि वेद विद्यालय के प्राचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने बताया कि सावन के पहले ही दिन शिव वास योग नाम का विशेष योग बन रहा है। इस शुभ योग में भगवान शिव माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे।
मान्यता है कि इस योग में भोलेनाथ की पूजा और जलाभिषेक करने से सौभाग्य, सुख-समृद्धि तो मिलती ही है, भक्तों की मनचाही मुराद भी पूरी होती है। श्रावण मास भोलेनाथ की सच्चे मन से उपासना करने का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। सावन के सोमवार और मास शिवरात्रि के विशेष अवसर पर अभिषेक-पूजा, व्रत कई गुना अधिक शुभ फल देने वाला होता है।
इस बार सावन पूरे 30 दिनों का होगा जिसमें चार सोमवार आएंगे।
कब से होगी शुरुआत, कितने सोमवार पं. ब्रजमोहन पांडेय ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई 2025 को होगी। उदया तिथि के अनुसार श्रावण मास की प्रतिपदा तिथि 11 जुलाई की रात 11:07 मिनट से आरंभ होकर 12 जुलाई की रात 2:08 मिनट तक रहेगी, इसीलिए 11 जुलाई से सावन माह की शुरुआत मानी जाएगी।
पंचांग के अनुसार श्रावण मास का समापन 9 अगस्त को होगा। श्रावण के प्रथम सोमवार यानी 14 जुलाई को राहुकाल दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक रहेगा। इस दिन स्वाति नक्षत्र और सिद्ध योग भी बन रहा है, जो बेहद शुभ माना जाता है।
14 जुलाई को भी दुर्लभ संयोग 14 जुलाई को सावन के पहले सोमवार के दिन धनिष्ठा नक्षत्र और आयुष्मान योग के साथ ही गणेश चतुर्थी का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है। 21 जुलाई दूसरे सोमवार को रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे और कामिका एकादशी व सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्वितीय संयोग बनेगा।
इस दिन व्रत से भोलेनाथ व भगवान विष्णु की विशेष कृपा होगी। 28 जुलाई तीसरे सोमवार को चंद्रमा पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में रहेगा तथा चंद्रमा के सिंह राशि में होने से धनलाभ योग बनेगा। 4 अगस्त को अंतिम सोमवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म और इंद्र योग बनने के साथ ही चंद्रमा अनुराधा नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र से वृश्चिक राशि पर संचार करेंगे।